M.H.D-4
नाटक और अन्य गद्य विधाएँ
1. निम्नलिखित प्रत्येक काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
क) समष्टि मे ही व्यष्टि रहती है।व्यक्तियों से ही जाति बनती है। विश्व - प्रेम ,सर्वभूत - हित- कामना परम धर्म है, परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रैम न हो,इस अपने ने कया अन्याय किया है जो इसका वहिष्कार हो?
ग) पुरुष कहता है-" फिर तब हमारी आत्मा और शरीर के मंथन से जो निकलेगा ,वह हमे मार डालैगा।" पुरुष अपने भविष्यसे भयभीत हैं।उसका सृजन ही उसे मार डालेगा।चाहै वह संतति हो या विनाशकारी आयुध हो।
3) तांबे के कीड़े की कथावस्तु का विश्लेषण करते हुए उसकी प्रतीक योजना को भी स्पष्ट कीजिए।
4) भाषा शैली की दृष्टि से धोखा का सोदाहरण विवेचन कीजिए।
5) हिंदी जीवनी साहित्य मैं कलम का सिपाही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।इसकथन की समीक्षा कीजिए।
6)
निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणियां त्रेजिए।
क) आत्मकथा क्या भूलूँ क्या याद करूं
ख) हजारी प्रसाद ट्रिवेदी का निबंध "कुटज"
ग) नुक्कड़ नाटक औरत का प्रतिपादय
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