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आत्म-नियंत्रण को कैसे विकसित किया जा सकता हैं?

 आत्म-विनियमन के एक भाग के रूप में आत्म-नियंत्रण में विचारपूर्वक स्वयं के संवेगों, विचारों और कार्यों को नियत्रित करने की क्षमता सम्मिलित हैं। इसमें सांवेगिक विनियमन, नियंत्रण और दृढ़ता जैसे कौशल शामिल है।

आत्म-विनियमन के लिए रणनीतियों में से एक स्व-दूरी (शा-ठाअभाणआए्ट) है। यह स्वयं के संवेगों को नियत्रित करने में सहायता कर सकती है। स्व-दूरी से तात्पर्य किसी व्यक्ति द्वारा अपने विचारों, भावनाओं या कार्यों के विषय में बाहय-परिप्रेक्ष्य से सोचना है जिससे कि व्यक्ति द्वारा स्वयं एवं उद्दीपक के बीच जानबुझ कर एक मानसिक या मनोवैज्ञानिक दूरी सृजित किया जाता है (क्रास और अयडुक, 2011)। यह दूरगामी परिप्रेक्ष्य हमें नकारात्मक संवेगों से ध्यान हटाकर हम जो भावनाऐएँ और संवेगों को महसूस कर रहे हैं, वह क्‍यों कर रहे हैं, इसके उपर ध्यान देता है। इससे जब हम इन पिछले नकारात्मक संवेगों को याद करते हैं, हम बेहतर रूप से सामना कर सकते हैं (निग, 2017)।

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