सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश अमृतलाल नागर के उपन्यास ‘मानस का हंस’ से उद्धृत है। यह उपन्यास गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित है। इन पंक्तियों में तुललीदास के रामघाट पर कथा सुनाने का वर्णन है।
व्याख्या – बाबा अर्थात तुलसीदास प्रतिदिन रामघाट पर रामचरितमानस का पाठ करते हैं और जिसे सुनने के लिए काल. किरात, गण आदि ने भी चित्रकूट में ही डेरा डाल दिया है। सभी लोग श्रद्धा के कारण बाबा के लिए फल, फूल, कंद-मूल, दूध-दही लेकर आते हैं।
गोस्वामी जी रामजियावन के घर ठहरे हुए हैं और वहीं रामकथा सुनाते हैं। ऐसे भक्तिमय वातावरण के कारण मानो उसके घर में आठों सिद्धि और नवनिधि का वास हो गया है।
तीसरे पहर कथा प्रारंभ होने पर रामजियावन के घर में भक्तों की भीड़ सजी हुई झांकी देखने के लिए उमड़ पड़ती है। पूरा चित्रकूट भक्तों से भरा पड़ा है।
विशेष-
1 . भक्तिमय वातावरण का सजीव चित्रण है।
2 .गोस्वामी तुलसीदास के जीवन का साधारण मानव के रूप में वर्णन है।
3 .भाषा बोलचाल की एवं भावप्रवण है।
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