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संप्रेषण के विविध रूपों को स्पष्ट कीजिए |

संप्रेषण के विविध रूप

1. मौखिक संप्रेषण

ज्यादातर संप्रेषण बोलकर किया जाता है। भाषा इसका मूल आधार और माध्यम है। सुबह उठते ही बोलने की प्रक्रिया के साथ संप्रेषण शुरू होता है और रात में बिस्तर पर जाने तक बोलने का यष्ठ क्रम जारी रहता है। बोलना भी एक कला है। बड़े बुजुर्ग कहते हैं सोच- समझकर दोलो। ऐसा बोलो कि सुनने वाले प्रसन्‍न हो जाएँ। कबीर का यह पद तो आपने सुना या पढ़ा डोगा:

ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए

औरन को शीतल करे आपहु शीतल होए।

 

  • ऐसी वाणी का प्रयोग, जिसमें दूसरे प्रसन्‍न हों और अपना मन भी प्रसन्न रहे, 'जीवन की सफलता का रहस्य है। बोलते समय तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
  • ·         शब्दों और वाक्यों का चुनाव: आप जो कुछ कहते हैं उसमें आपने शब्दों का चुनाव कैसे किया है। या आपने किस प्रकार के वाक्य का प्रयोग किया है इसका बड़ा असर पड़ता है।
  • ·         आवाज: आप अपनी बात नम्न आवाज में कहते हैं या जो-जोर से बोलते हैं, इसका भी असर श्रोता पर पड़ता है। यदि आप आक्रामक ढंग से बोलेंगे तो सुनने वाला नाराज़ होगा।
  • ·         स्वर: आप जो कुछ भी बोलते हैं उसका अर्थ आपको सुनने वाला उसी ढंग से निकालता है। आपने किसी को बुलाया इधर आओ' | आपके इधर आओ. बोलने के तरीके से ही सुनने वाला समझ जाएगा कि आप उसे प्यार से बुला रहे हैं या आप उससे नाराज़ हैं। इसके अलाबा आप जो कुछ बोलिए स्पष्ट बोलिए। अगर आप स्पष्ट नहीं बोलेंगे तो सामने वाला आपकी बात समझ नहीं पाएगा और आपकी बात उस तक पहुँच नहीं पाएगी। हाँ, इतना ऊँचा भी न बोलिए कि संदेश का संप्रेषण गलत ढंग से हो जाए।

 

2. आंगिक संप्रेषण

मनुष्य केवल बोलकर ही अपनी बात संप्रेषित नहीं करता। उसके सारे अंग आँख, डाथ, पैर, कंघे, सब संप्रेषण में सहयोग देते हैं। यड गैर-शाब्दिक, आंगिक या अमौखिक संप्रेषण है।

शारीरिक संप्रेषण की शुरूआत आपकी वेशभूषा और व्यक्तित्व से होती है। आप जैसे ही किसी अधिकारी के कमरे में प्रवेश करते हैं वह आपकी वेशभूषा और व्यक्तित्व से आपके बारे में घारणा बनाने लगता है। आप उसके सामने कैसे खड़े रहते हैं, कैसे बैठते हैं, इसका भी काफी असर पड़ता है। अक्सर लोगों को देखा गया है कि वे किसी दफ्तर में किसी अधिकारी की टेबुल पकड़कर झुक जाते हैं और तब तक झुके रहते हैं जब तक वह अधिकारी झुँजलाकर कह न दे कि जनाब जरा सीधे खड़े रहिए। आप जाने अनजाने सामने बैठे अधिकारी को अपने व्यक्तित्व के बारे में बता रहे होते हैं। अब उस अधिकारी ने आपसे कड़ा कि आपने जो फोटोकॉपी प्रस्तुत की है उसकी मूल प्रति दिखाइए। मूल प्रति निकालने से पहले आपने कंधे उचकाए, मुँह बनाया मानो आप कह रहे हो “बड़े आए मूल प्रति देखने वाले' आपके इस व्यव्टार से आपका बनता ह्वुआ काम बिगड़ भी सकता है। इसके विपरीत यदि आपके पास मूल प्रति न भी हो और आप विनग्रता से मुस्कराकर ब्रात करें तो शायद आपका काम हो जाए।

 

आँखें आंगिक संप्रेषण का सबसे सशक्त माध्यम हैं। जब कोई प्रसन्‍न होता है तो कहते हैं- उसकी आँखें हँस रही थीं। आपने लोगों को अक्सर यद्ठ कहते सुना होगा- 'उसकी आँखें गुस्से से लाल थीं।'

अपनी औँखों के जरिए आप न केवल अपनी प्रसन्नता या अप्रसन्नता जाहिर करते हैं बल्कि उसे दूसरों तक संप्रेषित करते हैं। किसी की आँखें नम हों तो इम जान जाते हैं कि वड्ड दुखी है। हाँ, कभी-कभी खुशी के आँसू भी निकलते हैं परंतु उस व्यक्ति की शारीरिक अभिव्यक्ति से पता चल जाता है कि उसके आँसू खुशी के हैं या दुःख के। आँखों से ही पता चल जाता है कि सामने वाला आपसे प्रसन्‍न है या अप्रसन्‍न है, उसका आना आपको अच्छा लगा है, वह आपको टालना चाहता है, आदि-आदि।

 

3. लिखित संप्रेषण

आप बोलकर और देखकर तो संप्रेषण करते डी हैं, लिखकर भी अपनी बात दूसरों तक पहुँचाते हैं। आप पत्र लिखकर अपनी बात दूसरों तक पहुँचाते हैं। लेखक कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास आदि लिखकर अपने को पाठकों तक पहुँचाता है। लिखना एक कला है। योजनाबद्ध ढंग से लिखकर आप अपनी बात सही ढंग से संप्रेषित कर सकते हैं। किसी भी प्रकार का लेखन करने के लिए पाँच बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्‍या, क्‍यों, कौन, कब और कैसे। इन पाँच शब्दों को ध्यान में रखकर लिखने से आप अपना संदेश सही ढंग सेप्राप्तकर्ता तक पहुँचा सकते हैं। इसी स्थिति में संप्रेषण पूरा होता है।

 

4. संचार माध्यम

संचार माध्यम संप्रेषण का एक सशक्त माध्यम है। रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र, होर्डिंग, बिल, पैंफलेट, इंटरनेट आदि जनसंचार माध्यम अपनी माध्यमगत विशिष्टता के अनुसार संप्रेषण करते हैं। रेडियों आवाज़ के माध्यम से जन-जन त्तक संचार का संप्रेषण करते हैं। टेलीविजन, कम्प्यूटर. फिल्म, वीडियो, इंटरनेट जैसे दृश्य माध्यम भी संप्रेषण के सशक्त माध्यम हैं। इसके अलावा सड़क के किनारे लगे बड़ी-बड़ी कंपनियों के डहोडिंग, समाचार पत्रों में छपे विज्ञापन, खतरे संबंधी सूचनाएँ, यातायात संकेत, टेलीफोन पर होने वाली बातचीत आदि संप्रेषण के कई रूप हैं |

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