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हिंदी की पत्रकारिता का विकास

 हिंदी पत्रकारिता में सर्वप्रथम प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र के रूप में उदंत मार्तंड का नाम सर्वमान्य है। परंतु वेद प्रताप वैदिक द्वारा संपादित हिंदी पत्रकारिता विविध आहम नामक पुस्तक में प्रकाशित जानकारी में डॉक्टर महादेव साहा में दिग्दर्शन को हिंदी का प्रथम पत्र घोषित किया है। उनकी यही मान्यता 1959 और 1960 के राष्ट्रीय भारती और सरस्वती के अगस्त एवं जनवरी के अंकों में प्रकाशित हुई है।

इस जानकारी के अनुसार अप्रैल 1818 से मार्च 1819 में श्रीरामपुर बंगाल मिशनरियों ने दिग्दर्शन नाम का एक मासिक समाचार पत्र निकाला जिसके संपादक जॉन क्लर्क मार्सकमेन इस दौरान इस पत्रिका के हिंदी में कुल 16 अंक निकले बाद में इसे अंग्रेजी और बंगला में भी प्रकाशित किया गया इस तरह दिग्दर्शन बंगला तथा हिंदी दोनों ही भाषाओं का पहला समाचार पत्र माना जा सकता है।

एक अन्य विद्वान जोगेंद्र सक्सेना के अनुसार 1818 से 1820 तक दरबार रोजनामचा दैनिक नामक एक अखबार निकला करता था। अखबार राजस्थान के बूंदी से निकलता था। इस अखबार की हिंदी प्रति उपलब्ध नहीं है। इसीलिए हिंदी के पहले अखबार होने का श्रेय दिग्दर्शन या दरबार रोजनमचा को नहीं जाता है स्पष्ट प्रमाण के अभाव में घोषित रूप से हिंदी का पहला समाचार पत्र उदांत मार्तंड को माना गया उदंत मार्तंड को हिंदी को पहला अखबार घोषित करने का श्रेय मॉडन के संपादक बजेंद्र मोहन बंदोपाध्याय को जाता है।

1931 के पहले तक बनारस अखबार जो गोविंद रघुनाथ के संपादक में 1843 में हुआ था को हिंदी का पहला अखबार माना जाता था। हिंदी पत्रकारिता के उद्गम एवं विकास को पांच निम्नलिखित भागों में बांट कर देख सकते हैं

  1. पूर्व भारतेंदु युग (1826 से 18 66)
  2. भारतेंदु युग (1866 से 1885)
  3. उत्तर भारतेंदु युग (1888-1902)
  4. द्विवेदी युग (1903-1920)
  5. वर्तमान युग (1921 से अब तक) 

यद्यपि उपयुक्त काल खंडों में बहुत बड़ी दैनिक अर्द सप्ताहिक पाक्षिक मासिक त्रैमासिक और अर्धवार्षिक पत्र पत्रिकाएं प्रकाशित हुई परंतु उनमें से अधिकांश ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पायी। हिंदी प्रदीप भारत मिश्र हिंदुस्तान आज स्वदेश जागरण आर्यभट्ट नवभारत और हिंदू पंच जैसे कुछ समाचार पत्र आज भी अस्तित्व में है।

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