प्रतिभा पर वरिष्ठता व वंशवाद को वरीयता: कांग्रेस ने हमेशा प्रतिभा से अधिक वरिष्ठता और वंशवाद को तरजीह दी है। एक ताजा उदाहरण राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ का चयन था, क्रमशः सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया के ऊपर यह कहना नहीं है कि पायलट और सिंधिया वंशवादी नहीं हैं, बल्कि वे गहलोत और नाथ से बहुत छोटे हैं और नए विचारों से मतदाताओं को आकर्षित कर सकते थे। इसके बजाय, गहलोत और कमलनाथ जैसे बुजुर्गों को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, जिन्होंने विधानसभा । लोकसभा चुनाव अभियान को वित्तपोषित किया।
नेहरू गांधी से परे देखने में असमर्थता: कांग्रेस पिछले कुछ दशकों में शामिल नेहरू-गांधी बन गई है। परिवार के बाहर के नेता को पार्टी का नेतृत्व करने के रूप में नहीं देखा जा सकता है। संभव है कि राहल गांधी के स्थान पर एके एंटनी या अशोक गहलोत जैसे डमी नेता को पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना जा सकता है। लेकिन ऐसी व्यवस्था में पार्टी चलाने वाला परिवार ही होगा।
कांग्रेस के ज्यादातर नेता जानते हैं कि सड़ांध ऊपर से शुरू होती है, लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह इसके लिए राहुल गांधी को दोष दें। इसलिए राज्य के मुख्यमंत्रियों या डेटा एनालिटिक्स प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती या सोशल मीडिया प्रमुख दिव्या स्पंदना को दोष देने का प्रयास।
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