नौकरशाही व्यवस्था और सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन : भिन्नता
वर्तमान में लोक सेवा की जरूरतों को पूरा करने में पारंपरिक लोक प्रशासन की अक्षमता ने नव-लोक प्रबंधन को जन्म दिया और ये नागरिक केन्द्रित प्रशासनिक सुधारों के रूप में विरात शताब्दी के प्रबं और पवें दशक में विश्व के देशों में प्रकट हुए।
नव-लोक प्रबंधन एक अभिव्यक्ति है, जो 1980 के दशक के प्रारंभ से ही लोक संस्थाओं और उनकी भिन्न-भिन्न व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिए प्रयोग होता रहा है और शासन के क्रियाकलापों में व्यापार प्रबंधन के अनुभवों को सम्मिलित करने पर बल देता रहा है। नव-लोक प्रबंधन का सार सार्वजनिक संगठन के प्रबंधन में प्रतियोगिता और बाजार के रुख को सामने रखना है।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन ने जनसेवा मुहैया कराने में प्रबंधन को प्रस्तुत करने की वकालत की थी, उसका मानना है कि अधिकतर देश सार्वजनिक रूप से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वस्तुओं को उपलब्ध कराने में दो मार्गों पर चल रहे हैं। पहले मार्ग में निम्नलिखित कार्य हैं
1. मांग और पूर्ति के निर्णयों को एक साथ लाना।
2. सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग।
3. कर्मचारियों को फैसले लेने की प्रक्रिया और प्रबंधन में सम्मिलित करना।
4. कठोर निष्पादन उद्देश्यों को लागू करते समय प्रशासनिक नियंत्रण में लचीलापन।
5. कर्मचारियों के विकास, शिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति. निष्पादन के लिए भुगतान कर मानव संसाधन के प्रबंधन को अच्छा बनाना।
इस मार्ग का उद्देश्य संगठन को प्रबंधित करना है। यह मार्ग संगठन की अंदरूनी क्रियाओं पर ध्यान दिलाता है, कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाता है, कार्य का आकलन करता है साथ ही ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध बनाता है।
दूसरा मार्ग, व्यक्तिगत क्षेत्रों में अच्छे प्रयोग करना है, जिससे एक कुशल, प्रतियोगी और खुले लोक अधिप्राप्ति व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए ताकि सार्वजनिक रूप से प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन कर सके और मोनोपोली को समाप्त कर आपूर्तिकर्ताओं का संरक्षण कर सके।
इन उपायों का ध्यान संगठन प्रक्रियाओं पर है। प्रबंधन की उन्मखता ने पारंपरिक लोक प्रशासन में निम्नलिखित परिवर्तन प्रस्तुत किए
1. खर्च करने की बजाय लागत कम करने पर बल देना।
2. प्रशासकीय व्यवस्था के ढांचे के लिए पिरामिडीय व्यवस्था की बजाय लोगों के समूह का मॉडल।
3. नीति से प्रबंधन पर जोर देना, जिससे प्रशासक प्रत्येक कार्य की लागत के प्रति सावधान हो।
4. सामूहिक उत्पाद सुविधा की बजाय व्यक्तिगत लचीली उत्पाद सुविधा पर बल।
5. पूर्ण आधिपत्य की बजाय मालिकाना हक की आवश्यकता का निपुण प्रबंधन के रूप में होना
6. प्रक्रियोन्मुख प्रशासन से उत्पादोन्मुख प्रशासन की ओर चलना।
7. योजना क्रियान्वित करने और निर्णयों के पदानुक्रम आधारित क्रियान्वयन की बजाय मुख्य नीतिगत कार्यों और अपनाई गई कार्यकारी सेवाओं के मध्य विशिष्टता रखना।
आमतौर पर नव लोक प्रबंधन ने सरकार का ध्यान प्रक्रिया से परिणामों की ओर पिलाने का प्रयास किया है। नव लोक प्रबंधन की सफलता तभी संभव है जब शासन के प्रबंधन में सांस्कृतिक और व्यावहारिक आधार पर नौकरशाही को दूर कर उद्यमशीलता का समावेश किया जाए।
नव-लोक प्रबंधन के उद्देश्यों को सार्वजनिक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से ही पूर्ण किया जा सकता है। सरकार द्वारा अधिगृहीत क्रियाकलापों में पारंपरिक नौकरशाही व्यवस्था और सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन के मध्य की भिन्नता को निम्नलिखित प्रकार से दर्शाया जा सकता है |
नौकरशाही व्यवस्था —
1. सार्वजनिक और व्यक्तिगत सहभागिता
2. संरचना की प्रमुखता
3. अनामक नौकरशाही
4. कठोर, अनुबंधित और पदानुक्रम प्रारूप
5 प्रक्रिया के प्रति जिम्मेदार
6. निर्णय लेने की प्रक्रिया में तार्किकता पर बल
7. अधिकारपूर्ण दृष्टिकोण
8. राजनीति और प्रशासन में एकजुटता
9. केन्द्रीकृत रणनीति अपनाना
10. ढांचे और प्रक्रिया पर ध्यान देना
11. लोक सेवा सरकार द्वारा किया जाने वाला विशेष कार्य है।
सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन —
1. सार्वजनिक और व्यक्तिगत भिन्नता
2. जनोन्मुख
3. उत्तरदायित्वपूर्ण नौकरशाही
4. संगठन की रूपरेखा और काम के प्रारूप में लोच
5. परिणामों के प्रति जिम्मेदार
6.. निर्णय लेने की प्रक्रिया में सीमित तर्कों पर बल
7. सहभागितापूर्ण रवैया
8. राजनीति और प्रशासनिक में अन्तर
9. विकेन्द्रीकृत रणनीति को अपनाना
10. निष्पादन और परिणामों पर ध्यान देना
11. लोक सेवा गैर-सरकारी संगठन और निजी उद्योगों के द्वारा अपनाया जाता है।
उपर्युक्त सारिणी से स्पष्ट है कि सरकारी कार्यों को करने में सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन पारंपरिक नौकरशाही व्यवस्था से कैसे विशिष्ट है।
वर्तमान समय में लोक प्रशासनिक संरचना में जटिलता आ गई है, सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन को नागरिकों को सुदृढ़ लोक सेवा मुहैया कराने के लिए विस्तृत नेटवर्क के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। वैसे भी भारत जैसे विकासशील देश में नागरिकों की आवश्यकताओं को समझने के लिए सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन जिम्मेदार है। अधिकतर विकासशील देशों में सार्वजनिक प्रणाली प्रबंधन प्रारंभिक दौर में है।
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