1750 से 1770 के बीच इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ हुआ। लगभग पूरी 18वीं सदी तक परम्परागत तकनीकी ज्ञान जरूरत के अतिरिक्त और भी बड़ा आविष्कार नहीं हो सका। इस सदी में एक उल्लेखनीय कार्य 1769 में जेम्सवाट द्वारा कन्डेन्सर का आविष्कार है, जिसने न्यूकोमेन द्वारा बनाए गए वाष्प इंजन को अधिक कारगर बनाया। 1802 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने उच्चतर वाष्प दाब की खोज की। ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में विद्युत ऊर्जा से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण आविष्कार 1884 में चार्ल्स पार्सन्स ने किया। इसके आविष्कार डायनेमों को तेज गति से नाचने के लिए सक्षम बनाया।
जॉर्ज स्टीफेनसन और उसके बेटे रॉबर्ट ने रेल का इंजन बनाया। यह पूर्णतः वाष्प इंजन था। इसने यातायात व माल ढुलाई के क्षेत्र में उत्तरोत्तर विकास का मार्ग प्रशस्त किया। वाष्प-शक्ति ने समुद्री यातायात को बदल कर रख दिया। अमेरिका के रॉबर्ट फुल्टान ने क्लेरमोंट नामक स्टीम बोट में वाष्प इंजन का प्रयोग करके पहली बार प्रयोग किया। 1843 में ब्रिटेन में दुनिया का पहला लोहे का जहाज निर्मित हुआ। बिजली के आविष्कार में कई वैज्ञानिकों का योगदान रहा है जिसमें अमेरिका के बेंजामिन फ्रेंकलिन, इटली के एलेस्साट्रो वोल्टा और ब्रिटेन के | माइकेल फैराडे प्रमुख हैं। फैराडे ने 1831 में विद्युत-धारा और चुम्बकत्व के बीच के सम्बन्ध की प्रकृति को स्पष्ट किया।
19वीं सदी में छपाई के क्षेत्र उच्च गति वाले रोटरी प्रेस व लाइनोटाइप मशीन के प्रयोग ने छपाई में क्रांतिकारी बदलाव प्रस्तुत किए। संचार के क्षेत्र में इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ का आविष्कार ब्रिटेन के सर विलियम कुक और सर चार्ल्स ह्वीटस्टोन ने किया। पहली टेलीग्राफ लाइन अमेरिका में बाल्टिमोर और वाशिंगटन के बीच चली। 19वीं सदी में क्रीमिया के युद्ध में भारत में 1857 के विद्रोह के दमन में इसका कारगर इस्तेमाल किया गया। टेलीग्राफ के बाद 1876 में अलेक्जेन्डर ग्राहमबेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया। वायरलेस टेलीग्राफी का आविष्कार 19वीं सदी के अंत में मारकोनी ने किया।
चिकित्सा के क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण आविष्कार हुए। विलियम हार्वे द्वारा रक्त संचार की जानकारी, एडवर्ड जेनर द्वारा टीके की खोज प्रमुख हैं। टीके की खोज ने रोगों से बड़े पैमाने पर लोगों को मरने से बचाया। लुई पाश्चर ने टीकाकरण को और कारगर बनाते हुए कई रोगों से रोकथाम के टीके बनाए। पाश्चर को ही जीवाणुशास्त्र की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। एनेस्थेसिया के रूप में अमेरिका का योगदान महत्त्वपूर्ण है। इसके लिए नाइट्रस ऑक्साइड, ईथर और क्लोरोफार्म का इस्तेमाल किया जाता है।
1898 में रूटजेन द्वारा एक्स-रे की खोज ने रोगों की पहचान और उपचार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। सिग्मंड फ्रायड ने साइक्रियाटी को विकसित किया। चिकित्सा के क्षेत्र में इन आविष्कारों ने चिकित्सा कार्य के स्वरूप को ही बदल दिया। 20वीं सदी में इन आविष्कारों को और विकसित होने का मौका मिला तथा नये-नये आविष्कार भी हुए। जैसे वायुयान एंटीबायोटिक्स, रॉकेट, दूसरे ग्रहों पर यान भेजना, इलेक्ट्रॉनिक्स, परमाणु ऊर्जा कीटनाशक इत्यादि। इन सभी ने एक अकल्पनीय सामाजिक संरचना को जन्म दिया, जो संभावनाओं व खतरों से भरी हुई है। 20वीं सदी में लोहे के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर मिश्र धातु बनाई गई। इसमें टंग्सटन इस्पात, मैंगनीज इस्पात, स्टेनलेस इस्पात का व्यापक पैमाने पर उपयोग हो रहा है।
दवा के क्षेत्र में भी 20वीं सदी में काफी आविष्कार हुए। एस्पीरिन की खोज हुई। इसी सदी में सल्फोनल टिपनोटिक्स और बार्बिच्यूरेट दवाइयों पर भी काम हुए। एंटीबायोटिक के रूप में पेनसिलन की खोज अलेक्जेन्डर फ्लेमिंग द्वारा की गई। अमेरिका द्वारा 1990 से 2003 के बीच जीनोम प्रोजेक्ट पर कार्य हुए। विश्व के अन्य देशों में इस पर कार्य जारी है। 20वीं सदी में पहले से चली आ रही अनुसंधानात्मक प्रक्रिया और भी परिपक्व हुई। इन सभी को एक साथ अभिव्यक्त करना आसान नहीं है।
फिर कुछ आधारभूत और अत्यंत महत्त्वपूर्ण खोजों की चर्चा करना अनिवार्य है। इसी सदी में वायुयान, रॉकेट, अन्य ग्रहों पर यान भेजना, इलेक्ट्रॉनिक्स, परमाणु ऊर्जा, एंटीबायोटिक्स, कीटनाशक जैसी चीजें आविष्कृत हुईं, जिन्होंने सुविधा के साथ-साथ संकट भी उत्पन्न किया है। इस सदी की एक खास बात है कि यद्यपि लोहा आज भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है, लोहे के वर्चस्व को चुनौती मिल रही है। यह चुनौती मिश्र धातुओं द्वारा, मकानों में शीशे व कंक्रीट का अधिक मात्रा में उपयोग के कारण तथा प्लास्टिक जैसे नए पदार्थों के उत्पादन व व्यापक फैलाव के कारण है।
इस सदी में स्वयं लोहे के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर क्रमश: टंगस्टन इस्पात, मैगनीज इस्पात, स्टेनलेस इस्पात आदि मिश्र धातुएं बनाई गई हैं। दवा के क्षेत्र में 1856 में कुनैन के संश्लेषण की प्रक्रिया में कोलतार से प्रथम एनीलाइन डाई की खोज हुई। 1899 में एस्पीरिन की खोज हुई। इसी के साथ सल्फोनल हिपनोटिक्स और बार्बिच्यूरेट दवाइयों में भी उन्नति हुई। जर्मनी के पाल एहलिक ने सिफलिस रोग की दवा का पता लगाया।
1935 में एक जर्मन सिन्थेटिक डाइस्टफ कम्पनी ने प्रोन्टोसिल का आविष्कार किया, जो ब्लड प्वाइजनिंग रोकने की कारगर दवा सिद्ध हुई। अलेक्जेन्डर फ्लेमिंग ने पेनसिलिन का आविष्कार किया। एन्टीबायोटिक हानिकारक सूक्ष्मजीवियों से शरीर की रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने ने सफलता मिली। बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलॉजी में हुई नई खोजों में सूक्ष्म परीक्षणों एवं उपचारों को दिशा दी।
बायोमेडिकल, इंजीनियरिंग क्षेत्र में मिली सफलताओं ने फिजिशियनों एवं सर्जनों को अल्ट्रासाउन्ड, कम्पयूटराइज्ड एक्सीएल टोमोग्राफी (कैट स्कैन), न्यूक्लीयर मैग्नेटिक एजोनेंस के द्वारा अन्दरूनी शरीर की रचना एवं कार्यविधि की जाँच कर सकने में सक्षम बनाया। ह्यूमन जेनोम प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका में मनुष्यों के डीएनए और अन्य दूसरे अंगों के परीक्षण पर वैज्ञानिक शोध हुआ है, लेकिन अभी इसके आँकड़े प्रकाश में आने में समय लगेगा। विश्व के अन्य देशों में भी इस पर कार्य चल रहा है।
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box