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मुंशीजी तो भोजन करने गये और निर्मला द्वार की चौखट पर खड़ी सोच रही थी-भगवान्‌ क्‍या इन्हें सचमुच कोई भीषण रोग हो रहा है?

 सन्दर्भ पस्तुत गद्यांश मुंशी प्रेमचद के उपन्यास ‘निर्मला से लिया गया निर्मला का विवाह एका अधिक आयु के व्यक्ति मुंशी तोताराम ने हुआ है दोनों की आयु में बहुत अंत्र है इस कारण निर्मला को शारीरिक सुख नहीं मिल पाता। इस गद्यांश में निर्मला के मन के विचार प्रकट हो रहे हैं, जिन्हें वह मुंशीजी और अपने सम्बन्ध को लेकर सोच रही है।

व्याख्या- मंसाराम द्वारा सांप मारने और रुक्मिणी के सामने अपनी मर्दानगी की डोंग मरते समय मुंशी तोताराम को झेंप होती है और वे क्ता खाने चले जाते हैं, किन्तु निर्मला द्वार की चौखट पर खड़ी सोचती है कि मुंशी को कोई भयंकर रोग हो गया है जिसे छिपाने के लिए ये मेरे सामने इस तरह का दिखावा करते हैं।

वह सोचती है कि ईश्वर उसकी अवस्था को और अधिक दारुन तो नहीं बनाना चाहते, वह सोचती है कि अपने पति की सेवा करके सुख प्राप्त कर लेती किन्तु आयु का भेद मिटाना तो उसके वश में नहीं है।

फिर वह सोचती है कि उसके पति उससे क्या चाहते हैं, फिर वह समझ जाती है कि आयु का भेद होने के कारण उसके पति उससे सीधे-सीधे कुछ नहीं कह पाते और तरह-तरह के दिखावे करते हैं, अगर वह पहले यह बात समझ जाती तो उन्हें इस तरह के दिखावे नहीं करने पड़ते और उसे भी पति के सहचर का सुख मिल जाता।

विशेष- 

1. अनमेल विवाह की समस्या पर विचार है।

2. भारतीय नारी के आदर्श की सजीव प्रस्तुति है।

3. पूरुष अधिक आय में विवाह तो कर लेता है, किन्तु इसकी टीस उसके मन में रहती है. इसकी झलक है।

4. भाषा विचारात्मक है।

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