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हॉलैंड का व्यावसायिक विकल्प सिद्धांत

हॉलैंड का व्यावसायिक व्यक्तित्व और कार्य वातावरण सिद्धांत बताता है कि लोग अपने व्यक्तित्व वर्गीकरण के अनुकूल कैरियर विकल्प चुनते हैं। हॉलैंड (1959) ने कहा कि लोगों को इन छह व्यक्तित्व श्रेणियों के सम्मिश्रण से चिहिनत किया जा सकता है: यथार्थवादी, अन्वेषक, कलात्मक , सामाजिक , उद्यमी   और पारंपरिक अर्थात RIASEC I व्यक्तित्व श्रेणियां उन गतिविधियों के अनुसार बदलती रहती हैं जो किसी व्यक्ति की क्षमताओं और दक्षताओं से संबंधित होती हैं। यथार्थवादी व्यक्तित्व श्रेणी में व्यावहारिक, उत्पादक और ठोस मूल्य होते हैं। इन व्यवहारों के कारण मशीनों, औजारों और सामग्रियों के इस्तेमाल में सक्षमताएं पैदा होती हैं। अन्वेशक व्यक्तित्व श्रेणी नए ज्ञान के प्रलेखीकरण के उद्देश्य से विश्लेषणात्मक या बौद्धिक गतिविधियों और आम समस्याओं के समाधान समझने से जुड़ी होती हैं। कलात्मक व्यक्तित्व श्रेणी नवीन और रचनात्मक दक्षताओं हासिल करने में जुड़ी होती हैं जैसे भाषा, कला और संगीत | सामाजिक श्रेणी के लोगों में अन्य लोगों के साथ उन्हें प्रशिक्षित करने या मदद करने का काम करना पसंद करते हैं। इनके परिणामस्वरूप वे शिक्षण और परामर्श जैसे क्षेत्रों में दक्षता अर्जित करते हैं। उद्यमी श्रेणी के लोग अकसर उन गतिविधियों की तरफ आकर्षित होते हैं जिनमें औरों को प्रभावित करने की आवश्यकता होती है। इन व्यवहारों के परिणामस्वरूप नेतृत्व और उद्यमशीलता में दक्षताओं का विकास होता है। अंत में, पारंपरिक श्रेणी के लोग आंकड़ों से संबंधित गतिविधियों की तरफ आकर्षित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप लिपिकीय और व्यावसायिक दक्षताओं का विकास होता है। 

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