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आर्य वसुबंधु की रचनाओं पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखें।

आर्य वसुबन्धु की ग्रंथ सम्पदा-अभिधर्मकोष आर्य बसुबन्धु का सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसकी रचना उन्होंने आठ परिच्छेदों में की है। ये आठ परिच्छेद इस प्रकार हैं

धातु निदर्श, इन्द्रिय निदर्श लोकधातु निदर्श, कर्म निदर्श, अनुशय, आर्य मार्ग, ज्ञान तथा ध्यान राहुल सांकृत्यायन के अनुसार-“यह ग्रंथ (अभिधर्म कोष) हीनयान के सभी निकायों का सम्मिलित ग्रंथ है।

वसुबन्धु ने कश्मीर के वैभाषिक मत के अनुसार इस ग्रंथ की रचना की थी। आर्य वसुबन्धु 18 निकायों तथा महायान के दार्शनिक सिद्धान्तों के ज्ञाता एवं एक प्रतिभाशाली दार्शनिक थे।

अभिधर्मकोष के अतिरिक्त वसुबन्धु के अन्य महत्त्वपूर्ण ग्रंथ हैं कर्मसिद्धि प्रकरण’, ‘त्रिरचभावनिर्देश’, ‘विज्ञप्तिमात्रतासिद्धि त्रिंशिका तथा विशिका इत्यादि राहुल सांकृत्यायन के अनुसार, वसुबन्धु की 55 रचनाओं के अनुवाद उपलब्ध हैं। 

वसुबन्धु ने वज्रयान सम्प्रदाय से सम्बन्धित किसी ग्रंथ की रचना नहीं की। वसुबन्धु को रचनाओं की सूची इस प्रकार है

(1) बौद्ध सामान्य- (i) अभिधर्म, (ii) प्रमाण शास्त्र (iii) टीका, (iv) कथा।

(2) महायान- (i) विज्ञानवाद (क) मूल एवं (ख) टीका; (ii) स्रोत।

(1) बौद्ध सामान्य वसुबन्धु के अभिधर्म से सम्बन्धित ग्रंथ हैं- अतिमोपदेश, अभिधर्मकोशकारिका, अभिभाष्य, गाथासंग्रहशास्त्र, गाथा अर्थ, निर्वाणशास्त्र शास्त्र तथा निर्वाणसूत्र
वसुबन्धु का प्रमाणशास्त्र से सम्बन्धित ग्रंथ

वसुबन्धु के टीका से सम्बन्धित ग्रंथ है- नागार्जुन भाष्य, ग्रंथशीर्ष, ग्रंथ आख्यान, धर्मचक्रप्रवर्तनसूत्रोपदेश, प्रतीत्यसमुत्पादादि गवभंगभाष्य, बुद्धहानुस्मृतिटीका

वसुबन्धु के कथा से सम्बन्धित ग्रंथ हैं- पंचकाम गुणोपालभनिर्देश सप्तगुणविवरणकथा तथा सम्बन्धपरिकथा शीलपरिकथा सप्तगुणपरिवदनकथा,

(2) महायान-विज्ञानवाद के अन्तर्गत मूल से सम्बन्धित आर्य वसुबन्धु के ग्रंथ हैं- अपरिमितायु शास्त्र कर्मसिद्धिप्रकरण (3 भाग), चतुधर्मोपदेश, त्रिपूर्णसूत्रोपदेश, त्रिस्वभावनिदेश, दशभूमिकाशास्त्र, व्याख्यान, ध्यानव्यवहार, पंचस्कंधशास्त्र प्रकरण, बुद्धगोत्रशास्त्र, बिधिचितोत्पाद, मध्यातविभाग, टीका, महायानशतधर्मविद्याद्वार, वज्रच्छेदिकाशास्त्र व्याख्या, विज्ञप्ति मात्रता, विज्ञप्तिमात्रतासिद्धि, विज्ञप्तिमात्रताविशिकाकरि, वृत्ति, व्याख्यायुक्ति तथा सूत्रखण्डशत

टीका से सम्बन्धित बसुबन्धु के ग्रंथ हैं अक्षयमतिनिर्देशटीका धर्मधर्मताविभगवत्ति, भद्रचर्याप्रणि टीका, महायानशतधर्मप्रकाशद्वार, महायानसंग्रह भाष्य वज्रच्छेदिकासप्तार्थटीका. विवत्तगुह्यार्थपिण्डव्याख्या विशेषचिंताब्ररमपरिपृच्छाटीका पश्मुखी धारणीव्याख्या शतशास्त्रटीका शमथविपश्यनाद्वार सद्धर्मपुंडरीकसतटीका तथा सूत्रालंकारव्याखान।

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