सर्वहारा क्रांति सर्वहारा के अधिनायकत्व की स्थापना करेगी। यह समाजवादी राज्य के नाम से भी जानी जाती है। पूंजीपति वर्ग द्वारा उत्पन्न राज्य के अंग, जो सर्वहारा को दबाने का काम करते थे, उसका नियंत्रण सर्वहारा वर्ग के हाथ में ही होगा। पूंजीपति वर्ग पुरानी व्यवस्था को पुनः प्राप्त करने के लिए विरोधी क्रांति करने की कोशिश करेगा और इस प्रकार राज्य मार्क्सवाद की दमनकारी संस्थाओं द्वारा पूंजीपति वर्ग को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
राज्य सदैव दमन का साधन रहा है। प्रभावी वर्ग ने आश्रित वर्ग पर दमन करने के लिए राज्य की उत्पत्ति की है। यह एक वर्ग साधन है। राज्य रक्षा करता है और अपने निर्माता के हितों का ख्याल करता है, जो सम्पत्ति संपन्न वर्ग होता है। यह वर्ग सदैव अल्पसंख्यक रहा है, चाहे वह स्वामी या सामंत या पूँजीपति हो। इस प्रकार अल्पसंख्यक बहुसंख्यक का शोषण करते रहे हैं, जैसे गुलामों या किसानों या सर्वहारा का राज्य के दमनकारी अंगों द्वारा।
सर्वहारा के अधिनायकत्व के अंतर्गत, पहली बार राज्य बहुसंख्यक के नियंत्रण में आता है। अब पहली बार राज्य के दमनकारी यंत्र का उपयोग बहुसंख्यक के द्वारा अल्पसंख्यक के विरुद्ध होता है। मार्क्स के अनुसार सभी राज्यों का अधिनायकत्व रहा है। अतः समाजवादी राज्य कोई अपवाद नहीं है। यह भी एक अधिनायकत्व है। राज्य का इस्तेमाल सदैव एक वर्ग का दूसरे वर्ग को दबाने के लिए किया जाता रहा है।
समाजवादी राज्य में सर्वहारा वर्ग राज्य के दमनकारी अंगों जैसे सेना, पुलिस, जेल, न्यायिक प्रणाली इत्यादि का प्रयोग पूंजीपति वर्ग के विरुद्ध करेगा। मार्क्स तर्क देते हैं कि यदि प्रजातंत्र का अर्थ बहुसंख्यक का शासन होता है, तो सर्वहारा राज्य सबसे प्रजातांत्रिक राज्य है क्योंकि पहली बार इतिहास में सत्ता बहुसंख्यक के हाथों में आती है। सर्वहारा राज्य के पहले, सत्ता सदैव अल्पसंख्यकों के हाथों में रही है। इसलिए यदि बहुमत का शासन मापदंड है, तो मात्र सर्वहारा राज्य ही प्रजातांत्रिक राज्य कहा जा सकता है।
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