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राष्ट्रीय नीति के रूप में वैश्वीकरण की संकल्पना की विशेष तोर पर 1991 से भारत सरकार दवारा नीति सम्बंधित लिए गए पहल के संदर्भ में व्याख्या किजिए

 राष्ट्रीय नीति की तरह, वेश्वीकरण को ऐसी नीति की तरह समझा जा सकता है जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को वस्तुओं एवं सेवाओं, पूँजी तथा तकनीक के साथ मानव व प्राकृतिक संसाधनों को सीमाओं के पार अप्रतिबंधित प्रवाह के लिए खोल दिया जाता हे। यदि ठीक शब्दों में कहा जाए तो अभी तक किसी भी देश ने इस प्रकार की नीति नहीं अपनाई हे, यद्यपि न सिर्फ वस्तुओं के संबंध में बल्कि सेवाओं व अस्पृश्य के क्षेत्र में भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबंधों को कम करने के प्रयास किए जा रहे हें। इस संबंध में हम भारत सरकार द्वारा 1991 से प्रारंभ नीतिगत उपायों की ओर ध्यान दे सकते हें जिसमें उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीतियाँ भी शामिल हें। वैश्वीकरण को आर्थिक सुधारों के एक घटक की तरह समझा जा सकता है जिसमें बाहरी क्षेत्र का उदारीकरण हे अर्थात्‌ वस्तु, सेवाओं, पूँजी व तकनीक के अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह पर प्रतिबंधों की छूट। इसको अर्थव्यवस्था के बाह्य अभिमुखी की तरह भी समझा जा सकता है। अन्य बातों में वैश्वीकरण के लिए प्रमुखत: निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं-

(1) विनिमय दर प्रबंधन प्रणाली को ठीक किया गया हे तथा सभी चालू खाता विनिमयों के संबंध में बाजार विनिमय दर पर रुपए को परिवर्तनीय बनाया गया हे।

(2) बिना लाइसेंस के आयातित वस्तुओं की संख्या बढ़ा कर उन्हें मुक्त सामान्य लाइसेंस के अंतर्गत लाया गया हे।

(3) वस्तुओं पर अधिकतम आयातित शुल्क को धीरे-धीरे 110% से घटाकर 20% तक लाया जा चुका हे।

(4) निर्यातकों को पूँजी उत्पाद तथा अन्य निविष्टियों के निर्यात की रियायती दरों पर अनुमति प्रदान की गई हे।

(5) उच्च वरीयता उद्योगों में 51% तक सीधे निवेश को प्रक्रिया में बिना किसी गत्यावरोध के स्वीकृति दी गई हे।

(6) भारतीय तथा विदेशी कंपनियों के मध्य विदेश तकनीकी सहयोग को निर्दिष्ट सीमाओं के अंतर्गत स्वतः अनुमति दी जाती है।

(7) विदेशी संस्थानीय निवेशकों को प्राथमिक तथा द्वितीयक पूँजी बाजारों में व्यापार हेतु सभी प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति दी गई हे।

(8) विदेशी कॉर्पोरेट निकायों तथा प्रवासी भारतीयों को उच्च वरीयता अनुसूचित उद्योगों में 100% तक इक्विटी निवेश की अनुमति कुछ शर्तों के साथ पूँजी तथा आय के प्रत्यावर्तन के सभी लाभों के साथ दी गई है।

(9) भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र को जी.डी.आर. तथा ए,डी.आर. प्रणाली के माध्यम से विश्व पूँजी बाजार में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाता हे।

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