नाइट्रोजन प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण घटक है जो सभी सजीवों के ऊतकों की निर्माण इकाई है। यह सभी प्रोटीनों का भारानुसार 16% भाग बनाता है। वायुमंडल में नाइट्रोजन की अनन्त आपूर्ति है लेकिन इसके तात्विक प्रकार को अधिकांश सजीवों द्वारा सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है। नाइट्रोजन के यौगिकीकरण की आवश्यकता होती है यानी यह पादर्पों द्वारा ग्रहण किये जाने से पहले अमोनिया, नाइट्रोइटों अथवा नाइट्रेटों में परिवर्तित होता है। पृथ्वी पर नाइट्रोजन यौगिकीकरण तीन भिन्न तरीकों से होता है 1) कुछ मुक्तजीवी जीवाणुओं और नीलहरित शैवालों (जैसे द्वारा एनाबीना). स्पाइरूलाइना और सहजीवी जीवाणुओं (जैसे राइजावियम) द्वारा मनुष्यों द्वारा औद्योगिक प्रक्रियाओं (उर्वरक कारखानों) के प्रयोग से, कुछ मात्रा में बिजली कड़कने और गरज जैसी वायुमंडलीय घटनाओं से।
जैसा कि आप
चित्र में देख सकते हैं : नाइट्रोजन किसी भी समय भिन्न खंडों अथवा पूलों में बद्ध
रहती है - वायुमंडल, मृदा और जल, और
जीवित जीवों में। बार-बार होने वाली गरज वायुमंडल गैसीय नाइट्रोजन को अमोनिया और
नाइट्रेट मेँ परिवर्तित कर देती हैं जो फिर वर्षण के द्वारा पृथ्वी की सतह पर,
और फिर मृदा में प्रादपों द्वारा उपयोग के लिए पहुंच जाती है|
यद्यपि अधिक महत्वपूर्ण कुछ सूक्ष्मजीव हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन
को अमोनियम आयनों में यौगिकीकृत करने में सक्षम होते हैं। इनमें मुक्तजीवी
नाइट्रीकरण जीवाणु (जैसे वायुजीवी एजोटोबैक्टर) और अवायुजीवी क्लोस्ट्रीडियम और
सहजीवी नाइट्रीकरण जीवाणु, जो फलीदार पादपों की मूल
ग्रंथिकाओं में रहते हैं (उदाहरण राइजोबियम) तथा नीलहरित शैवाल (उदाहरण एनाबीना,
स्पाइरूलाइना) सम्मिलित है। अमोनियम आयरनों को कुछ पादर्पों द्वारा
प्रत्यक्ष रूप से नाइट्रोजन के स्रोत के रूप मेँ ग्रहण किया जा सकता है, अथवा विशेषीकृत जीवाणुओं के दो समूहों द्वारा नाइट्राइटों अथवा नाइट्रेटों
में ऑक्सीकृत किया जा सकता हैं: नाइट्रोसोमोनास जीवाणु अमोनिया की नाइट्राइट में रूपांतरण करते
हैं। नाइट्राइट को फिर जीवाणु नाइट्रोबैक्टर द्वारा नाइट्रेट में रूपांतरित कर
दिया जाता है।
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