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पूंजीवाद से आप क्‍या समझते हैं?

 पूँजीवादी साइडबार पूँजीवाद सामन्यत: उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। इसे कभी कभी “व्यक्तिगत स्वामित्व” के पर्यायवाची के तौर पर भी प्रयुक्त किया जाता है यद्यपि यहाँ “व्यक्तिगत” का अर्थ किसी एक व्यक्ति से भी हो सकता है और व्यक्तियों के समूह से भी। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी प्रणाली के अतिरिक्त अपनी तौर पर स्वामित्व वाले किसी भी आर्थिक तंत्र को पूँजीवादी तंत्र के नाम से जाना जा सकता है।

दूसरे रूप में ये कहा जा सकता है कि पूँजीवादी तंत्र लाभ के लिए चलाया जाता है, जिसमें निवेश, वितरण, आय उत्पादन मूल्य, बाजार मूल्य इत्यादि का निर्धारण मुक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा द्वारा निर्धारित होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक पद्धति है जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औदयोगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा स्थिर नहीं हुई; देश, काल और नैतिक मूल्यों के अनुसार इसके भिन्न-भिन्न रूप बनते रहे हैं।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषता इस प्रकार है :

निजी संपत्ति : उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है। हर व्यक्ति को निजी संपत्ति रखने का अधिकार होता है।

आर्थिक स्वतंत्रता : आर्थिक फैसलों में स्वतंत्रता होती है। व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार अपना व्यासाय अथवा उद्योग करने के लिए स्वतंत्र रहता है।

मुक्त बाजार: अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बाजार प्रणाली पर निर्भर रहती है। बाजार मे मांग और आपूर्ति के अनुसार उत्पादन के दाम तय होते है। किसी भी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप नहीं होता।

व्यक्तिगत लाभ : पूंजीवादी अर्थव्यवस्था मे व्यक्तिगत लाभ व्यापार के केंद्र मे होता है।

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