Recents in Beach

मूल कर्तव्यों की चर्चा कीजिए।

 प्रारंभ में, संविधान में मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान नहीं था। लेकिन, अपवाद स्वरूप, अनुच्छेद 33 में कुछ मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान था। इस अनुच्छेद के अनुसार सैनिक बलों एवं पुलिस को अनुशासन का पालन करना जरूरी था तथा उन्हें अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन करना भी आवश्यक था, हालांकि संविधान में मौलिक कर्तव्य इसका हिस्सा नहीं था।

  हालाँकि संक्धिन के 42वें एवं 66वें संविधान संशोधन के अंतर्गत संक्धिन में इन मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का प्रावधान किया गया। 42वें संविधान संशोधन जो कि 1976 में लाया गया था, संविधान में एक अलग से भाग जोड़ा गया जिसमें मौलिक कर्तव्यों से संबंधित अनुच्छेद शामिल किये गये थे। 42वां संविधान संशोधन अधिनियम आपातकाल के दौरान 1975--1977 पारित किया गया था। इस संशोधन के अनुसार सभी व्यक्तियों को कुछ मौलिक कर्तव्यों का पालन करना आवश्यक था। चाहे वे सैनिक हों या पुलिस सबको कुछ न कुछ मौलिक कार्य करना, आवश्यक था। 2002 में 88वें संविधान संशोधन ने सभी बच्चों जिनकी उम्र 6 से 14 वर्ष के बीच में थी, उनके अभिभावकों को उन्हें शिक्षा प्रदान कराने का मौलिक कर्तव्य हैं। इस संशोधन ने ही बच्चों की शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्रदान किया। इन संशोधनों के कारण ही हमारे संविधान के भाग चार ए में अनुच्छेद 51ए में वर्णित मौलिक कर्तव्य अनुच्छेद 29 1 में सार्वभीम मानव अधिकारों के समतुल्य पाया गया है। इसके अनुसार सभी नागरिकों का यह दायित्व है कि उन्हें कुछ कर्तव्यों का पालन करना चाहिये तभी जाकर उनका व्यक्तिगत विकास संभव है। 42वें एवं 86वें संविधान संशोधन के पारित होने के पश्चात्‌ भारत के नागरिकों को 11 मौलिक कर्तव्य दिये गये हैं। ये मौलिक कर्तव्य इस प्रकार है :-

  • 1)  संविधान का सम्मान करें तथा इसके आदर्श एंव संस्थाओं का सम्मान करें, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का आदर करें।
  • 2)  राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष के आदर्श विचारों का अनुसरण करें।
  • 3)  भारत की सप्रभुता, एकता एवं अखंडता की रक्षा करें।
  • 4)  देश की रक्षा करे तथा जब जरूरत हो तब देश की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहे।
  • 5)  भारत की जनता के बीच भाईचारा बनाये रखे तथा सभी धर्मों का सम्मान करें। आपसी सद्भाव बनाये रखे, तथा कभी भी धर्म, भाषा, क्षेत्र एवं समुदाय के नाम पर भेदभाव न करें। हमेशा महिलाओं का आदर एवं सम्मान करें।
  • 6)  हमारी बहुमूल्य संस्कृति एवं विरासत को संजोये रखें तथा इसकी कीमत को पहचानें।
  • 7)  हमारे प्राकृतिक वातावरण पर्यावरण की रक्षा करें, जैसे जंगल, झील, नदियां तथा वन्य जीवन की रक्षा करें एवं सभी प्रकार के जंगली जीवों की रक्षा करें।
  • 8)  वैज्ञानिक सोच, मानवीयता, तथा अपने अंदर चेतना का विकास करें।
  • 9)  हमेशा सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करें तथा हिंसा न करें।
  • 10)हमेशा उच्च विचार रखें जिससे कि हमारा राष्ट्र सदैव ऊंचे स्तर तक पहुंचे और राष्ट्र उन्नति को प्राप्त कर सके।
  • 11)जो भी अभिभावक एवं संरक्षक हो, वो अपने बच्चे के लिए शिक्षा की व्यवस्था करें एवं शिक्षा के अवसर प्रदान करें विशेषकर 6 से लेकर 14 वर्ष के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करें।

 

मौलिक कर्तव्यों की प्रमुख विशेषताएँ भी हैं वो इस प्रकार हैं :-

क) मौलिक कर्तव्य सामाजिक एंव नैतिक दोनों ही प्रकृति के हैं।

ख) ये भारतीय जीवन शैली पर अधिक बल देते हैं विशेषकर भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं उसके सम्मान की बात करते हैं।

ग) ये प्राक्धान विदेशी लोगों पर लागू नहीं होते हैं केवल भारत के नागरिकों को ही इन संविधानिक कर्तव्यों का पालन करेंगे।

घ) मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों में साफ अंतर है।

ड़) ये गैर-न्यायोचित एवं गैर प्रवर्तनीय है।

 

42वां संशोधन स्वर्ण सिंह समिति रिपोर्ट की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। स्वर्ण सिंह समिति का गठन इंदिरा गांधी सरकार ने 1976 में किया था । सरदार स्वर्ण सिंह इस समिति के अध्यक्ष थे। इस समिति ने संविधान में एक अलग भाग जोड़ने की सिफारिश की था जिसका संबंध मौलिक कर्तव्यों से था। इस समिति की सिफारिशों के आधार पर ही सरकार ने संविधान में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किये जिसे हम 42वें संविधान संशोधन के रूप में जानते हैं। यह संशोधन 3 जनवरी 1979 से लागू किया गया। स्वर्ण सिंह समिति ने भारत के नागरिकों के लिए आठ प्रकार के कर्तव्यों का सुआव दिया जिसे संविधान में शामिल किया गया। ये आठ प्रकार के कर्तव्य इस प्रकार हैं –

  • 1)  संविधान एवं कानून की रक्षा एवं उनकी पालना करना
  • 2)  राष्ट की संप्रमुता को बनाये रखना तथा ऐसे कार्य करना जिसे कि देश की एकता एवं अखंडता मजबूत हो सके।
  • 3)  संविधान में उल्लेखित जनतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करना तथा ऐसे कार्य नहीं करना जिससे कि इसके सम्मान और सत्ता को ठेस पहुंचे।
  • 4)  देश की रक्षा करना तथा जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा के लिए तत्पर रहना यहां तक कि सैनिक सेवा के लिए भी तैयार रहना।
  • 5)  साम्प्रदायिकता को किसी भी रूप में सहन नहीं करना।
  • 6)  राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने में राज्य की सहायता एवं सहयोग करना तथा लोगों के लिए भलाई के कार्य करना ताकि सामाजिक एवं आर्थिक न्याय मिल सके।
  • 7)  हिंसा की निंदा करना, सार्वजनिक सम्पति की रक्षा करना तथा ऐसे कार्य न करना जिससे कि सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान हो।
  • 8)  कानून के अनुसार कर अदा करना।

Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE

For PDF copy of Solved Assignment

WhatsApp Us - 9113311883(Paid)

Post a Comment

0 Comments

close