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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उदभव की चर्चा कीजिए।

एन.डी.एम.ए. का उद्भव (Evolution of NDMA)

एक संस्था का उद्भव सदैव एक विकासात्मक प्रक्रिया है। एन डी एम ए भी उसी प्रक्रिया से गुजरी है।

   भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन को एक राष्ट्रीय वरीयता के रूप में उसके महत्व को स्वीकार करते हुए अगस्त 1999 में उच्च अधिकार प्राप्त समिति तथा गुजरात भूकम्प के पश्चात एक चुनौतीपूर्ण समिति की स्थापना की। इसकी स्थापना मुख्य रूप से आपदा प्रबंधन योजनाओं के निर्माण करने पर सिफाशि करने तथा प्रभावी न्यूनीकरण व्यवस्थाओं या उपायों के बारे में सुझाव देने के लिए की। दसवीं पंचवर्षीय योजना प्रलेख  में पहली बार आपदा प्रबंधन पर एक विस्तृत अध्याय था। 12वें वित्त आयोग ने भी आपदा प्रबंधन के लिए वित्तीय प्रावधानों के घपुनरावलोकन को अनिवार्य कर दिया। 23 दिसम्बर 2005 को भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम बनाया जिसमें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता वाले राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों को परिलक्षित किया गया जो कि भारत में आपदा प्रबंधन के प्रति समग्र एकबद्ध दृष्टिकोण को चलाने / नेतृत्व देने तथा क्रियान्वयन का कार्य करेंगी।

   आपदा प्रबंधन की सर्वोच्च संस्था के रूप में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा इसका दायित्व आपदा प्रबंधन की नीतियों, योजनाओं तथा मार्गदर्शिकाओं का तैयार करना तथा प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए उनका प्रभावी क्रियान्वयन करना है। यह मार्गदर्शिकाएं केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों तथा राज्यों को अपनी अपनी आपदा प्रबंध योजनाओं के निर्माण में सहायता देती हैं। यह चुनौतीपूर्ण या खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए रोकथाम, न्यूनीकरण तैयारी तथा क्षमता निर्माण के लिए अन्य कदम भी उठा सकता है, जैसा यह आवश्यक समझे। इसके शासनादेश ,/ अधिकार पत्र के क्रियान्वयन के लिए, केन्द्रीय मंत्रालयों के विभागों तथा राज्य सरकारों से एन डी एम ए को आवश्यक सहायता तथा सहयोग प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है। एन डी एम ए न्यूनीकरण स्थित्ति पर दृष्टि रखती है। इसे संबन्धित विभागों या प्राधिकरणों को एक जोखिममरी आपदा रिथिति या आपदा में बथने तथा शहत के लिए वस्तुओं या सामग्रियों की आपातकालीन खरीद करने का अधिकार है।

   एन डी एम ए को प्राकृतिक या मानव-निर्मित सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने का अधिकार है जब्रकि अन्य आपातकालों में जिसमें सुरक्षा बलों तथा खुफिया ऐजेंसियों की भागीदारी आयश्यक हो जैसे आतंकवाद, बगावत /विद्रोह के खिलाफ कार्यवाही, कानून व व्यवस्था स्थिति, लगातार बम विस्फोट, अपहरण, हवाई दुर्घटनाएं, रासायनिक जैविक, विकरणीय तथा आणविक हथियार सिस्टम, खनन आपदाएं, बन्दरगाह आपत्तियाँ, तेल के क्षेत्रों में आग तथा तेल के रिसाव का निपटान,/मुकाबला करना राष्ट्रीय आपत्ति,/संकट प्रबंध समिति (एन सी एम सी) ही करती रहेगी। लेकिन एन डी एम ए रसायनिक जैविक, विकिरण आणविक सी.बी,आर.एन, संकटकाल के संबंध में प्रशिक्षण एवं तैयारी संबंधी क्रियाओं या गतिविधियों को आसान करने हेतु मार्गदर्शन कर सकती है। विभिन्‍न विषयों जैसे चिकित्सा तैयारी मनोवैज्ञानिक सामाजिक देखभाल तथा ट्रॉमा. समुदाय आधारित आपदा तैयारी, सूचना एवं संचार तकनीकी प्रशिक्षण, संबन्धित हितधारियों के साथ साझेदारी में प्राकृतिक तथा मनुष्य जनित आपदाओं के बारे में जानकारी पैदा करना आदि में एन.डी.एम.ए. मार्गदर्शक बन सकती है। सभी स्तरों पर आपदा प्रबंधन अधिकारियों / प्राधिकरणों के पास उपलब्ध संसाधनों को, जिनमें संकटकाल समर्थन कार्य को सम्पन्त करने की क्षमता है, ऐसी आपदाओं के समय संबधित एंजेसियों को उपलब्ध कराया जायेगा (भारत सरकार)|


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