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प्रशासनिक अनुवाद की मूलभूत अपेक्षाएँ क्‍या हैं?

संसद तथा सरकारी विभागों आदि के कार्यों में द्विभाषिक स्थिति के प्रशासनिक अनुवाद के लिए जो भाषा उपयोग में लाई जाती है – उसके संबंध में सामान्य धारणा यह होती है कि वह बिल्कुल सही अभिप्राय को व्यक्त करे, उसमें बात को सीधे ढंग से अभिव्यक्त किया जाए और वह सर्वसाधारण के लिए सुग्राह्य हो। 

ऐसे अनुवाद में दीर्घ वाक्य-योजना, आवश्यक अर्थ-जटिलता, अनावश्यक मुहावरा-प्रयोग से बचा जाना चाहिए। प्रशासनिक अनुवाद की भाषा शासन और जनता से एक साथ जुड़ी रहती है, इसलिए इसमें सरलता और बोधगम्यता का होना आवश्यक है। इसी तरह विधि से संबंधित सामग्री के संदर्भ में हमेशा यह ध्यातव्य है कि उसमें शब्दावली एवं वाक्य-विन्यास का ऐसा प्रयोग हो कि एक ही अर्थ निकल सके।

अन्यथा अर्थ-विचलन होने से अनर्थ हो सकता है। इस आधार पर प्रशासनिक अनुवाद के लिए कुछ मूलभूत अपेक्षाएँ होती हैं, जो कि इस प्रकार हैं

(1) सरल भाषा-प्रयोग-साहित्यिक अथवा मानविकी या ज्ञान के साहित्य आदि विषय के अनुवाद की भाषा विषय के स्तर के अनुसार होती है।  किंतु प्रशासनिक अनुवाद में यह ध्यान में रखना जरूरी है कि हमारा उद्देश्य भाषा का ज्ञान या पांडित्य दिखावा न होकर सरकार या प्रशासन के मंतव्य को सरलतम शब्दों में समझाना मात्र है।

अतः यह अपेक्षित होता है कि प्रशासनिक हिंदी में प्रयुक्त शब्द सरल, स्पष्ट और सुबोध हो । यदि भाषा में अस्पष्टता, क्लिष्टता और अप्रचलित शब्दों का प्रयोग होता है तो संदिग्ध अर्थ की गुंजाइश हो जाती है। ये संदिग्ध अर्थ प्रशासन के लिए घातक सिद्ध होकर कार्रवाई में बाधा डालते हैं।

अतः प्रशासनिक हिंदी में, जहाँ तक हो सके, सरल भाषा का ही उपयोग करना चाहिए। जैसे कि ‘Previous half year’ का अनुवाद पूर्व-वर्षार्ध’ न करके ‘पिछला आधा वर्ष ज्यादा उचित है।

‘पूर्व वर्षार्ध में भाषा की क्लिष्टता दिखाई दे रही है। इसी तरह ‘return to duty’ के लिए कार्यार्थ प्रत्यागमन’ न कहकर काम पर लौटना का प्रयोग करना अधिक उचित है। इसी तरह ‘During the year under report’ का सही अनुवाद इस वर्ष में होना चाहिए न कि ‘रिपोर्टाधीन वर्ष के दौरान।

(2) विविध रूदिबद्ध रूपों का निर्वाह-कार्यालयों द्वारा भेजे जाने वाले पत्रों, अर्ध-सरकारी, पत्रों, ज्ञापनों, मसौदों, कार्यालय ज्ञापनों, अनुस्मारकों आदि की अपनी-अपनी रूढ़ अभिव्यक्तियाँ तथा रूप-रचना (फॉर्मेट) होती है। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद करते समय अनुवादक को इन रूढ़ अभिव्यक्तियों का निर्वाह करना अनिवार्य होता है क्योंकि ऐसा नहीं करने पर अनुवाद की भाव-भंगिमा खराब हो जाती है।

जैसे- “failing which’ का रूढिबद्ध अनुवाद ‘ऐसा न करने पर है। यदि कोई अनुवादक इसका अनुवाद में असफल रहने पर’ करता है तो गलत है। इसी प्रकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं- ‘I beg to submit (निवेदन है कि), In consultation with (से परामर्श करके), I am directed to state (मुझे यह कहने का निदेश हुआ है), Smt. B is hereby informed (श्रीमती ‘ख’ को सूचित किया जाता है)आदि।

(3) सही पर्याय प्रयोग की आवश्यकता-कुछ शब्द प्रशासनिक क्षेत्र में ऐसे होते हैं जिनका अर्थ सामान्य तथा एक-सा लगता है। साधारण बोलचाल में हम ऐसे शब्दों के लिए एक ही शब्द से काम चला सकते हैं। किंतु जब कार्यालय की औपचारिकता का ध्यान रखते हुए सरकारी प्रयोजनों के लिए उन शब्दों का प्रयोग किया जाए तो यह आवश्यक हो जाता है कि हम उसके लिए अलग-अलग शब्द प्रयोग में लाएँ।

प्रशासनिक अनुवाद में उचित शब्द-चयन और सटीक पर्याय-चयन की विशेष महत्ता होती है। उदाहरण के लिए, ‘Order’, ‘Direction’, ‘Instruction’, ‘Ordinance’ और ‘Command’ शब्दों को लिया जा सकता है। ये पाँचों शब्द साधारण बोलचाल की भाषा में तो एक-से लगते हैं लेकिन जब इनका प्रशासनिक अनुवाद किया जाता है तो ये पाँचों शब्द विशेष प्रयोजन-विशेष के लिए प्रयुक्त होते हैं। इसलिए इनका अनुवाद क्रमशः ‘आदेश’, ‘निर्देश’, ‘अनुदेश’, ‘अध्यादेश’ और ‘समादेश’ किया जाएगा।

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