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यर्कंस-डॉडसन लॉ की व्याख्या कीजिए।

यह निम्नलिखित तरीके से उद्देलन स्तर एवं कार्य प्रदर्शन के बीच संबंध की व्याख्या करता है “हम सर्वश्रेष्ठ तरीके से कार्य करते हैं जब हम सामान्य रूप से उद्देलित या उत्साही होते हैं तथा उच्च एवं निम्न स्तर की उद्देलन / स्फूर्ति खराब प्रदर्शन की तरफ ले जाती है" (फीस्ट एवं रोसेनबर्ग, 2015, पृ.399)

जैसा कि आप उपरोक्त चित्र में देखते है, जब उद्देलन निम्न या उच्च होती है तब प्रदर्शन या निष्पादन भी निम्न होता है। जबकि, उस समय प्रदर्शन उच्च स्तरीय होता है जब उद्बलन इश्टतम स्तर पर होती है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति तब प्रेरित होते हैं जब परिस्थिति में उद्दीपन अत्यधिक उच्च या निम्न स्तर की नहीं होती है।

यर्कस-डॉडसन लॉ के संदर्भ में हमें दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

a) उद्देलन स्तर पर वैयक्तिक विभिन्‍नताएं

b) कार्य का कठिन स्तर

सर्वप्रथम, जब हम बेहतर कार्य करने /» प्रदर्शन की तरफ ले जाने वाले इश्टतम उद्देलन स्तर की बात करते हैं तब यह ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि यह इश्टतम स्तर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्‍न हो सकता है। इस प्रकार से कोई निश्चित इश्टतम उद्देलन नहीं होती है बल्कि यह व्यक्ति-विशिष्ट रूप में होती है।

   दूसरी बात यह है कि कार्य की कठिनता का स्तर उद्देलन एवं कार्य प्रदर्शन के बीच संबंध को नियंत्रित करता है। जैसे कि यर्कस-डॉडसन लॉ उल्लेख करता है कि आसान कार्यो के प्रकरण में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रासंगिक रूप से उच्चतर उद्देलन स्तर की आवश्यकता होती है तथा कठिन कार्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रासंगिक रूप से निम्न स्तरीय उद्देलन की आवश्यकता होती है।

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