सिद्धान्त, तरीका और अवधारणा की जाँच करने से बूर्जुआ और माक्र्सवादी राजनीतिक अर्थव्यवस्था के बीच द्विभागीकरण का सुझाव प्राप्त होता है। पूँजीवादी संग्रहण की ओर ध्यान देने से राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही प्रकार के मुद्दों की अनुमति मिल जातो है। पूँजीवादी संग्रह के अध्ययन के साथ-साथ उत्पादन के पूर्व पूँजीवादी तथा पूँजीवादी तरीकों पर जोन देने से उस जाँच का एकीकरण हो सकता है जो अभी तक राजनीतिक और सैद्धान्तिक अधिरचना के मुद्दों के अध्ययन के लिए राजनीतिक वैज्ञानिकों तथा समाज के सामग्री आधार के बारे में प्रश्नों की खोज-बीन करने के लिए अभी तक अर्थशास्त्रियों का नेतृत्व करती रही है।
कुछ लोग कह सकते हैं कि अर्थशास्त्रियों को साम्राज्यवाद के सिद्धान्तों से और राजनीतिक वैज्ञानिकों को राज्य तथा वर्ग सिद्धान्तों से निपटने की चिंता करनी चाहिए। इन सभी चिन्ताओं को राजनीतिक अर्थशास्त्रियों द्वारा समेकित करना चाहिए। समाधान है अर्थव्यवस्थाओं का पुनर्गठन तथा राजनीतिशास्त्र का राजनीतिक अर्थव्यवस्था के साथ फिर से गठन करना। राजनीतिक अर्थव्यवस्था, बुनियादी तौर पर पूँजीवाद के व्यापक ऐतिहासिक विस्तार विशेषकर पिछले सौ वर्षों की अवधि का ध्यान रखना चाहिए। मार्क्स ने दास कैपिटल में इस प्रकार के अध्ययन के लिए हमें आधार दिया है।
पॉल स्वीजी ने द थ्योरी ऑफ कैपटीलिस्ट डेवलेपमेंट और अर्नेस्ट मानडेल ने मार्क्सस्ट इकोनामिक्स थ्योरी में मार्क्स – के तथ्यों की व्याख्या की है और आर्थिक पेंचदगियों के बारे में विशेष जानकारी दी है। स्टेनली डब्ल्यू मूर ने द क्रिटिक ऑफ कैपटीलिस्ट डेमोक्रेसी में राजनीतिक शाखा विस्तारों की ओर ध्यान केन्द्रित किया है। मानडेल के पूँजीवाद में मार्क्स, की परम्परा में सिद्धान्त और इतिहास को समेकित करने का प्रयास किया गया है। इसमें द्वंद्वात्मक रूप से आमूर्त से मूर्त की और इसके विपरीत हिस्सों से समग्र की ओर पुनः अतीत की ओर, विरोधाभास से समग्रता की ओर पुनः विरोधाभाव की ओर जाने का सिलसिला मौजूद है सामीर अमीन ने एक्यूमूले सन ऑन ए वर्ल्ड स्केल में सिद्धान्त को इतिहास के साथ सयोजित किया है।
उसने एक बात पर जोर दिया है कि सामयिक विश्व के सभी विधियों और संरचनाओं में विश्व स्तर पर एक संग्रहित रूप प्रतिबिम्बित होता है। पूँजीवादी तथा गैर पूँजीवादी विश्व बाज़ार अलग नहीं है क्योंकि एक विश्व बाज़ार था जिसमें पूर्व समाजवादी देशों में आशिंक रूप से । हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं पूँजीवाद एक विश्व प्रणाली है, राष्ट्रीय पूँजीवादियों का मिश्रण नहीं। राजनीतिक अर्थव्यवस्था का समग्र रूप उपलब्ध कराने के लिए किए गए अन्य प्रयासों में पैरी अंडरसन का पैसेज फ्रॉम एन्टीक्वीटी टू फ्यूडलिज्म तथा लिनिमेज ऑफ द एबसोल्यूट स्टेट शामिल है।
उन्होंने यूरोपीय सामन्तवाद तथा पूँजीवाद की . राजनीतिक अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन किया। इमैन्युअल वालरस्टीन ने द माडर्न वर्ल्ड सिस्टम में पूँजीवादी विकास तथा कम विकास के आन्द्रे गुन्देर फ्रैंक के सिद्धान्त का विस्तार किया तथा बाजार संबंधों पर जोर दिया। अन्य विचारकों में से चार विचारकों – मानडेल, आमीन, एन्डरसन और वैलटस्टीन ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था के इतिहास में दिलचस्पी को पुनर्जीवित किया। इसने अधिकांश सामयिक अर्थशास्त्रियों और राजनीतिशास्त्रियों द्वारा उपेक्षित पुराने मुद्दों का अनवीकरण करके नए मुद्दों को उभारा। इन चारों ने राजनीतिक अर्थव्यवस्था की मार्क्सवादी परम्परा से विचार ग्रहण किए और अपने बहुमूल्य योगदानों से उसे समृद्ध किया।
मानडेल ने स्पष्ट किया समूची पूँजीवादी प्रणाली उत्पादकता के विभिन्न स्तरों की क्रम परम्परा की संरचना है तथा राज्यों के असमान तथा सम्मिलित विकास, धर्मों, उद्योगों तथा फर्मों की शाखाओं का प्रतिफल है जो अत्यधिक लाभ प्राप्त करने की तलाश से परिलक्षित हुआ है। इस व्यवस्था में एकता को एकरूपता के अभाव में रहना; विकास को कम विकास के साथ अत्यधिक मुनाफे को गरीबी के साथ-साथ रहना पड़ता है। इन विभिन्नताओं की स्थिति में निरंतर चरणों की विशेषताएँ उच्चतर चरणों के साथ सम्मिलित होकर परस्पर विरोधी स्वरूप को जन्म देती है और पिछड़े वर्ग के लोगों के सामाजिक विकास में गुणात्मक उछाल लाने में सहायक होती है।
ब्रेनेर ने इस दृष्टिकोण की आलोचना की है क्योंकि उसके विचार में उसने उत्पादन और वर्ग संघर्ष के संबंधों की उपेक्षा की है। उसने इस पर संदेह व्यक्त किया है कि क्या विश्व व्यापी संग्रह की समस्याओं के संदर्भ में राष्ट्रीय समाधाच अपनी प्रमुख भूमिका निभा पाएगी।
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box