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ओलिवर क्रामवेल और अंग्रेजी क्रान्ति में उनकी भूमिका पर एक टिप्पणी लिखिए।

 सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए गृह-युद्ध कॉमनवेल्थ के गठन के साथ समाप्त नहीं हुआ। क्रोमवेल को पहले से चले आ रहे मसलों से निपटना पड़ा और यद्यपि राजा को हटा दिया गया था लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि राजभक्तों की चुनौती खत्म हो गयी थी, जैसा कि घटनाएँ दिखलाएँगी। उनका व्यक्तित्व निश्चित रूप से उस अवधि में हावी रहा, जितना कि पहले चरण में राजा का रहा था। एक सामान्य जन और कृषक वर्ग का होने से उनकी सहानुभूति उन लक्ष्यों के प्रति थी जो संसद ने अपने लिए निर्धारित किए थे।

उन्होंने जो समझौते किए वे शक्तियों के संतुलन द्वारा निर्धारित किए गए थे, ना कि उनके अपने स्वयं के झुकाव से। इस अर्थ में वह अपने लिए निरकुंश शक्ति के समर्थक नहीं थे जैसा उनसे पहले के राजा रहे थे। भले ही उन्होंने एक तानाशाह की तरह शासन किया, लेकिन उन्हें अपने शासन के लिए दिव्य मंजूरी या उससे जुड़े अनुष्ठानों और उपाधियों का उपयोग करने से परहेज था। ओलिवर क्रोमवेल ने संसदीय मंजूरी की परवाह किए बिना शासन किया लेकिन उन्होंने राजतन्त्र की अनेक नीतियों को उलट दिया और नये कुलीन वर्ग और मध्यम वर्गों के हितों का ध्यान रखा।

1649 में उन्होंने आयरिश विद्रोह को कुचल दिया और 1650-51 में स्कॉटलैंड को जीत लिया और इस प्रकार राजतन्त्र का समर्थक मानी जाने वाली शक्तियों को पराजित कर दिया और इसके बाद उसने डच गणराज्य और स्पेन के साथ युद्ध किया।  विद्रोह के दौरान धार्मिक नीति और वित्त के मामलों पर मतभेदों के कारण क्रोमवेल ने 1653 में अवशेष संसद को भंग कर दिया। उन्होंने अपनी पसंद के 140 लोगों के साथ एक नयी संसद का निर्माण किया लेकिन जल्द ही उसे भी भंग कर दिया और राजा के पद से अंतर करते हुए स्वयं को ‘लार्ड प्रोटक्टर’ की उपाधि से नवाजा। प्रोटेक्टोरेट के पास एक संविधान था जिसे इन्सट्रमेन्ट ऑफ गवर्नमेन्ट कहा जाता था और लार्ड प्रोटेक्टर और काउंसिल ऑफ स्टेट की शक्ति में सहभागिता थी।

इसके द्वारा बनाई गई संसद में इंग्लैंड के अलावा स्काटलैंड और आयरलैंड के प्रतिनिधि शामिल थे। वे निजी संपत्ति के आधार पर एक बहुत ही प्रतिबन्धित मताधिकार द्वारा चुने गये थे। उस समय इसका अर्थ अनिवार्य रूप से यह था कि प्रतिनिधि नये अभिजात्य वर्ग सहित भू-अभिजात्य वर्ग से ही होंगे। संसद अब संवैधानिक रूप से कानून बना सकती थी और कर लगा सकती थी। इसने इंग्लैंड में पहला लिखित संविधान माना जाने वाला संविधान बनाया। नये अभिजात्य वर्ग और निजी संपत्ति के विशेषाधिकार को सुदृढ करते हुए वे चर्च, राजभक्तों और राजा के अधिकारियों की भूमियों की बहुत सी बिक्री हुई। 1651 के नौ-परिवहन अधिनियमों ने वाणिज्यिक पूंजी और औपनिवेशिक हितों को बढ़ावा देने में मदद की।

कॉमनवेल्थ के दौरान गृह-युद्ध समाप्त नहीं हुआ था। नई आदर्श सेना और इसके वर्चस्व ने इसके शुद्धिकरण और संरचना में बदलाव के बावजूद, कॉमनवेल्थ के दौरान इसे एक महत्वपूर्ण राजनैतिक शक्ति बना दिया था। इसने आयरिश और स्कॉटस के विद्रोह को कुचलने में मदद की थी, और इसने संसद के पक्ष से राजभक्त सेनाओं से लड़ाई लड़ी थी।  धर्म के संदर्भ में, क्रोमवेल ने प्यूरिटन्स का पक्ष लिया था क्योंकि कैथोलिकों को चार्ल्स I और जेम्स I का पक्षधर माना गया था और इसी तरह एंगलीकन चर्च को सोलहवीं सदी में राजतन्त्रीय राष्ट्र-राज्य के टयूडर्स द्वारा सुदृढ़ीकरण और सामाजिक-धार्मिक ऐसे गठबंधन, जो भू-संपत्तिवान और दरबार की महत्वपूर्ण पदवियों पर आधारित था और सत्रहवीं सदी तक चलता रहा, का समर्थक माना गया था।

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