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लोक प्रशासन के अर्थ, स्वरूप और कार्यक्षेत्र की चर्चा कीजिए |

 लोक प्रशासन की परिभाषा एल.डी. वाइट के अनुसार लोक प्रशासन रूप और उद्देश्यों में भिन्न होता है और स।र्वजनिक और निजी कायों के प्रशासन में बहुत बिन्दुओं पर समानता होती त्यादि अभिन्नता नहीं है।

ऐसी सामान्य अवधारणा के अभिन्न पक्ष के रूप में लोक प्रशासन उस प्रकार के प्रशासन से सम्बन्धित है जो विशिष्ट प्ररूप वर्गीकरण के अंतर्गत कार्य करता है। यह राजनीतिक कार्यकलापों द्वारा निर्मित नीति-निर्णयों के निर्वहन का माध्यम है।

स्पष्टतः लोक प्रशासन “एक सार्वजनिक” पक्ष है, जो इसे विशेष स्वरूप और फोकस प्रदान करता है। औपचारिक रूप से इसका अभिप्राय “सरकार” हो सकता है। इस प्रकार लोक प्रशासन निम्नलिखित का संगम है

(i) सरकारी प्रशासन,
(ii) कार्यरत सरकार,
(iii) सामाजिक-आर्थिक और
(iv) राजनीतिक-प्रशासनिक।

लोक प्रशासन विशेष रूप से सरकारी नौकरशाही पर केन्द्रित है। इस प्रकार लोक प्रशासन प्रशासन के उस भाग से सम्बन्धित है जो सरकार के प्रशासनिक कार्यों से सम्बन्ध रखे।

इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार, “लोक प्रशासन अपनी सरकार के माध्यम से राज्य की नीति का अनुप्रयोग है।”

परिभाषाएं :- विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी लोक प्रशासन की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं

वुड्रो विल्सन -“लोक प्रशासन कानून का ब्योरेवार और क्रमबद्ध अनुप्रयोग है। कानून का प्रत्येक अनुप्रयोग विशेष प्रशासन का कार्य है।”

एल.डी. वाइट :– लोक प्रशासन के अन्तर्गत वे समस्त कार्य सम्मिलित हैं जिनका प्रयोजन सरकारी नीति की पूर्ति या प्रवर्तन में होता है।”

म. रूथनास्वामी :- “जब प्रशासन का राज्य अथवा छोटी राजनीतिक संस्थाओं, नगरपालिका या कंट्री काउंसिल (जिला बोर्ड) के कार्यों से संबंध होता है तो यह लोक प्रशासन कहलाता है।

सरकार के अधिकारियों के सभी कार्य दूर स्थित कार्यालय में चपरासी से लेकर राजधानी में राज्य के प्रमुख तक लोक प्रशासन होता है।”

जे.एम. पिफ्नर :-“प्रशासन लोगों के प्रयासों का समन्वय करके सरकार का काम करवाने की प्रक्रिया है ताकि वे अपने कार्यों की पूरा करने के लिए साथ-साथ कार्य कर सकें।”

लूथर गुलिक :- ” लोक प्रशासन प्रशासन के विज्ञान का वह भाग है जिसे सरकार से संबंध रखना है। यह मुख्यतः अपने आपको कार्यापालिका शाखा से जोड़े रखता है, जहां सरकार का काम किया जाता है। यद्यपि स्पष्ट रूप से विधायी और न्यायपालिका शाखाओं से संबंधित समस्याएं भी होती हैं।”

पर्सी मैकक्वीन :– “लोक प्रशासन सरकार के कार्यों, चाहे वे स्थानीय हों या केन्द्रीय, से सम्बन्धित है।”

वर्तमान स्थिति :- परन्तु वर्तमान में ‘लोक प्रशासन’ शब्द की व्यापक अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है। सरकार के कार्यक्रमों के निर्वहन में सम्मिलित होने के साथ साथ यह नीति निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सरकार की तीनों शाखाओं को सम्मिलित करता है।

एफ.ए. निग्रो और एल.जी. निग्रो के अनुसार लोक प्रशासन इस प्रकार है

1. सार्वजनिक व्यवस्था में सहयोगात्मक सामूहिक प्रयास है।

2. इसमें सभी तीनों शाखाएं सम्मिलित हैं

(i) कार्यपालिका, (ii) विधायिका, (iii) न्यायपालिका तथा उनका पारस्परिक संबंध।

3. लोक प्रशासन की प्रबंध नीति के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है इस प्रकार यह राजनीतिक प्रक्रिया का भाग है।

4. लोक प्रशासन निजी प्रशासन से भिन्न है।

5. लोक प्रशासन समुदाय को सेवाएं देने वाली सेवाओं में बड़ी संख्या में निजी समूहों से निकटतापूर्वक संबद्ध है। लोक प्रशासन का स्वरूप लोक प्रशासन के स्वरूप के बारे में निम्नलिखित दो मत हैं :-

6. संपूर्ण

7. प्रबंधकीय

इनका विवरण निम्नलिखित प्रकार से है :–

लोक प्रशासन का संपूर्ण मत – इस मत का समर्थन हेनरी फेयॉल और एल. डी. वाइट ने किया है
इस मत के अनुसार प्रशासन समस्त कार्यकलापों-हस्तचालित (मैनुअल), लिपिकीय तथा प्रबंधकीय आदि का कुल योग है।

ये संगठन के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए आरम्भ किए जाते हैं। इस दृष्टिकोण से वे सरकार के परिचरों से सचिवों तक सरकार के अधिकारियों और राज्य के प्रमुख कार्य प्रशासन का गठन करते हैं।

लोक प्रशासन का प्रबंधकीय मत इस मत के अनुसार उन लोगों के प्रबंधकीय क्रियाकलाप, जो योजना निर्माण, संगठन, समादेशन, सम्बन्ध और नियंत्रण में सम्मिलित हैं, लोक प्रशासन को गठित करते हैं। इस मत के अनुसार प्रशासन काम करवाने वाला है न कि कार्य करने वाला।

इस मत का समर्थन लूथर गुलिक, हर्बर्ट सीमॉन, स्मिथबर्ग और थाम्पसन ने विभिन्न प्रकर से किया है। प्रबंधकीय मत में गैर-प्रबंधकीय क्रियाकलाप, जैसे-हस्तचालित, लिपिकीय और तकनीकी क्रियाकलाप सम्मिलित नहीं हैं।

अन्तर :-दोनों मत एक-दूसरे से भिन्न हैं 

1) सम्पूर्ण मत में प्रशासन में लगे हुए सभी व्यक्तियों के क्रियाकलाप सम्मिलित हैं, जबकि प्रबंधकीय मत स्वतः ही शीर्ष पर आसीन केवल कुछ ही व्यक्तियों तक सीमित है।

2) संपूर्ण मत में समस्त प्रकार के कार्यों-मैनुअल से प्रबंधकीय तक गैर-तकनीकी से तकनीकी तक सम्मिलित हैं। इसके विपरीत प्रबंधकीय मत में सामाजिक में केवल प्रबंधकीय कार्यों को दृष्टिगत रखा जाता है।

3) संपूर्ण मत के अनुसार प्रशासन विषय के अनुसार एक क्षेत्र से दूसरे में भिन्न हैं। प्रबंधकीय दृष्टिकोण के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता है, क्योंकि प्रबंधकीय मत प्रशासन के सभी क्षेत्रों में उभयनिष्ठ प्रबंधकीय तकनीक से पहचाना जाता है।

4) दो मतों के मध्य अंतर प्रबंध और संक्रिया के मध्य अंतर से सम्बन्धित है। यह कार्य करवाना और कार्य करने के मध्य का अन्तर है। प्रशासन शब्द का सही अर्थ उस सन्दर्भ पर निर्भर है, जिसमें यह प्रयुक्त किया जाता है।

डिमॉक. डिमॉक और कोएनिंग के शब्दों में अध्ययन के रूप में लोक प्रशासन कानूनों के पालन करने में सरकार के प्रयासों को कार्यान्वित करता है।

प्रक्रिया के रूप में ये सभी वे कदम हैं जिन्हें प्रवर्तक एजेंसी कार्य आरंभ करने और. पूरा करने के बीच लेती है, परन्तु इसमें वे भी शामिल हैं जिन्हें पहले स्थान में कार्यक्रम बनाने में एजेंसी की सहभागिता, यदि हो तो, लेती है। व्यवसाय के रूप में वह सार्वजनिक एजेंसी में निर्देशित करना है।

लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र :

क्रियाकलाप के रूप में लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र — सामान्यतया लोक प्रशासन सरकार के समस्त क्रियाकलाप समाहित करता है। अतएव क्रियाकलाप के रूप में लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र राज्य के कार्यक्षेत्र के अनुरूप ही है। 

आधुनिक कल्याणकारी राज्य में जनता को राज्य सरकार से अनेक अपेक्षाएं हैं, जैसे- सरकार से विभिन्न प्रकार की सेवाएं और संरक्षण। इस सन्दर्भ में लोक प्रशासन निम्नलिखित प्रकार कार्य करता है

1). अनेक कल्याणकारी और सामाजिक सुरक्षा सेवाएं प्रदान करना।

2). सरकार के स्वामित्व के उद्योगों का प्रबंध करना।

3). निजी उद्योगों को विनियमित करना।

4). सार्वजनिक नीति के क्षेत्र के अन्तर्गत प्रत्येक क्षेत्र और क्रियाकलाप में सक्रिय रहना।

लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र आधुनिक राज्य में व्यापक है।

विधा के रूप में लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र -POSDCORB मत लेखकों ने भिन्न-भिन्न शब्दों में लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र को परिभाषित किया है। गलिक ने संक्षेप में शब्द POSDCORB के अक्षरों द्वारा विषय का कार्यक्षेत्र स्पष्ट किया है। ये निम्नलिखित को व्यक्त करते हैं

(i) योजना अर्थात परियोजना से समन्वय करने हेतु किए जाने वाले कार्य, अपनाए जाने वाले तरीकों की व्यापक रूपरेखा तैयार करना।

(ii) संगठन संगठन में उन प्राधिकरणों की औपचारिक रचना की स्थापना समाहित है, जिससे कार्य का विभाजन किया जाता है, व्यवस्था की जाती है, समन्वय आदि कार्य सम्पन्न किए जाते हैं।

(iii) कर्मचारी कर्मचारी के अन्तर्गत कार्मिकों की भर्ती और प्रशिक्षण तथा उनकी कार्य शर्ते समाहित है।

(iv) निदेशन अर्थात निर्णय करना और आदेश तथा अनुदेश जारी करना है।

(v) समन्वय अर्थात संगठन के विभिन्न प्रभागों, अनुभागों और अन्य भागों का परस्पर सम्बन्ध की स्थापना।

(vi) रिपोर्टिंग अर्थात एजेंसी के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिकारियों को को सूचित करना जिनके प्रति इस सम्बन्ध में कार्यपालक उत्तरदायी है। 

(vii) बजट निर्माण अर्थात वित्तीय योजना निर्माण, नियन्त्रण और लेखाकरण।

गुलिक का मत है कि POSDCoRB क्रियाकलाप समस्त संगठनों में है। वे प्रबंधन की सामान्य समस्याएं हैं, जो उन कार्यों के स्वरूप को दृष्टिगत रखकर जिन्हें वे करते हैं। भिन्न भिन्न एजेंसियों में पाए जाते हैं।

POSDCoRB का उद्देश्य एकता, निश्चितता और सुस्पष्टता के अतिरिक्त अध्ययन को अधिक क्रमबद्ध बनाना है।

लोचना -POSDoRB सिद्धांत की आलोचना की गई है। आलोचकों के अनुसार

(i) सीमितता –-POSDCORB क्रियाकलाप न तो सम्पूर्ण प्रशासन के थे, न ही उसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग थे।

(ii) एकांगी —POSDCORB ने इस तथ्य की ओर ध्यान नहीं दिया है कि भिन्न-भिन्न एजेंसियों को भिन्न-भिन्न प्रशासनिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो उन सेवाओं के विशिष्ट स्वरूप के कारण उत्पन्न होती हैं और कार्य, जिन्हें वे करते हैं।

(ii) विशिष्टता की उपेक्षा —POSDCoRB मत केवल प्रशासन की आम तकनीक पर विचार करता है।

(iv) महत्त्वपूर्ण पक्ष की उपेक्षा –-POSDCoRB में उस विषय का अध्ययन नहीं किया जाता है जिससे संगठन संबंधित है।

(v) अत्यधिक सीमित कार्यक्षेत्र —POSDCORB मत में नीति के निर्माण और कार्यान्वयन का कोई उल्लेख नहीं है। इस प्रकार इसके द्वारा प्रस्तुत प्रशासन के कार्य क्षेत्र की परिभाषा सीमित है। इसके कारण हैं

(क) अंतर्मुखी दृष्टि का बहुत अधिक होना।
(ख) शीर्ष प्रबंधन का अत्यधिक सचेत होना।

लेविस मेरियम ने लोक प्रशासन में कार्यक्षेत्र पर विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि “लोक प्रशासन कैंची की तरह दो धारों (ब्लेडों) का साधन है।” 

(i) पहली धार (ब्लेड) POSDCORB द्वारा सम्मिलित क्षेत्र का ज्ञान हो सकता है।

(ii) दुसरी धार (ब्लेड) उस विषय का ज्ञान है जिनमें यह प्रयुक्त की जाती है। दोनों धार (ब्लेडें) औजार को प्रभावी बनाने हेतु अच्छी होनी चाहिए।

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