अनौपचारिक समूह : यह औपचारिक समूह के बिल्कुल विपरीत होता है, इसकी स्थापना स्वतः या सहजता से होती है और यह सामान्य हितों को पूरा करने के लिए तथा व्यक्तिगत मूल्यों को साझादार करने की अनुक्रिया में निष्पादित होता है। इन समूहों का अर्थ व्यक्तिगत सम्पर्क और अन्तःक्रिया के औसत के रूप में संदर्भित होता है और व्यक्तियों के बीच सम्बन्धों का नेटवर्क यानी कि एक संजाल की स्थापना करता है। इसका गठन संगठनात्मक लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से नहीं किया जाता है इसका प्रयोजन विशिष्ट समय-अवधि की शर्त भी नहीं होता है। औपचारिक समूहों की संगठन के द्वारा नियुक्ति नहीं की जाती है तथा समय-समय पर इसमें शामिल होने के लिए अन्य सदस्यों को भी आमंत्रित किया जा सकता है। अनौपचारिक समूह एक संगठन में शक्तिशाली सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस तरह के समूहों के अनेक रूप हो सकते हैं जैसे कि हितकारी समूह, दबाव बनाने वाले समूह, मित्रतापूर्ण समूह या संदर्भित समूह | अनौपचारिक समूह संगठनात्मक व्यवहार गतिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। औपचारिक समूहों की फेरबदल की भूमिका होती है और यह वाष्पशील हो सकती है।
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