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मानव संसाधन प्रबंधन को परिभाषित कीजिए तथा उसके कठोर और विनम्र पक्षों का विश्लेषण कीजिए।

 मानव संसाधन प्रबन्धन की परिभाषा –मानव संसाधन प्रबंधन को विभिन्न विद्वानों ने निम्नलिखित तरह से परिभाषित किया है - 

1. जॉर्ज टी. मिल्कोविच तथा डब्ल्यू जे. बोड्यू ने अपनी पुस्तक Human Resource Management, 1997 में परिभाषित करते हुए लिखा है-“मानव संसाधन प्रबंधन निर्णयों की एक समन्वित श्रृंखला है, जो कर्मचारी और नियोक्ता के संबंध को संचालित करती है। उनकी कार्यकुशलता संस्था और कर्मचारियों की उद्देश्य पूर्ति में सहायक होती है।”

2. डेविड ए. डिकेन्जो तथा पी. रोबिन्स ने अपनी पुस्तक Personnel/HRM, 1989 में मानव संसाधन प्रबंधन को इस प्रकार परिभाषित किया है-“मानव संसाधन-प्रबंधन लोगों से सम्बन्धित प्रबंधन है,

क्योंकि प्रत्येक संगठन मूलतः लोगों द्वारा निर्मित होता है, अतः उनकी सेवाएं निश्चित करना, कुशलता में वृद्धि करना, उन्हें प्रेरित करना, जिससे उच्च स्तर का निष्पादन सम्भव हो सके एवं वे संगठन के प्रति वचनबद्ध हों और अपने उद्देश्य की ओर उन्मुख हों, यह कार्य मानव संसाधन प्रबंधन का है। यह सभी संस्थाओं पर समान रूप से लाग होता है, चाहे वह सरकारी संस्था हो या निजी, सामाजिक हो या आर्थिक, शिक्षा से संबंधित हो या स्वास्थ्य से।”

3. एडबीन बी. फ्लीप्यो (Personnel Management, 1984) के अनुसार-“मानव संसाधन प्रबंधन मानव संसाधनों की प्राप्ति, विकास, क्षतिपूर्ति, समाकलन व अनुरक्षण के लिए, नियोजन संगठन, निर्देशन, नियंत्रण आदि क्रियाओं से संबंधित है, ताकि व्यक्तिगत, संस्थागत व सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।”

उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि मानव संसाधन प्रबंधन निर्णय लेने की वह शृंखला है, जिसके द्वारा नियोक्ता और कर्मचारी के बीच सम्बन्धों में सामंजस्य बैठाया जाता है। कर्मचारियों से संबंधित सभी समस्याओं का निपटारा भी मानव संसाधन प्रबंधन द्वारा किया जाता है।

मानव संसाधन प्रबंधन की विशेषताएं –कीथ सिस्सन ने मानव प्रबंधन की निम्नलिखित विशेषताओं का वर्णन किया है-

1. संगठन की सभी विभागीय नीतियों में समन्वयन होना चाहिए तथा यह मानव संसाधन नीतियों के अनुकूल होना चाहिए।

2. संगठन में कर्मचारी प्रबंधन की अधिकतर जिम्मेदारी लाइन प्रबंधकों पर होती है।

3. मानव संसाधन प्रबंधन को कर्मचारियों के स्व-विकास, कौशल में सुधार, उत्तरदायी प्रवृत्ति के विकास पर बल देना चाहिए।

आर्मस्ट्राँग ने मानव संसाधन प्रबंधन के कुछ मौलिक सिद्धांत बताए हैं :

1. संगठन में मानव पूंजी सबसे महत्त्वपूर्ण व आवश्यक सम्पदा है।

2. संगठन की कार्मिक नीतियाँ उद्देश्योन्मुख होनी चाहिए।

3. व्यावसायिक संस्कृति कर्मचारी कल्याण पर केन्द्रित होनी चाहिए।

उपर्युक्त के अलावा भी मानव संसाधन प्रबंधन की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं –

1. मानव संसाधन प्रबंधन एक विस्तृत कार्य प्रक्रिया है।

2. मानव संसाधन प्रबंधन संगठन की प्रत्येक नीति को प्रभावित करता है तथा उससे प्रभावित भी होता है।

3. प्रबंधन इस प्रकार से किया जाए कि मानव पूंजी का सर्वोत्तम उपयोग किया जा सके।

4. मानव संसाधन प्रबंधन कर्मचारियों को प्रेरित करने के लिए प्रेरणादायी नीतियों का निर्माण करता है, ताकि वे अधिकतम उत्पादन की ओर उन्मुख हो सके।

5. मानव संसाधन प्रबंधन लोगों द्वारा निर्मित व संचालित होने वाली प्रक्रिया है।

6. कुशल प्रबंधन से संगठन को मात्रात्मक व गुणात्मक लाभ होता है।

7. यह निरंतर चलने वाली अर्थात सतत् प्रक्रिया है।

मानव संसाधन प्रबंधन के पक्ष — मानव संसाधन प्रबंधन के मुख्यतः दो पक्ष हैं-
(1) कठोर पक्ष,
(2) विनम्र पक्षा

कठोर पक्ष –– मानव संसाधन प्रबंधन का कठोर पक्ष पूँजीवादी व्यवस्था की देन है जिसकी मान्यता है कि मानव संगठन में मानव एक संसाधन (पूँजी) की भाँति है जिसका कार्य संगठन को अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना है।

इस विचारधारा के अनुसार संसाधन प्रबंधन का प्रमुख उद्देश्य होता है मानव संसाधन का अधिकतम उपयोग करना। इससे यह स्पष्ट होता है कि पूँजीवादी व्यवस्था में इस विचारधारा का विकास कड़ी प्रतिस्पर्धा में अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने हेतु किया गया है।

विनम्र पक्ष – मानव संसाधन प्रबंधन का विनम्र पक्ष मुख्यतः मानवीय संबंध विचारधारा से प्रभावित है। इस विचारधारा के अनुसार कर्मचारी को ‘अधीनस्थ’ न मानकर सहयोगी या संगठन के संचालन में सहायक माना जाता है।

जहाँ कठोर विचारधारा पूँजीवादी व्यवस्था की देन थी, वहीं विनम्र पक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था की देन है। जिस प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में नीति-निर्माण में और संलग्नता पर जोर दिया जाता है उसी प्रकार मानव संसाधन प्रबंधन का विनम्न पक्ष कर्मचारियों की भागीदारी, उनकी सहायता और सहभागिता का पक्षधर है।

यह विचारधारा कर्मचारियों को एक ‘उपयोगी वस्तु’ न मानकर उन्हें एक ‘मूल्यवान सम्पत्ति’ या संगठन का हिस्सा मानकर चलती है, जिसके कारण संगठन को प्रतियोगिता में लाभ प्राप्त होता है। यह अवधारणा कर्मचारियों के व्यक्तिगत हितों और संगठन के सामूहिक हितों और लक्ष्यों में विरोधाभास नहीं, बल्कि एकरूपता में विश्वास करती है,  जिनकी उपलब्धि तभी सम्भव है जब ये एक ही दिशा में साथ-साथ मिलकर कार्य करें।

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