1350 ई.पू. के आसपास असीरियाई साम्राज्य का उदय हुआ और उत्तरी मेसोपोटामिया में यह एक नयी घटना थी, जिसका पश्चिमी एशिया के इतिहास मे अपना स्थान है। पश्चिमी एशिया में एक वृहत् साम्राज्य की स्थापना कौ, जिसके कारण वे पश्चिमी एशिया में कई वर्षों तक अपने वर्चस्व को बनाये रखने में सफल रहे। इनके साम्राज्य निर्माण के संबंध में यह कहा जाता है कि इन्होंने ही साम्राज्य युग की शुरुआत की। जनजीवन स्थानान्तरण का जो दौर मेसोपोटामिया में शुरू हुआ था। उसी के फलस्वरूप असीरियाई लोग भी मेसोपोटामिया में प्रवेश कर गये। ये लोग ऊपरी टिगरिस क्षेत्र के रहने वाले थे। इनके नाम भी उत्पत्ति अश-शुर के नाम से हुई, जो इन लोगों का प्रमुख देवता था। इनके साम्राज्यों को भी बाद में इसी नाम से जाना जाने लगा। आधुनिक इतिहासकारों ने इनके साम्राज्य के लिए अस्सुर और उनकी राजशाही को और वहां के निवासियों को क्रमश: असीरिया और असीरियाई के नाम से जाना जाता है।
बेबीलोनिया साम्राज्य पर जब हित्ती आक्रमण से अव्यवस्था फैली, तो वहां कैसियाई कबीले का अधिकार हो गया। इनका मुख्य प्रभुत्व 1350 ई.पू. तक दक्षिणी क्षेत्र तक कायम रहा और उत्तरी क्षेत्र में प्रमुख रूप से नियन्त्रण बनाये हुये था। इसी क्षेत्र पर जब मित्तनियों के वर्चस्व का अन्त हुआ तो बाद में असीरियाई साम्राज्य का उदय हुआ। असीरियाई साम्राज्य का विस्तार शलमनेसर- के शासन काल में पश्चिम की ओर सीरिया तक फैला। इन्होंने दक्षिणी में अपना अधिकार जमाए हुये कबीले कैसाइट पर कब्जा किया और शलमनेसर ॥ के उत्तराधिकारियों ने भी असीरियाइयों को मजबूती प्रदान की और इस साम्राज्य का विस्तार किया। इस वंश का शासन असीरियाई साम्राज्य का विस्तार हुआ और इसको एक सुसंगठित रूप मिला। इसी राज्य ने सीरिया पर कब्जा किया। लेबनान समुद्र तट के किनारे पर बसे 'फीनिशियाइयों के शहर से इस राजा ने नजराना वसूल किया, बेबीलोनिया पर अधिकार किया और असीरियाई साम्राज्य को पश्चिमी एशिया की सबसे महत्त्वपूर्ण शक्ति बना दिया।
असीरियाई साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक अशुरनासिरपाल-त को माना जाता है। इसने असीरियाई साम्राज्य के विस्तार को स्थायित्व दिया और इस साम्राज्य को मजबूत आधार प्रदान किया। सीरिया पर इसने कई बार आक्रमण किया। अशुरनासिरपाल ॥ ने अस्सुर के निकट कलहु को अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद इसका पुत्र शलमनेसर॥ शासक बना और उसने असीरियाई साम्राज्य का विस्तार किया। इस समय में अरमेनिया, सीरिया, फिलिस्तीन और फारस की खाड़ी से सटे कई क्षेत्रों पर आक्रमण किये गये। इसके बाद शलमनेसर वा शासक बना और इसके बाद असीरियाई की गदूदी पर बैठने वाला तिगलेथपिलेसर था, जो कि महत्त्वपूर्ण शासक माना जाता है। इसके गद्दी पर बैठने के प्रारम्भिक समय से असीरियाई शक्ति लगातार बढ़ती जा रही थी। बाद के समय में इस शासक ने असीरियाई शक्ति को संगठित किया और असीरियाई राज्य को उसके उत्कर्ष तक पहुंचा दिया। इसने बेबीलोनिया पर अपने वर्चस्व को पुनः कायम किया। इसने पूर्व में जगरोस पहाड़ी तक अपना अधिकार स्थापित किया और ईरान के मेदिया क्षेत्र पर भी अपना कब्जा बनाया। तिगलेथपिलेसर III ने एक वृहद् साम्राज्य की स्थापना की, जो भूमध्यसागरीय तट से लेकर कैसपियन सागर तक और तौरस तथा जगरोस पहाड़ियों से लेकर 'फारस की खाड़ी तक फैला हुआ था। इसके बाद आने वाले शासक सारगोन तर के अधीन भी इस साम्राज्य की शक्ति बढ़ती रही। सारगोन पर के उत्तराधिकारियों के समय इस साम्राज्य का हास होना शुरू हुआ और यह साम्राज्य नष्ट हो गया।
असीरियाई साम्राज्य में वास्तविक रूप से जो विस्तार और इसकी शक्ति में जो बढ़ोतरी हुई, वह इसके महत्त्वपूर्ण शासकों के कारण हुई, क्योंकि इस पर समय-समय पर एक बढ़कर एक महत्त्वपूर्ण और शक्तिशाली शासकों ने शासन किया था।
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box