दक्षिणी अफ्रीका मानव सभ्यता के इतिहास की तुलना में नया राज्य था। उसके उत्तर में बोसवाना और नामिबिया है। काफी पहले से ही दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र में लोग रहा करते थे। ये लोग मुख्यतः शिकारी-संग्रहकर्ता और जंगली जानवरों को मारकर अपना जीवनयापन करते थे। उस क्षेत्र में रहने वाले आदिम लोगों को बुशमेन कहा जाता है।
ये लोग शिकारी संग्रहकती के बाद पशुपालक बने तथा भेड़-पालन आरम्भ किया तथा उन पशुपालकों को होटेनटोट्स कहा जाता है। समय के साथ इन लोगों ने पशुपालन के साथ ही साथ खेती करना भी आरम्भ कर दिया। जिन लोगों ने कृषि कार्य और किया, उन्हें काफ्फिर कहा जाता है। ये समुदाय, जाति, भाषायी आधार पर बँटे हुए थे सान शिकारी-संग्रहकर्ता थे खोईखोई पशुपालक थे गुनी किसान थे। नगुनी को भाषा के आधार पर जुलु एवं जोसा में विभाजित किया जाता है।
दक्षिणी अफ्रीका की अर्थव्यवस्था मिश्रित खेती अर्थव्यवस्था थी। मिश्रित खेती में कषि और धातकर्म के साथ-साथ पशपालन तथा शिकार और संग्रह भी शामिल था। बन्तु लोग मैगनाइट भी निकाला करते थे। ये लोग तांबे का उपयोग करना भी जानते थे। यहाँ के लोगों की अर्थव्यवस्था के आधार पशु थे। यहाँ के लोगों का धन पशु था, जो कि अकाल के समय उनके लिए काफी उपयोगी होता था। पत्नी प्राप्त करने के लिए भी पशुधन आवश्यक था।
दुल्हन का मूल्य केवल पशु के रूप में ही होता था। खोईखोई समाज यहाँ का धनी वर्ग था। बन्तु लोग झाड़ियों को साफ कर उसे खेती योग्य बनाते थे, हालांकि उस क्षेत्र में सीसी नामक मक्खी का प्रकोप था। पशुपालन समाज में स्त्री और पुरुष के बीच काम का स्पष्ट बंटवारा था। पुरुष पशुधन की देखरेख करते थे। बच्चा 10 वर्ष की उम्र से ही काम करना प्रारम्भ कर देता था। दक्षिणी अफ्रीकी गांव पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नहीं थे। धातु से बने सामानों की जनता में काफी मांग थी।
हालांकि यहाँ किसी बड़े बाजार का प्रमाण नहीं मिला है। माल ढोने के लिए बैलों का इस्तेमाल किया जाता था। बुजुर्ग पुरुष चिकित्सा, पुरोहित आदि काम किया करते थे। महिलाएँ भी खेती में साथ देती थीं। पुरुष जंगल साफ करके खेत बनाने का काम करते थे। उसके बाद खेती का काम महिलाएं किया करती थीं। परंत महिलाएँ परुषों के अधीन होती थीं।
दक्षिणी अफ्रीका के बन्तुभाषी समाज में दुल्हन का मूल्य एक अनूठी परंपरा थी। शादी के बाद महिला पीहर जाकर वहाँ का काम संभाला करती थी। परंतु महिला की शादी के लिए ससुराल वालों को दुल्हन का मूल्य देना होता था। दुल्हन का मूल्य पशुधन होता था। जिन पुरुषों के पास ज्यादा पशुधन होता था, दुल्हन के माता-पिता उसी से अपनी बेटी की शादी करना चाहते थे, ताकि दुल्हन के मूल्य के रूप में उन्हें ज्यादा पशुधन मिल सके।
दक्षिणी अफ्रीका के लोगों की विशिष्ट राजनीतिक संस्थाएँ थीं। अधिकांश समुदायों में राजा या सरदार होता था। हालांकि अलग-अलग क्षेत्रों के राजवंश का आकार अलग-अलग था। नगुनी राज्य बिखरा हुआ था। दक्षिणी सोथो राज्य भी छोटा था। राज्य के सरदारों से यह अपेक्षा की जाती थी कि अच्छी फसल के लिए वह अच्छी वर्षा करवाएँ। सरदारों के परिवारों में अन्तर्विवाह होने से भी राजनीतिक व्यवस्था छोटी होती थी। सरदार बनने के लिए भी पश संसाधन का होना आवश्यक था।
कुछ राज्यों में उनके समूहों का एक सामूहिक गण चिह्न भी होता था। राजनीतिक इकाइयों का मिलन और अलगाव जैसी घटनाएं भी होती थी। उसका कारण आक्रमण या राजकुमारों की महत्त्वाकांक्षा होती थीं। बढ़ती जनसंख्या के कारण भी संसाधनों पर उसका दबाव पड़ा होगा और लोगों द्वारा उसकी आपूर्ति करने के लिए आक्रमण किये जाते थे।
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