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भारत में स्थानीय स्वशासन की संवैधानिक संरचना की चर्चा कीजिए ।

 73वां संशोधन और पंचायती राज: इस समिति की सिफारिश के बाद भारत सरकार ने 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 पारित किया जो स्थानीय स्वशासन की अवधारणा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यह राज्य सरकार को संविधान में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार स्थानीय निकायों को विकसित करने का प्रावधान करता है।

भाग IX को संविधान में इस संशोधन के माध्यम से शामिल किया गया था जो कि अनुच्छेद 243-243 ओ से है। सूची (11 वीं) में अनुसूची भी पेश की गई थी। राजस्थान 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज लागू करने वाला पहला राज्य बना।

• अनुच्छेद 243-बी में त्रिस्तरीय संरचना में ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद शामिल हैं।

• प्रत्येक पांच पर चुनाव अनुच्छेद 243ई बताता है, प्रत्येक पंचायत पांच साल तक जारी रहेगी।

• सीट का आरक्षण अनुच्छेद 243-डी में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में पंचायत की सदस्यता के लिए सीटों का आरक्षण शामिल है।

• अनुच्छेद 243-डी (3) में प्रावधान है कि प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरे जाने वाले कुल सीटों की कुल संख्या में से कम से कम एक तिहाई (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) होगी। 

74वां संशोधन और शहरी स्थानीय स्वशासन: सरकार अधिनियम, 1935 के बाद ऐसे निकायों को संबंधित प्रांतों के नियंत्रण में कहा जाता है।

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