Free MHD23 Solved Assignment 2022-23 for July 2022 and January 2023 Session
M.H.D-23
मध्ययुगीन कविता - 1
1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
(क) चौक भये पानहि रंग राता। अंतरहिं लाग रहे जनु चाँता।।
अधर बहिर जो हँसे कुवारी। बिजरी लौक रैन अँधियारी ।।
मुख भीत दीसे उजियारा। हीरा दसन करहिं चमकारा।।
सोन खाप जानु गढ़ धरे। जानु सूकर कर कोठिला भरे।
दारिंउ दाँत देखि रस आसा। भँवर पंख लागै जिंहिं पासा।।
समझा राउ रूपचन्द, सुनिके वचन सुहाउ।
भोजन जेवँत राजहि, लाग दाँत कर घाउ।।
अधर बहिर जो हँसे कुवारी। बिजरी लौक रैन अँधियारी ।।
मुख भीत दीसे उजियारा। हीरा दसन करहिं चमकारा।।
सोन खाप जानु गढ़ धरे। जानु सूकर कर कोठिला भरे।
दारिंउ दाँत देखि रस आसा। भँवर पंख लागै जिंहिं पासा।।
समझा राउ रूपचन्द, सुनिके वचन सुहाउ।
भोजन जेवँत राजहि, लाग दाँत कर घाउ।।
(ख) किहिं मन टेढ़ो-टेढ़ो जात।
जाकूं पेखि बहु गरिवानो, हाड मांसु कौ गात।
थूक लार विस्टा कौ बेढ़ौ, अंत छार है जात।।
राम नाम इक छिनु न सुमरियौ, विषियन सूँ बहु घात।
ज्यूँ खग पेखि दरपन मेँह तन कूँ, बेरि बेरि चूंझियात।।
अजहूँ चेति गहु सिष मूरिख, जनम अकारथ जात।
जल-थल, बाउ-अंगन को पुतरा, छिन मंहि होहि भसमात।।
कोटि जतन करि जोगि तपि हारै, निहचय हंसा उड़ि जात।
कहि रविदास राम भजि बावरे, बय बीते पछितात।।
जाकूं पेखि बहु गरिवानो, हाड मांसु कौ गात।
थूक लार विस्टा कौ बेढ़ौ, अंत छार है जात।।
राम नाम इक छिनु न सुमरियौ, विषियन सूँ बहु घात।
ज्यूँ खग पेखि दरपन मेँह तन कूँ, बेरि बेरि चूंझियात।।
अजहूँ चेति गहु सिष मूरिख, जनम अकारथ जात।
जल-थल, बाउ-अंगन को पुतरा, छिन मंहि होहि भसमात।।
कोटि जतन करि जोगि तपि हारै, निहचय हंसा उड़ि जात।
कहि रविदास राम भजि बावरे, बय बीते पछितात।।
(ग) ऊधो! इतनी कहियो जाय।
अति कूसगात भई हैं तुम बिनु बहुत दुखारी गाय।।
जल समूह बरसत अँखियन तें, हूँकत लीने नाँव।
जहाँ जहाँ गोदोहन करते ढूँढ़त सोई सोई ठाँव।।
परति पछार खाय तेहि तेहि थल अति व्याकुल ह॒वै दीन।
मानहूँ सूर काढ़ि डारे हैं बारि-मध्य तें मीन ।
अति कूसगात भई हैं तुम बिनु बहुत दुखारी गाय।।
जल समूह बरसत अँखियन तें, हूँकत लीने नाँव।
जहाँ जहाँ गोदोहन करते ढूँढ़त सोई सोई ठाँव।।
परति पछार खाय तेहि तेहि थल अति व्याकुल ह॒वै दीन।
मानहूँ सूर काढ़ि डारे हैं बारि-मध्य तें मीन ।
(घ) जो, जातें, जामें, बहुरि, जा हित कहियत बेस।
सो सब, प्रेमहिं प्रेम है, जग रसखान असेस ।
सो सब, प्रेमहिं प्रेम है, जग रसखान असेस ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक का उत्तर लगभग 500 शब्दों में) दीजिए :
(i) मध्ययुगीनता की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
(ii) सूफी काव्य परंपरा का परिचय दीजिए।
(iii) सूरदास की भक्ति के दार्शनिक आधारों का विवेचन कीजिए।
3. निम्नलिखित प्रत्येक विषय पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए :
(i) दादू दयाल
(ii) रसखान का साहित्य
(iii) सूरदास का जीवन और साहित्य
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