मानव विकास की अवधारणा इस बात पर आधारित है कि मनुष्य की क्षमताओं में वृद्धि से उसके विकल्प में भी वृद्धि होती है। आय, विकास का एक मुख्य तत्व है, परन्तु केवल आय और धन का संचय विकास नहीं है। दूसरी ओर मानव विकास को लक्ष्य बनाने के लिये यह आवश्यक है कि समर्थकारी पर्यावरण के लिये सुशासन दिया जाए | शासन : उनस्ते यूनाइटेड नेशंसं डेवलपर्मेट प्रोग्राम (यू एन डी पी) द्वारा जारी हयूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट में जृष्टिकोण विभिन्न देशों के परिप्रेक्ष्य से मानव विकास के मानदंड दिये गये है | 1990 में प्रकाशित प्रथम हयूमन डेवलपमेट रिपॉट में मानव विकास की नूतन अवधारणा को लाया गया, जिसमें मानव विकास को अहमियत दी गयी न कि अर्थव्यवस्था के विकास को | इसका प्रमुख आधार था “मनुष्य ही राष्द् के धन हैं”, यू एन डी पी के हयूमन डेवलपमेन्ट रिपोर्ट ऑफिस के अनुसार, मानव विकास है “मनुष्य जीवन की समृद्धि को बढ़ाना न कि केवल उस अर्थव्यवस्था की समृद्धि को बढ़ाना जहां मनुष्य रहते हैं| यह उस दृष्टिकोण का समर्थन करती है जहां लोगों के पास आर्थिक स्वतत्रंता हो, विकल्प तथा अवसर हो | अन्य शब्दों में यह जन-उन्मुख विचार को अधिक प्राथमिकता देता है न कि विकास-केन्द्रित विचार को | साथ ही ऐसे वातावरण का निर्माण करना, जहां सभी के पास समान अवसर हो तथा अपनी क्षमता तक विकास करने का विकल्प | साथ ही उत्पादक रचनात्मक जीवन व्यतीत करने का उचित अवसर, जिसका वह बाद में महत्व समझे।
मानव विकास की अवधारणा महबूब उल
हक और अमर्त्य सेन जैसे बुद्धि जीवियों द्वारा दिया गया। इनका मानना था कि मानय
विकास का अर्थ है मनुष्य जीवन में समृद्धि न कि अर्थव्यवस्था में समृद्धि |
महबूब उस हक फो 1989 में यूएनडीपी के विशेष
सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। उनके प्रयासों से हयूमन डेवलपमेन्ट रिपोट ऑफिस
(एचडीआरओ) ने वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करना प्रारम्भ किया | इसके प्रारम्भ के 50 वर्ष से भी कम समय में यह एक
महत्वपूर्ण एजेन्सी बन गयी है, जिसने सरकारी और गैर- सरकारी
संगठन को एकजुट किया है, साथ ही विकास की अर्थव्यवस्था में
एक नई विचारधारा को जन्म दिया है| इस कार्य से सरकार की विकास
नीति के “मानवीय” पक्ष को केन्द्र में लाया गया, क्यांकि इस
एजेन्सी का मानना था कि “मनुष्य ही देश का वास्तविक धन है" और मानव विकास अंत
है और आर्थिक वृद्धि उस अंत को प्राप्त करने का जरिया' | पहली
हयूमन डेवलपमेन्ट रिपोट ने इन बातो पर ज़ोर दियाः (1) मानवीय
क्षमता का सृजन जैसे स्थास्थ्य में सुधार, ज्ञान और कुशलता (2)
प्राप्त की गयी क्षमताओं का उपयोग, जैसे अयकाश
गतिविधियों, उत्पादन लक्ष्य, सांस्कृतिक,
सामाजिक और राजनैतिक लक्ष्य |
मानव विकास वह प्रक्रिया है,
जो व्यक्तियों की वास्तविक स्यतन्त्रता में वृद्धि करती है। इसका उद्देश्य
है लोगो को लंबी और स्वस्थ आयु प्राप्त करने के अवसर प्रदान करना, ज्ञान प्राप्ति के अवसर तथा वांछनीय जीवन स्तर। इसके अर्न्तगत राजनैतिक,
आर्थिक, सामाजिक स्वतन्त्रता, रचनात्मकता, मानवाधिकार सम्मान आदि सम्मिलित हैं।
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