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आपातकालीन प्रचालन केन्द्रों (EOC) पर एक टिप्पणी लिखिए।

 आपात प्रचालन केन्द्र हमेशा भूकम्प जैसी भयंकर आपदाओं के आने पर शीघ्र क्रियाशील एवं कार्य करने के लिए तत्पर अवस्था में रखा जाता है।  चेतावनी अथवा प्रथम सूचना रिपोर्ट प्राप्त होते ही आपात प्रचालन केन्द्र पूर्णतः कार्य करना शुरू कर देता है। आपदाओं के दौरान आपात प्रचालन केन्द्र रात-दिन कार्यरत रहता है। आपात प्रचालन केन्द्र आपदा प्रबंधन अभिकरण के अध्यक्ष के स्पष्ट निर्देश के अंतर्गत कार्य करता है।

राष्ट्रीय आपात प्रचालन केन्द्र देश में आपदा अनुक्रिया से संबंधित समस्त कार्यकलापों का केन्द्र होगा। संसाधनों, आपदा आपूर्तियों और अन्य अनुक्रिया कार्यकलापों के महत्त्वपूर्ण प्रबंधन के लिए नोडल बिन्दु और केन्द्र स्थापित करने होंगे। इन बिन्दुओं का एक सुव्यवस्थित नेटवर्क होना चाहिए, जो केन्द्र से शुरू होकर राज्य तक और आपदा स्थल तक व्याप्त होना चाहिए।

आपात प्रचालन केन्द्र में प्रचालन संबंधी कार्य को पूर्ण करने की निम्नलिखित विशेषताएँ है

1) आपातकालीन स्थितियों की जरूरतें पूर्ण करने के लिए कार्यों की योजना बनाने और प्रचालनात्मक स्थान के अनुकूल बनाने की जरूरत होती है।

2) यह दीर्घावधि के कार्यों की मदद करने योग्य होना चाहिए जैसे यह समयावधि आपात स्थितियों में निर्वाध रूप से हो सकती है। 

3) संभावित खतरों से इसकी रक्षा की जानी चाहिए और इसके प्रचालनों की संवेदनशील सूचना का अप्राधिकृत रूप से पता नहीं चलने देना चाहिए। संभावित खतरों से सुविधाओं, उसके अधिवासियों, संचार उपकरणों और प्रणालियों को बचाने के लिए समुचित सुरक्षा और ढांचागत अखण्डता होनी चाहिए।

4) इसे अनुभवी खतरों के प्रभावों से बचने के लिए सक्षम होना चाहिए और आपात प्रचालन केन्द्र से संचालनों को जारी रखना चाहिए।

5) उन्हें अन्य आपात प्रचालन केन्द्रों के साथ सामान्य संचालन सिद्धान्तों का आदान-प्रदान करने और उनके साथ दैनिक और समय-सूचना का आदान-प्रदान करने योग्य होना चाहिए।

इसलिए संचार संपर्क प्रणालियाँ जैसे-रेडियो कोड, वेव कनेक्टिविटी पर मुख्य रूप से विचार होना चाहि आपात प्रचालन केन्द्र का उद्देश्य-राष्ट्रीय स्तर पर आपात प्रचालन केन्द्र का लक्ष्य निम्नलिखित कार्यों में से किसी भी अथवा सभी के संबंध में केन्द्रीकृत निर्देश और नियंत्रण प्रदान करता है ।

1) संचार और चेतावनी।

2) आपदा के समय आपदा प्रभावित क्षेत्र के समीपवर्ती क्षेत्रों से अतिरिक्त संसाधनों के लिए अनुरोध करना।

3) आपात संचालन।

4) केन्द्रीय और राज्य अभिकरणों संबंधी विशेष आपात सूचना और अनुदेश जारी करना, नुकसान आकलन आंकड़ों को समेकित करना, उनका मूल्यांकन करना और प्रचार करना।

5) अंतर्राष्ट्रीय सहायता और योगदान में समन्वय स्थापित करना।

आपात प्रचालन केन्द्र का स्थान निर्धारण – आपात प्रचालन केन्द्र को सुनिश्चित विन्यास के अनुसार संपूर्ण बुनियादी संरचना वाले उपयुक्त स्थान पर स्थापित किया जाता है 

1) आपात प्रचालन केन्द्र का सक्रियण खतरे की संभावना के तुरंत बाद शुरू होना चाहिए।

2) जो व्यक्ति आपातकाल की घोषणा करता है, वही आपात प्रचालन केन्द्र के स्थान की भी घोषणा करता है।

3) केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार अथवा उसके द्वारा नामित व्यक्ति आपात प्रचालन केन्द्र की आपात सेवाओं को कार्यान्वित करने के लिए पहल करता है।

4) आपात प्रचालन केन्द्र की सुरक्षा प्रदान का दायित्व पुलिस द्वारा नामित अधिकारियों पर होता है।

5) आपात प्रचालन केन्द्र में कार्यरत स्टाफ पर रेडियो, टेलीफोन आदि के माध्यम से अपने-अपने संबंधित विभागों से संचार संपर्क स्थापित करने का दायित्व होता है।

आपात प्रचालन केन्द्र में निम्नलिखित व्यक्ति होते हैं

(i) आपात प्रचालन केन्द्र प्रभारी :- आपात प्रचालन केन्द्र में प्रभारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है और वही संगठन, संग्रह में संपूर्ण समन्वय और निर्णयन के लिए जिम्मेदार होता है। वह आपात प्रचालन केन्द्र प्रचालनों और आपदा स्थिति की रिपोर्ट केन्द्र और राज्य अभिकरणों को देता है।

(ii) प्रचालन अनुभाग-प्रचालन अनुभाग आपात प्रचालन केन्द्र की सुचारु और योजनाबद्ध प्रक्रिया को निर्धारित करता है।

यह निम्नलिखित कार्य को पूरा करेगा

1) आपात प्रचालन केन्द्र के प्रकार्यों के लिए वित्त की व्यवस्था करता है।

2) आपात प्रचालन केन्द्र के प्रबंधन के लिए जिम्मेदारी और कार्य निर्दिष्ट करता है।

3) संसाधन वस्तु तालिकाओं, आबंटन और उपलब्धता का प्रलेखन करता है।

4) आने वाले उपकरणों के भण्डारण, संचालन और कार्यकर्ताओं की व्यवस्था करता है।

(iii) संबद्ध मंत्रालयों के प्रतिनिधि :- आमतौर पर निम्नलिखित संबद्ध मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को कार्यों में भाग लेने तथा आपात प्रचालन केन्द्र अदिश एवं उनके मूल संगठनों के बीच शीघ्र समन्वय को प्रोत्साहित करने के लिए आपात प्रचालन केन्द्र पर मौजूद रहना चाहिए,  ताकि आपदा अनुक्रिया के लिए शनि सूचका पता चारार्थ जसको प्रस्तावित आपात प्रचालन केन्द्र स्टॉफ-आपात प्रचालन केन्द्र में शामिल विभागीय प्रतिनिधियों के अलावा आपात प्रचालन केन्द्र में मूलभूत कार्यों का संचालन करने के लिए का विशेष स्टॉफ की जरूरत होती है। ये निम्नलिखित हैं.

1) संचार और चेतावनी अधिकारी,
2) मुख्य कार्यपालक

3) जन सूचना अधिकारी
4) सम्पर्क अधिकारी

5) टेलीफोन प्रचालक
6) रेडियो प्रचालक

7) संदेशवाहक
8) सुरक्षा अधिकारी

9) आश्रय प्रचालन संपर्क अधिकारी
10) आपदा आकलन अधिकारी

11) पुलिस संपर्क अधिकारी
12)आपातकालीन प्रबंधन निदेशक

13) अग्निशमन संपर्क अधिकारी
14) अस्पताल संपर्क अधिकारी।

आपात प्रचालन केन्द्र का अभिविन्यास और डिजाइन-संपूर्ण रूपरेखा वाले आपात प्रचालन केन्द्र के आपात अनुक्रिया प्रयासों में सामंजस्य के लिए सुविधा के रूप में कार्य करना चाहिए, जो महत्त्वपूर्ण और सक्षम हो। आपात प्रचालन केन्द्र का ऐसा स्वरूप होना चाहिए जो किसी भी गंभीर आपदा घटित होने पर बुलाए गए अत्यधिक प्रतिनिधियों का संचालन कर सके। आपात प्रचालन केन्द्र के पास उपयोक्ता अनुकूल अभिविन्यास और आपदा प्रतिरोधी भवन में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए 

1) प्रचालन कक्ष
2) मनोरंजन कक्ष और कैण्टीन

3) संचार और विद्युत आपदा उपयोग नियंत्रण कक्ष
4) भण्डार कक्ष

5) प्रोजेक्शन प्रणालियाँ
6) शयनागार
7) शौचालय।

आवश्यक उपकरण-आपात प्रचालन केन्द्र के लिए चौवीसी घट कार्य करना होगा और आपदा के प्रभाव के कारण प्रतिकूल स्थितियों में हो सकता है। इसे उसकी दक्ष प्रक्रिया प्रणाली के लिए निम्नलिखित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर होना जरूरी है

1) संचार उपकरण वाला मोबाइल निर्देश वाहन

2) संबद्ध मंत्रालयों के समस्त प्रतिनिधियों के लिए कार्य स्टेशन और संचार लाइनें।

3) वीडियो कांफ्रेसिंग सुविधा

4) आपातकालीन विद्युत सहायता।

5) तनावपूर्ण स्थितियों में दीर्घकालीन समय तक तैनात कर्मचारियों के लिए अपेक्षित सुविधाएँ।

6) चैनलों पर चलने वाले ऐसे रेडियो और टेलीविजन सेट, जिन पर अनेक समाचार प्रसारित होते हों।

7) शीघ्र पुनः प्राप्ति और मूल्यांकन के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली के प्लेटफॉर्म पर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर में संसाधनों की वस्तु तालिकाओं और मानचित्रों तथा योजनाओं का डाटाबैंक।

संसाधन वस्तु तालिकाएँ :- संसाधन वस्तु तालिका आपात प्रचालन केन्द्र के कार्यों के लिए अनिवार्य घटक हैं। ऐसी वस्तु तालिकाओं को राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर नियमित रूप से अद्यतन करके तैयार करना चाहिए। वस्तु तालिकाओं में निम्नलिखित मूल घटक और अन्य स्थानीय रूप से प्रासंगिक सूचना सम्मिलित होती है

1) राहत सामग्री की विशेष विवरणों की सूची और दर अनुसूचियाँ जो स्थानीय मदद अभिकरणों और बाजारों से लिए जा सकते हैं।

2) उन समस्त उपकरणों की विशेष विवरणों की सूची और उपलब्धता प्रक्रिया जो आपात की अनुक्रिया करने के लिए उपयोगी हो सकते हैं। 

3) आपात प्रबंधन से संबंधित समस्त कार्यकर्ताओं और संस्थाओं के संपर्क विवरण।

क्षेत्र समन्वय प्रणाली :- आपात प्रचालन केन्द्र को क्षेत्र में अपना क्षेत्र दल को भेजना और उनके माध्यम से क्षेत्र समन्वय प्रणाली स्थापित करनी पड़ती है। प्रणाली में निम्नलिखित शामिल होंगे

1) क्षेत्र सूचना संग्रह।

2) क्षेत्र स्तर पर अंत:अभिकरण समन्वय।

3) क्षेत्र निर्देश।

4) क्षेत्र प्रचालनों, योजना, संभारतंत्र, वित्त और प्रशासन का प्रबंधन।

5) स्वरित आकलन दल और शीघ्र अनुक्रिया दल।

ज्यादातर मामलों में आपात प्रचालन केन्द्र ने बेहतर भूमिका निभाई है। यहां तक कि जिन मामलों में आपात प्रचालन केन्द्र ने आपदा योजना के लिए कोई योजना नहीं बनाई है, तब भी कार्यकलाप के केन्द्रीय स्थल के रूप में आपात स्थिति के दौरान सहजता से आगे आने की संभावना रहती है। लगभग 180 स्थानीय आपदाओं का सर्वेक्षण किया गया, जिससे बाद में आपात प्रचालन केन्द्रों की सफलता की उच्च दर उभरकर सामने आई है, फिर भी कुछ समस्याएं आती हैं। जैसे - 

1) आपात प्रचालन केन्द्रों की संख्या-विभिन्न क्षेत्रों में अनेक आपात प्रचालन केन्द्र विकसित हो सकते हैं, जो आपदा की स्थिति को अव्यवस्थित बना सकते हैं। बाहरी अभिकरणों को ज्ञात नहीं होता है कि किससे, कहाँ और कब संपर्क करना है। ऐसी स्थिति में संगठनात्मक समन्वय में भयंकर समस्या हो सकती है। 

2) वैकल्पिक आपात प्रचालन केन्द्र स्थल-यदि मूल सुविधाएं प्रयोग न की जाए, तो वैकिल्पक स्थान की व्यवस्था की जाती है। यह अनुमान लगाया गया है कि ज्यादा-से-ज्यादा आपदाओं के साँचा भाग के लिए आपदा केन्द्र को हटाना समस्या वाचाया है।

3) आपात प्रचालन केन्द्र स्थान निर्धारण के संबंध में जानकारी-कार्यकलापों से पता चला है कि महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों और संगठनों को आपात प्रचालन केन्द्र के संबंध में जानकारी नहीं होती क्योंकि इनका आपदा प्रबंधन योजनाओं में वर्णन नहीं होता है, क्योंकि यह आपदा प्रबंधन अभ्यासों तक में भी इन्हें प्रमुख रूप से प्रस्तुत नहीं किया जाता।

4) आपात प्रचालन केन्द्र प्रबंधन के उत्तरदायित्व-प्रबंधन के उत्तरदायित्व के संबंध में आपदा योजना में विशिष्टतापूर्वक वर्णन किया जाना चाहिए कि किस संगठन को कौन-सा स्थान आबंटित किया जाए।

5) निर्णय करने वाले प्राधिकरण के साथ उनकी उपस्थिति-आपात प्रचालन केन्द्रों में तैनात जनसमूह आमतौर पर संबंधित संगठनों के मध्य स्तर के व्यक्ति होते हैं। इन कार्मिकों को ऐसा नेतृत्व, नवीनता और सृजनशीलता प्रदर्शित करने के बदले अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन सख्ती के साथ कराया जाता है। इसलिए यह माना जाता है कि संबंधित संगठनों से उच्च स्तर के कार्मिक सम्मिलित किए जाने चाहिए। 

6) आपात प्रचालन केन्द्र में प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन-निजी क्षेत्र के रेडक्रॉस और निजी उपयोगिता कम्पनियों को कुछ प्रमुख संगठनों आपात प्रचालन केन्द्रों से अलग रखा जाता है। अस्पताल एक अन्य महत्त्वपूर्ण केन्द्र है, जिसे आपात प्रचालन केन्द्र में शामिल नहीं किया जाता।

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