यह सिद्धान्त मुख्य रूप से पश्चिमी यूरोप में प्रचलित है। यह एकीकरण प्रक्रिया के भौतिक तत्त्वों की अपेक्षा, विचारों, मानकों तथा पहचान की भूमिका पर अधिक बल देता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की व्याख्या में मानव विचारों, चिंतन तथा अभिकर्ता-कार्यालय (agency) की निर्णायक भूमिका मानी जाती है।
रचनावादियों (constructivists) का कहना है कि मानक (norms) मात्र अवरोधक होते हैं, परन्तु वे अभिकर्ता के रचनाकार का रूप ले लेते हैं।
एक प्रकार से रचनावाद विचारात्मक, भौतिक और संस्थागत क्षेत्रों के मध्य सेतु का कार्य करता है। यह इस तथ्य की उत्तम व्याख्या करता है कि एकीकरण की प्रक्रिया “कैसे” और “क्यों” चलती हैं।
इस प्रकार यह तार्किक विश्लेषणों के साथ अभिबिन्दुता (convergence) प्रस्तुत करता है। रचनावादी उपागम की सबसे बड़ी कमी यह है कि यथार्थवाद तथा अन्तर सरकारवाद के विपरीत, यह अभी तक शोध की रणनीति तक नहीं पहुंच पाया है।
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