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फ्रेडेरिक हर्जबर्ग के अभिप्रेरण स्वच्छता सिद्धांत का परीक्षण कीजिए।

 फ्रेडेरिक हर्जबर्ग अमेरिकी मनोवैज्ञानिक है। उसने निम्न प्रकार से विचार स्पष्ट किए हैं

(1) उसने प्रबंधकीय सिद्धांत और पद्धति के परंपरागत विवेक पर प्रश्न उठाया है।

(2) उसने कार्यस्थल पर मनुष्य के अभिप्रेरण की समस्या का अध्ययन किया। वस्तुतः हर्जबर्ग के कार्य का केंद्रीय क्रोड द्वितीय विश्व युद्ध से निकलता है जहाँ उसने यह अनुभव किया कि समाज उस समय उन्मादी हो जाता है जब उन्माद से स्वस्थचित्त संचालित होते हैं। 

(3) उसके अनुसार स्वस्थचित्तता को चरित्र और नैतिकता के मानवीय संतोष का पोषण करने के लिए उतना ही अधिक व्यावसायिक ध्यान आवश्यक है जितना व्यक्तित्व में अंतरों के लिए त्रुटिपूर्ण दिखाने के लिए होता है।

(4) हर्जबर्ग का उल्लेख है, “उन्मादी को भी देखभाल और क्षतिपूर्ति की आवश्यकता होती है परंतु उनकी उन्मादी क्रियाओं को कभी भी नैतिक रूप से उदासीन रणनीति से सुदृढ़ नहीं किया जाना चाहिए । मेरे सिद्धांतों का बल स्वस्थ चित्त रखने की रणनीतियों पर है।”

प्रमख रचनाएँ (Main Works)-फ्रेडेरिक हर्जबर्ग के मुख्य कार्य निम्न प्रकार हैं

(1) दी मोटिवेशन टू दी वर्क (1959). (सहलेखक)
(2) वर्क एंड दी नेचर ऑफ मैन (1966),
(3) दी मैनेजरियल च्वाइस : टू दी एफिसिएंट एंड टू बी ह्यूमैन (1976)।

अपने अभिप्रेरण सिद्धांत के विकास में, हर्जबर्ग पर अब्राहम मैस्लो, डगलॉस मैकग्रेगॉर और क्रिस आर्गिरिस के लेखों का प्रभाव पड़ा।

उसने कार्य पर सार्थक अनुभव और मानसिक स्वास्थ्य के मध्य संबंध का विश्लेषण किया। उसके अनुसार समस्त व्यक्तियों की आवश्यकताओं के निम्नलिखित दो सेट होते हैं

(1) पीड़ा का परिहार करना,
(2) मनोवैज्ञानिक रीति से प्रगति करना।

अभिप्रेरण स्वच्छता सिद्धांत — हर्जबर्ग ने संयुक्त राज्य अमेरिका के पिट्सबर्ग क्षेत्र में लगभग नौ कंपनियों से दो सौ इंजीनियरों और लेखाकारों के कार्य अनुभव के आधार पर अभिप्रेरण सिद्धांत प्रतिपादित किया है।

इन लोगों को उस समय अनेक बार सोचने के लिए कहा गया था, जब उन्होंने अपने कार्यों के संबंध में अपवाद स्वरूप अच्छा या खराब अनुभव किया। 

उनकी प्रतिक्रियाएँ शीर्षक के अनुसार यह निर्धारित करने के लिए वर्गीकृत की गयीं कि किस प्रकार की घटनाओं से कार्य में संतुष्टि और कार्य में असंतुष्टि होती है।

अनुसंधान में निम्नलिखित का संयोजन प्रयुक्त किया गया है

(1) क्रांतिक घटना तकनीक,
(2) पूर्व प्रभावी पैटर्न साक्षात्कार और
(3) संतोष विश्लेषण।

द्देश्य नुसंधान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे

(1) उन कारकों की पहचान करना, जिनसे कार्य के प्रति सकारात्मक और नकारात्मक मनोवृत्ति हो सकती है।
(2) कार्य निष्पादन, उत्पाद, मानसिक स्वास्थ्य आदि पर इन मनोवृत्तियों के प्रभावों का अध्ययन करना।

अध्ययन इस बात पर केंद्रित किया गया था कि क्या कार्य संतुष्टि प्रकट करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के कारक उत्तरदायी थे। यह अध्ययन इस अवधारणा को प्रमाणित करता है।

स्पष्टतः हर्जबर्ग का अनुसंधान अभिप्रेरण के पीछे कारकों अर्थात् कार्य संतुष्टि और कार्य असंतुष्टि के निर्धारकों को स्पष्ट करने का दावा करता है। उसके सिद्धांत में कार्य असंतुष्टि दोनों के लिए निम्न प्रकार पाँच सुदृढ़ निर्धारकों की पहचान की गयी है |

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