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लोकसभा के सभापति की शक्तियों की चर्चा कीजिए।

लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति इंग्लैण्ड के कॉमन सभा के अध्यक्ष की तरह है। लोक सभा अ६यक्ष का कार्यलय बहुत सम्मानजनक और उच्च कोटी का होता है। एक बार अध्यक्ष चुने जाने के पश्चात्‌ लोक सभा अध्यक्ष का अपनी पार्टी से कोई भी संबंध नहीं होता है। वह निष्पक्ष होकर अपनी जिम्मेदारी निभाता है। वह सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाता है। वह सदन की गरिमा बनाये रखता है उन्हें सदन में शांति एवं व्यवस्था बनाये रखने की भी जिम्मेदारी होती है। लोक सभा अध्यक्ष ही धन विधेयक को प्रमाणित करताहै। लोक सभा अध्यक्ष ही सदन में प्रश्न पूछने, प्रस्ताव लाने की अनुमति प्रदान करता है। लोक सभा अध्यक्ष ही विभिन्‍न समितियों का मठन करता है। जब लोक समा भंग होती है तब भी अध्यक्ष का पद बना रहता है। लोक सभा अध्यक्ष के कार्य को कोई चुनौती नहीं दे सकता है। उसका वेतन और भत्ते संसद की निधि से तय किया जाता है।

   लोक सभा अध्यक्ष अपने पद पर जब तक रहता है तब तक कि नयी संसद का गठन नहीं हो जाता है। लोक सभा अध्यक्ष की अनुपर्थिति में उपाध्यक्ष लोक सभा की अध्यक्षता करता है।

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