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शरणार्थी कौन है? शरणार्थीयों को कौन से अधिकार प्राप्त हैं?

वे लोग जिन्हें अत्याचार के कारण, जो व्यक्तिगत स्तर पर अथवा राजनीतिक, धार्मिक, सैनिक अथवा अन्य समस्याओं के कारण हो सकता है, अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ता है, शरणार्थी कहलाते हैं। शरणार्थी की परिभाषा में समय और स्थान के अनुसार परिवर्तन आता रहा है परन्तु शरणार्थियों की दयनीय दशा पर बढ़ती अन्तर्राष्ट्रीय चिन्ता के कारण इस पर एक आम सहमति बन गई है।

शरणार्थियों की अवस्थिति से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र अभिसमय 1951 (जिसे शरणार्थी अभिसमय भी कहा जाता है) की परिभाषा के अनुसार, शरणार्थी वह व्यक्ति है जो नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता विशिष्ट सामाजिक समुदाय की सदस्यता अथवा राजनीतिक मत के परिणामस्वरूप होने वाले अत्याचार के वास्तविक डर के कारण अपने देश अथवा राष्ट्रीयता से बाहर हैं तथा इस डर के कारण वह अपने देश की सुरक्षा का लाभ उठाना अथवा अपने देश वापस नहीं जाना चाहता क्‍योंकि वहाँ उस पर अत्याचार होने का खतरा है।*

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र में उच्चायुक्त के कार्यालय के कानून के अनुसार, “शरणार्थी वह है जो अपनी राष्ट्रीयता वाले देश या यदि कोई राष्ट्रीयता नहीं, तो अपने पुराने परम्परागत निवास वाले देश से बाहर है, क्योंकि उसे पूरी आशंका है कि उसकी नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता अथवा राजनीतिक मत के कारण उस पर अत्याचार किया जा सकता है और इस डर के कारण वह अपनी राष्ट्रीयता वाले देश द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा का लाभ नहीं उठाना चाहता और यदि उसकी कोई राष्ट्रीयता नहीं है, तो अपने परम्परागत निवास स्थान की तरफ वापस नहीं जाना चाहता।

शरणार्थियों के अधिकार

शरणार्थियों के मानव अधिकारों के उल्लंघन की संभावना अत्यधिक होती हैं तथा वे अपने अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त करने में भी असमर्थ होते हैं। जैसा कि ऊपर चर्चा की गई, शरणार्थी वे लोग होते हैं जिन्हें अपने देश में काफी खतरा होता है तथा वे सुरक्षा की खोज में अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं। उन्हें अपने देश से भागने तथा एक ऐसा देश ढूँढने की आवश्यकता पड़ जाती है जो उन्हें शरणागति दे कर कानूनी सुरक्षा (अर्थात्‌ शरणार्थी का दर्जा) प्रदान कर सके |.उन्हें जबरन अपने देश वापस नहीं भेजना चाहिए जहाँ उनके मानव अधिकारों के उल्लंघन का खतरा हो। जब तक वे शरणागति वाले देश में हैं उन्हें न्यूनतम मानवतावादी व्यवहार का आश्वांसन दिया जाना चाहिए और जब यदि उनके लिए स्वदेश जाना सुरक्षित हो जाएँ तो उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय सहायता तथा उनके मानव अधिकारों की निगरानी की आवश्यकता पड़ सकती है ताकि उनका समाज के साथ पुनःसंघटन सफल हो सके।

शरणार्थी अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून के संदर्भ में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शरणार्थी सबसे पहले मानव हैं और मानव होने के नाते वे कुछ मानव अधिकारों के हकदार हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार कानून के अंतर्गत शरणार्थियों के लिए सबसे बड़ी सुरक्षा भेदभावहीनता का सिद्धान्त है जो यह आश्वासन प्रदान करता है कि शरणार्थी, हालाँकि वे शरणागति देश के नागरिक नहीं हैं, भी नागरिकों की भाँति समान मौलिक अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के हकदार हैं। सामान्यतः मानव अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय सूची (अर्थात्‌ मानव अधिकारों के सार्वभौमिक घोषणापत्र, नागरिक-राजनीतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा, (ICCPR) तथा आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसंविदा (ICESCR) कुछ एक अपवादों (जैसे वोट का अधिकार) को छोड़कर सभी नागरिकों एवं गैर-नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं। इसका अर्थ यह है कि अपने देश से बाहर होने के बावजूद शरणार्थी अपने मूल मानव अधिकारों के सम्मान का हक रखते हें। इसके अतिरिक्त मानव अधिकारों का सार्वमौमिक घोषणापत्र निम्नलिखित विशेष अधिकारों का वर्णन करता है:

अनुच्छेद 13.2 प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी देश, अपने समेत, को छोड़ने तथा अपने देश वापस आने का अधिकार है।

अनुच्छेद 14.1 अत्याचार से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को किन्हीं दूसरे देशों से शरणागति माँगने तथा इनका उपभोग करने का अधिकार है। .

सभी लोगों की जबरन विलोप से सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अनुच्छेद 8 के अनुसार:

1) कोई भी राज्य किसी व्यक्ति को ऐसे राज्य में निष्कासित, वापस जाने अथवा प्रत्यार्पण नहीं करेगा जहाँ ऐसा विश्वास करने के ठोस प्रमाण हैं कि वहाँ उसके जबरन लोप हो जाने का खतरा है;

2) यह निश्चित करने के लिए कि ऐसा खतरा उपस्थित है, संबद्ध प्रशासक सभी सम्बद्ध पक्षों पर सोच विचार करेगा विशेषकर जहाँ उपयुक्त हो, उस सम्बद्ध राज्य में मानव अधिकारों के खुल्लमखुल्ला तथा सामूहिक उल्लंघनों के सुस्पष्ट पैटर्न का अस्तित्व |

उपरोक्त तथा कई अन्य प्रावधानों के बावजूद शरणार्थी अभी भी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, मानव अधिकारों से सम्बन्धित मुद्दों, जिनका शरणार्थी सामना कर रहे हैं का निम्न आधार पर समूहीकरण किया जा सकता है:

1) शरणागति प्राप्त करने का अधिकार: अर्थात्‌ उनकी अपना देश छोड़ने तथा शरणागति वाले देश तक पहुँच की क्षमता|

2) जबरन वापसी से सुरक्षा: अर्थात्‌ उनका अपनी सीमाओं अथवा समुद्री सीमाओं तक वापस न भेजने का अधिकार तथा उनका शरणागति के दावे की निष्पक्षता से सुनवाई का अधिकार।

3) शरणागति वाले देश में शरणार्थी अधिकारों की सुरक्षा अर्थात्‌ उनके नागरिक अधिकार (उदाहरण के लिए, व्यक्तित्व की स्वतंत्रता तथा सुरक्षा, विचाराभिव्यक्ति, धार्मिक, स्वतंत्रता, भेदभावहीनता, आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा, समुचित जीवन का अधिकार) तथा किसी तीसरे देश में ऐच्छिक पुनर्वास।

4) स्वदेश वापसी का अधिकार अर्थात्‌ ऐच्छिक पुनर्वापसी तथा वापस जाने वालों की सुरक्षा का निरीक्षण |

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