कुछ समय को मेरा मन उस बाग के सौंदर्य पान से तृप्त होकर अवर्णनीय सुख अनुभव करने लगा। बाग की ठंडक हवा में 'घुलकर बह रही थी। कुएं के चारों ओर त्तरह-तरह के फूल लगे थे। उनकी सारी सुगंध ठंडी हवा लूटे जा रही थी। नाना जाति के पक्षियों-का कलरव आकाश में, पेड़ों में, पाँधों में सब ओर सुनाई प्रंड़ रहा आआा। मेरा हृदय पक्षियों के साथ पक्षी, और फूलों के साथ फूल बन बैठां। तब ऐसा लगा, पता नहीं क्यों कविगण अनदेखे स्वर्ग काँ'वर्णन करत्तेःहैं | जहां सुख होता है वहीं स्वर्ग होता है।
उत्तर- प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश प्रसिद्ध रचनाकार आनंद की कहानी "लड़की, जिसकी मैंने हत्या "की" से अवतरित है। इस कहानी का लेखक शिला शिल्पों के चित्रों का संग्रह करने का शौकीन है। इसी सिलसिले- में वह गर्मी की छुट्टियों में अपने प्रांत (मैसूर) के एक छोटे से गाँव नागवल्ली जा पहुँचता-है। यहाँ कोई होटल आदि जहीं है। अतः उसके ठहरने की व्यवस्था 'करियप्पा नामक एक व्यक्ति के घरमें की.जाती है। घर में एक जवान, लड़की भी हैं (जो करियप्पा की बेटी नहीं है) जो लेखक को मालिक कहकर बुलाती है तेथा उसे करियप्पा के बाग कां रास्ता बताती है जो घर से कुछ ही दूरी पर था। उस बाग में पहुँचकर लेखक को जैसा अनुभव हुआ वह इस गच्यांश में चर्षरित है।
व्याख्या-लेखक के उस बाग में पहुँचने पर पहले तो वह उसके सौंदर्य से विभोर हो उठा और उसे जिसे सुख का अनुभव हुआ उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। बाग में ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। वहाँ जो कुआँ था उसके चारों ओर तरह-तरह के फूल -खिलें हुए थे और उनके पास से बहती हवा मानो उन फूलों की सुगंध को लूट रही थी। आकाश में भिन्न-भिन्न जातियों के पक्षी कलरव करते हुए विचरण कर रहे थे और उन पक्षियों का कलरव वहाँ के पेड़-पौधों में भी सुनाई पड़ रहा था। लेखक का चंचल मन उन पक्षियों की चहचहाहट के साथ तादात्मय करते हुए मानो पक्षी बनने को आतुर था और फूलों की खुशबुओं के साथ फूल बनने को। ऐसा लग रहा था मानो साक्षात् स्वर्ग का दृश्य हो। कवि लोग तो जिस स्वर्ग का वर्णन करते रहते हैं, वह शायद किसी ने देखा न हो, किंतु यहाँ तो साक्षात् स्वर्ग निरूपमान था और वैसे भी जहाँ सुख होता है वहीं तो स्वर्ग होता है। लेखक का हृदय इस आनंद से पुलकित हो उठा और वह मस्त होकर अपने साथ लाई हुई बाँसुरी बजाने लगा।
विशेष: (क) लेखक ने करियप्पा के बाग की एक-एक वस्तु का चित्र प्रस्तुत करते हुए प्रकृति चित्रण का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
(ख) लेखक ने करियप्पा के घर की सरलता के साथ इस बाग को जोड़कर कहा है कि जहाँ सुख होता है वहीं स्वर्ग होता है और करियप्पा के परिवार पर यह पूरी तरह से लागू होता है।
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