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युवा संस्कृति क्‍या है? युवा संस्कृति की विभिन्‍न विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

युवा संस्कृति को समझने से पहले, आइए समझते हैं कि संस्कृति से हमारा क्या तात्पर्य है। संस्कृति साझा प्रथाओं, मूल्यों और विश्वासों को संदर्भित करती है। यह अपनेपन का एहसास दिलाती है। ऐसा कहा जा सकता है कि कपड़े पहनने के विशिष्ट तरीकों से, भाषा, संगीत, खेल भागीदारी और विभिन्‍न रुचियों, विशिष्ट व्यवहार और जीवन शैली के माध्यम से युवाओं की अपनी संस्कृति दिखती है। युवाओं के सामाजिक अनुभवों की यह सामूहिक अभिव्यक्ति इसे उनकी अपनी संस्कृति की विशेषता देती है। कॉलेज संस्कृति, हिप्पी पीढ़ी, मोटरबाइक गिरोह, श्रमिक वर्ग युवा संस्कृति आदि इसके उदाहरण हैं। युवा संस्कृति के भीतर उप-संस्कृतियां भी हैं। शोधकर्ताओं में युवा संस्कृति के एक समान होने पर मतभेद हैं। जैसा कि हमने इकाई 3 में पढ़ा है, युवा पहचान लिंग, वर्ग, जाति, विशिष्ट संस्कृति आदि से प्रभावित होती है; और ये पहलू विभिन्‍न युवा संस्कृतियों का सृजन भी करते हैं। उदाहरण के लिए, लड़कियों में लड़कों की तुलना में सामाजिकता का तरीका अलग है। झुग्गी-ओपड़ी के युवाओं का सामाजिक संपर्क और कामकाज का तरीका शहरी और ग्रामीण परिवेश में रहने वाले युवाओं से अलग होता है। इस प्रकार, युवा संस्कृति को समझने के लिए सामाजिक संदर्भ को भी ध्यान में रखना होगा।

   युवा संस्कृति के विकास में आयु भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। युवावस्था बचपन से किशोरावस्था, किशोरावस्था से वयस्कता में परिवर्तन का प्रतीक है। बच्चों और किशोरों के रूप में, विद्यालय प्रक्रिया का हिस्सा होने के नाते, वे साझा अर्थ और अनुभव विकसित करते हैं। इस चरण में, वे अभी भी अपने माता-पिता और अन्य वयस्क सदस्यों पर निर्भर होते हैं। परंतु इसके साथ ही, उनसे वयस्कों की तरह स्वतंत्र होने की उम्मीद भी की जाती है और उन्हें इसकी आवश्यकता होती है। इसलिए, युवा परिवर्तन के इस दौर में अपने समकक्षियों पर भरोसा करते हैं और युवा संस्कृति का हिस्सा बनकर अपने आप को समझने की कोशिश करते हैं। एरिकसन के अनुसार, किशोरों को पहचान बनाम भूमिका श्रम के एक प्रमुख मनोवैज्ञानिक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। युवा संस्कृति किशोरों में पहचान के विकास को सुविधाजनक बना सकती है।

युवा संस्कृति की विशेषताएं

i) पीढ़ीगत चेतना - युवा संस्कृतियों को पीढ़ीगत चेतना की भावना से चिह्धित किया जाता है। यह कुछ समाजिक राजनीतिक घटनाओं के दौर में जीने की व्यक्तिपरक जागरूकता है। उदाहरण के लिए, 'उदारीकरण के बच्चे" 1991 में उदारीकरण के आर्थिक सुधारों के तुरंत बाद पैदा हुए भारतीय बच्चों की एक पीढ़ी है। वे ऐसे समय भारत में पैदा हुए थे, जब दुनिया के लिए अर्थव्यवस्था के खुलने के कारण व्यापक आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन हुए। ये 'उदारीकरण की पीढ़ी' उनसे पहले के लोगों से अलग है क्योंकि उन्होंने आत्म-संयम और समाजवाद के संरक्षणवाद की विचारधारा की नीतियों का अनुभव नहीं किया है; विभाजन की हिंसा और आपातकाल के राजनीतिक उत्पीड़न उनके लिए अनदेखी वास्तविकताएं हैं। इसके बजाय वे एक ऐसे समय में आए हैं जब उनके देश ने विश्व अर्थव्यवस्था के साथ बाजार आधारित अर्थव्यवस्था, गठबंधन की राजनीति, प्रौद्योगिकी उछाल और सुखवादी  उपभोक्तावाद के युग में प्रवेश किया। एक जीवंत, बढ़ती हुई और मुक्त अर्थव्यवस्था और नवाचार और पहल की वैश्विक संस्कृति के समय में रहते हुए, उन्होंने दुनिया भर में भारतीयों को सफलता की कहानियां गढ़ते देखा है। इन ऐतिहासिक अवसरों ने, अपने समूह के साथ जुड़े होने की भावना के साथ पीढ़ीगत भावना सृजित की है।

ii) वर्ग, विशिष्ट संस्कृति और लिंग के साथ युवा जीवन शैली का संबंध - युवा संस्कृतियां अकसर किसी वर्ग, विशिष्ट संस्कृति और लिंग से उपजे प्रतिरोध की अभिव्यक्तियां हैं। 19वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलिया में वर्ग आधारित युवा संस्कृति का एक उदाहरण लारिकिनवाद है। लारिकिनवाद का तात्पर्य मज़दूर वर्ग के उन युवाओं से है जिनकी सिडनी प्रेस और पुलिस द्वारा काफी आलोचना की गई थी क्‍योंकि वे अपमान, शारीरिक हमले, घृणा, दंगे के रूप में माननीय षडहरियों' पर हमले करते थे और गिरफ्तारी से बचने का प्रयास करते थे। लारिकिन संस्कृति को उनके समकालीनों द्वारा अति लैंगिकता और चटख वेशभूषा, शराब पीना, नृत्य, जुआ, हिंसक खेलों और किसी गिरोह जैसे संगठन की संस्कृति के रुप में वर्णित किया था। स्मिथ (2005) ने बताया कि लारिकिंस बेहतर मजदूरी, सुविधाओं और काम के सामान्य अनुभव को सुधारने के लिए आंदोलन नहीं कर रहे थे। बल्कि वे वस्तुतः पूंजीवादी कार्य नैतिकता को ही खारिज कर रहे थे।

   विशिष्ट संस्कृति आधारित युवा संस्कृति का एक अन्य उदाहरण हिप-हॉप है। यह अफ्रीकी प्रवासियों का काव्य-संगीत है और नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ अफ्रीकी वंशज के युवा की अभिव्यक्ति है। युवा संस्कृतियां भी लिंग आधारित भूमिकाओं और मूल्यों की अभिव्यक्ति की माध्यम हैं। उदाहरण के लिए, मोटरसाइकिल समूह इस बात के उदाहरण हैं कि किस तरह मोटरबाइक्स का इस्तेमाल एक विशेष तरह के पौरुश को व्यक्त करता है। राजनीतिक-सांस्कृतिक युवा समूहों में स्त्रियों की उपस्थिति पर बहुत कम काम उपलब्ध है। उप-सांस्कृतिक अध्ययनों के आलोचकों का कहना है कि “उपसंस्कृति” का विचार पुरुषवादी(मर्दाना) धारणाओं से भरा हुआ है। उप-सांस्कृतिक परंपराओं में स्त्री भागीदारी के लिए नजरिए को व्यापक बनाने और इसमें प्रशंसकों ,/ दर्शकों को शामिल करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, 1980 के दशक थयें अधिकांश रॉक और रोल बैंड के सदस्य लड़के होते थे लेकिन प्रशंसक या रिकॉर्ड संग्रहकर्ता और 'टीनएज-हीरो पत्रिका तथा लव-कॉमिक्स के पाठकों के तौर पर इस संस्कृति में लड़कियों की भी उपस्थिति थी (मैकरॉबी और गार्बर, 1976) |

iii) प्रति संस्कृति (काउंटर करूचर) - युवा संस्कृति को अकसर अधिषत्ति (प्रमुख) संस्कृति के प्रतिरोध के रूप में चित्रित किया जाता है। इसे व्यवस्था के विरुद्ध और अभिभावक विरोधी संस्कृति के रूप में देखा जाता है। विशेष उपसंस्कृति के युवा सदस्यों को लगातार ऐसे तंत्र के विकास के लिए प्रयास करते हुए देखा जाता है जिसमें वे स्वयं के तौर-तरीकों के लिए जगह बना सकें जो वयस्क दुनिया के प्रतिकूल हैं। अमेरिका में 1960 के दशक की प्रति संस्कृति हिप्पी युवा संस्कृति के सबसे प्रमुख उदाहरणों में से एक है| हिप्पियों में तत्कासीन मध्यम दर्ग के समाज में स्वयं को अलग-धलग पाया जिसे उन्होंने भौतिकवाद और दमन के रूप में देखा। वे वियतनाम युद्ध के चिरोध में थे और उन्होंने युद्धविरोधी विशेध-प्रदर्शनों और मार्च में भाग लिया। उन्होंने अपनी  जीवन शैसी विकसित की जिसमें पोशाक और गशीली दचाओं के उपयोग के तत्व दिखते थे। हिप्पी पुरुषों और महिलाएं अकसर आसमदायक, मोतियों वाले साधारण कपड़े और सैंडल पहनते थे। ज्यादातर पुरुषों की दाढी बड़ी हुई होती थी। उनके पास रहने के लिए सामूहिक या सहकारी रहने की व्यवस्था थी। ज्यादातर समाज से खारिज किए गए लोग होते थे जिन्होंने नौकरियों और व्यवसायों (केरियर्स) को छोड़ दिया था। वे अहिंसा और प्रेम के मूल्यों को व्यक्त करते थे। उनकी दलील थी “प्यार करो युद्ध नहीं'। उन्होंने मध्यम वर्ग के समाज में जो प्रतिबंध और नियंत्रण देखे थे. उसके विकल्प के तौर पर उन्होंने खुलेषन और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया | हिप्पियों ने चेतना के विस्तार के साधन के रूप में मतिश्रम दवाओं के आनंदप्रद उपयोग को बढावा दिया।

   द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका में, रॉक संगीत के माध्यम से भी युवाओं को एकजुटता की भावना व्यक्त करमे की अनुमति दी, जो अकसर वयस्क समाज के विशेध में होती थी। डेडहेड्स को घुमंतू उप-सांस्कृतिक समुदाय के सदस्यों के ऐसे पंथ के रूप में वर्णित किया गया है, जो अमेरिका में 1950 के दशक की शुरुआत में गठित एक रॉक एंड रोल बैंड, द ग्रेटफुल डेड के संगीत के समर्थक थे। डेडहेड उपसंस्कृति में 1950 और 1960 के दशक ऊे बोहेमियन युवा आंदोलनों से जुड़े कई जीवनशैली मूल्य समाहित हैं। इन मूल्यों में शामिल हैं: निश्क्रिय प्रतिरोध, विशेष रूप से राजनीतिक क्षेत्र में; शारीरिक, मानसिक या अस्तित्व संबंधी आंदोलन; मध्यम वर्ग में जन्म सेमे के चलते प्राप्त मौत्तिक सुख-सुविधाओं का त्याग; आज्ञापालन और मविष्य की संतुष्टि क॑ विपरीत अभिष्यंजना और आत्म चेतना; व्यक्तिघाद, “अपनी मनमर्जी का काम करने" के अर्थ में स्वतंत्रता; और अम्वेषण, विशेष रूप से जीवन के अर्थ के लिए आध्यात्मिक खोज (मिलर, 1991)। इस मूल्य प्रणाली की गहराई मैं उन मूल्यों का समूह है जिसके आध्यात्मिक अर्थ होते हैं।

iv) जीउनशैली - उचनोभ की कुछेफ विशेष यस्गुएं जैसे फि ेनिन जीस था पभडे की जैकेट या मोटरबाइक; युवा संस्कृतियों की उष-सांस्कृततिक शैली के केंद्रीय तत्व हैं। ये तत्व किसी विशेष युवा संस्कृति के कई अर्थों और मूल्यों को व्यक्त करते हैं। उदाहरण के लिए, मोटरसाइकिल गैंग के सदस्यों का व्यवहार ऐसा होता है कि मोटरबाइक पुरुष केंद्रित अनुमवात्म्क संवेदनाओं जैसे स्वतंत्रता, लापरवाही, कानून का उल्संघन, का प्रतिनिधित्व करती है | मोटरबाइक की यांत्रिक विशेषताएं भी मोटरबाइक गिरोह की विशेषताओं के अनुरूप होती हैं। मोटरबाइक की ताकत, मजबूती, अत्यधिक गति, साइलेंसर में छेडझाड के चलते तेज आवाज इस तरह के समूहों (गैंग्स) के सदस्यों के दबंग पौरश और उनकी मजघूत दोस्ती को दर्शाती और इनका प्रतिनिधित्व करती है (विल्स, 1978)।

v) मास मीडिया, प्रौद्योगिकी और उपभोक्ताबाद का प्रभाव - मास मीडिया, संगीत और फैशन जैसे सांस्कृतिक उद्योगों द्वारा प्रस्तुत वस्तुओं और विचारों से युवा संस्कृति प्रभावित होती है। ऐसे समुदाय जो विचारों और सूचमाओं को व्यापक रूप से प्रसारित करने वाली प्रौद्योगिकी से कटे हुए हों, उनमें कम विविध युवा संस्कृततियां होंगी। प्रौद्योगिकी के माध्यम से सांस्कृतिक छवियों (संगीत, फैशन, माषा, सांस्कृतिक प्रधाओं) के प्रसार क॑ कारण युवा सस्कृतियां विश्व भर में अधिक विविध और ज्यादा क्षणिक बन गई हैं। विभिन्‍न शैलियों के बीच आदान-प्रदान होता है, और कई अलग-अलग प्रकार की सांस्कृतिक प्रथाओं का सह-अस्तित्व होता है। युवा आम तौर पर केवल एकाधिक शैली से स्वयं को जोड़ते हैं। वे एक डी समय कई प्रमाघों से प्रमादित होते हैं और वे अकसर अपनी स्वयं की विशिष्ट शैली बनाते हैं। युवा मास मीडिया छवियों के मिश्क्िय प्राप्तकर्ता नहीं हैं बल्कि दे इसे स्वयं समृद्ध करते हैं। दे मीडिया से अवधारणाओं, छवियों और विचारों को लेते हैं और फिर उन्हें इस तरह जोड़ते और अनुकूलित करते हैं जो उस पहचान से संगत हो जो पहचान दे पहचान बनाना चाहते हैं।

vi) प्रमुख संस्कृति को विकसित करने में मदद - युवा सांस्कृतिक प्रथाएं सनक भाषा आदि अनिवार्य रूप से समग्र समाज की संस्कृति तक पहुंचती हैं और आम संस्कृति में फैशन और जीवन शैली को प्रमावित करती हैं। छोटे स्तर पर नई पहचानों के साथ प्रयोग की शुरुआत धीरे-धीरे अधिकाधिक आम बात हो जाती है। स्टीव मिजरच (2006) ने वतताया कि साइबर युग लोगों के लिए नई पहचान बनाने में मदद कर रहा है, अर्थात्‌ साइडॉर्ग, स्लैकर, वर्चुअल, म्यूटेंट और मेडिएंट। आज के कई उपसंस्कृतियां.. युवा संस्कृति: मीडिया और (साइबरपंक, रैवर्स, आधुनिक आदि मानव, जिप्पी) इन नए प्रकार की पहचानों के साथ वैश्वीकरण का प्रमाव पहले से ही प्रयोग कर रही हैं, इनके अधिक आम होने से पहले यह एक प्रकार के व॒र्वाभ्यास या अभ्यास की तरह है।

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