1. क्षेत्रवाद स्थानीय देशभक्ति का एक विघटित रुप है जिसमें पूरे देश की तुलना में एक विशेष क्षेत्र के हितों को अधिक मुख्य समझा जाता है,
2. क्षेत्रदाद एक सीखा हुआ व्यवहार है,
3. यह एक विशेष क्षेत्र को एक अनेक राजनीतिक और सामाजिक इकाई के रूप में
देखता है
4 संस्कृतिक
विरासत में विभिन्नता होने से इसके प्रभाव में भी वृद्धि हो जाती है,
5. क्षेत्रवाद का सीधा संबंध राजनीतिक और सरकार में प्रतिनिधित्व से है,
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो
आर्थिक ,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक अस्तित्व के लिए जागृत है। अपने क्षेत्र
या भूगोल के प्रति अधिक प्रयत्न आर्थिक , सामाजिक व राजनितिक
अधिकारों के चाह की भावना को क्षेत्रवाद के नाम से जाना जाता हैं. इस प्रकार की
भावना से बाहरी बनाम भीतरी तथा अधिक संकीर्ण रूप धारण करने पर यह क्षेत्र बनाम
राष्ट्र हो जाती हैं. जो किसी भी देश की एकता
और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा हो जाता हैं. भारत सहित
दुनिया के कई देशों में क्षेत्रवाद की
मानसिकता को लेकर वहां के निवासी स्वयं को विशिष्ट मानते हुए , अन्य राज्यों व लोगों से अधिक अधिकारों
की मांग करते हैं, आन्दोलन करते हैं.
तथा सरकार पर अपनी मांगे मनवाने के लिए दवाब डाला जाता हैं. कई
बार इस तरह की कोशिशों का नतीजा हिंसा के रूप में सामने आता हैं|
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