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भारतीय मनोविज्ञान क्‍या है? इसके क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।

भारतीय मनोविज्ञान देश की तीन मुख्य परम्पराओं अर्थात्‌ हिन्दुत्व, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में अंतर्निहित चेतना, मन और व्यवहार के बारे में ज्ञान का समृद्ध निकाय है, जो हमें अपने प्राचीन चिंतकों से विरासत में मिला है। चूंकि चेतना की प्रकृति, स्व और मानसिक गतिविधियों से जुड़ी अधिकतर सामग्री इन्हीं परम्पराओं में दी जाने वाली धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा व अनुष्ठानों के एक हिस्से के रूप में पनपी और विकसित हुई है, इसलिए वे या तो धार्मिक समझ ली जाती हैं या दार्शनिक।

क्षेत्र

भारतीय मनोविज्ञान का क्षेत्र केवल आध्यात्मिकता और धर्म तक ही सीमित नहीं है। हमारे चिंतकों ने मानव व्यवहारों के किसी भी पक्ष को नहीं छोड़ा है। उन्होंने मानव व्यवहारों के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला है। हम विकासात्मक आयाम (शोड्ष ‘Shodasha’ संस्कार) के बारे में, असामान्य व्यवहारों (आयुर्वेद में) के बारे में, यौनिकता और यौन व्यवहारों (कामसूत्र में), आर्थिक और राजनीतिक क्रियाओं (अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति में), समाज मनोविज्ञान के बारे में (धर्मशास्त्र और नीति शास्त्र में) आदि के बारे में सूचनाएं पाते हैं। इसी प्रकार, हम संज्ञानात्मक मनोविज्ञान के बारे में शट्‌ दर्शन ( भारतीय दर्शन की छह पद्धतियां) और जैन एवं बौद्ध दर्शन में ज्ञान पाते हैं। भारतीय मनोवैज्ञानिकों ने आधुनिक मनोविज्ञान में विवेचित मानव व्यवहार का जैव-मनो-सामाजिक संदर्भ और आध्यात्मिक आयामों को भी अपने अध्ययनों में शामिल किया है। इस प्रकार, भारतीय मनोविज्ञान का क्षेत्र यौनिकता से लेकर आध्यात्मिकता" तक विस्तृत है (सालागमे, 2013).

 

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