निकल गली से तब हत्यारा
आया उसने नाम पुकारा
हाथ तौलकर चाकू मारा
छुटा लोहू का फव्वारा
कहा नहीं था उसने आखिर उसकी हत्या होगी
भीड़ ठेलकर लौट गया वह
मरा पड़ा है रामदास यह
देखो देखो बार-बार कह
लोग निडर उस जगह खड़े रह
लगे बुलाने उन्हें जिन्हें संशय था हत्या होगी
उत्तर-प्रसंग-ये पंक्तियां कविवर रघुवीर सहाय की कविता “रामदास' से उद्धृत की गई हैं। इन पंक्तियों में कवि बताता है कि किस प्रकार रामदास की हत्या की गई।
व्याख्या-रामदास राजमार्ग के चोराहे पर खड़ा था। लोगों की भीड़ जमा थी और सबके मन में कुतृहल था, स्वयं अपनी आंखों से यह देखने की कि रामदास की हत्या केसे होती है? तभी अचानक गली में सं एक गुंडा, कातिल निकला, जिसका पेशा ही था हत्या करना और उसके बदले हत्या करवाने वालों से पेसा लेना। वह गली से निकला, चौराहे पर एकत्र भीड़ की तरफ बढ़ा। उसके हाथ में चाकू था। आगे बढ़ते हुए उसने तीखे, ललकार भरे स्वर में चुनौती दी, “कौन हे रामदास? किधर है, चल सामने आ।” रामदास कौन हे, यह जानने के तुरन्त बाद उसने अपने सधे हाथों में चाकू तौलकर रामदास पर प्रहार किया। उसके हाथ इतने सधे हुए थे कि चाकू ठीक रामदास के वक्ष में गहरा घुस गया। उसके शरीर से लहू का फव्वारा बहने लगा ओर वह चेतनाशून्य होकर जमीन पर गिर पड़ा। यह अप्रत्याशित नहीं था, कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। सब पूर्बनियोजित था, बहुत पहले हत्या की योजना बन गई थी और उसका ऐलान भी कर दिया गया था। इसका पता रामदास को भी था, अन्य नागरिकों को भी। पुलिस और अधिकारी वर्ग ने तो उस योजना को बनाया ही था।
विशेष-1. शासकवर्ग की बर्बरता तथा निर्भय होकर मनमानी करने की प्रवृत्ति को उद्घाटित किया गया हे।
2. जनता की कायरता, बुद्धिजीवियों की उदासीनता तथा समूचे जनतंत्र में व्याप्त अराजकता तथा विकृतियों की ओर संकेत किया गया हे।
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