कविता के अनुवाद को लेकर विभिन्न विद्वान विभिन्न विचार व्यक्त करते रहे हैं।जहां आधुनिक समय में ग्रीक रचनाकार होमर के अनुयादक मैथ्यू ऑर्नल्ड मानते थे कि अनुवादक को मूल के प्रति पूरी तरह से निष्ठायान होना चाहिए और कविता काअनुयाद करते समय कवि के पूरे मानस, उसकी सामाजिक-मानसिक परिस्थिति, उसकी शैली आदि को पूरी तरह से अनुवाद में उतार देना चाहिए वहीं उत्तर आधुनिक समय के अनुवाद चिंतक लेफेवेयर कविता के अनुवाद के समय अपवर्तन अथवा rewriting की बात करते हैं और सुजित मुखर्जी नवसृजन यानी new writing की। वहीं एजरा पाउंड के अनुसार कविता के अनुवाद में यदि उसका मूल उत्स भी बच जाए तो अनुवाद को सफल माना जाना चाहिए।
मैथ्यू ऑर्नल्ड अपनी पुस्तक
"On Translating Homer” में लिखते हैं union of
the translator with his original, which alone can produce a good translation” अर्थात अनुवादक का मूल रचना के साथ एकीकरण ही एक अच्छे अनुवाद को जन्म दे
सकता है। और इसी आधार पर उन्होंने होमर के अनुवादकों - चैपमेन, पोष, न्यूमैन आदि की आलोचना की। कविता के अनुवाद में
कवि की निष्ठा कविता के अनुवा के समय, शैली, उसके अनुवाद के महत्व आदि विभिन्न बिंदुओं पर निर्मर करती है।
1.शिल्प और शैली के स्तर पर
मैथ्यू ऑर्नल्ड के अनुसार अनुवादक को कवि के विषय, नाद, शैली, शिल्प आदि हर स्तर
पर निष्ठावान होना चाहिए। फँज अहमद फैज़ की प्रसिद्ध पंक्तियां भारतीय स्वाधीनता
संग्राम में नारे की तरह इस्तेमाल हुईं। ऐसी कविता में तुकबंदी और लय का बहुत अधिक
महत्व होता है। ऐसी कविता के अनुवाद के समय उसके कथ्य के साथ शिल्प का महत्व बहुत
अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए-
बोल कि लब
आज़ाद हैं तेरे
बोल जबां
अब तक तेरी है
तेरा सुतवां
जिस्म है तेरा
बोल कि जां
अब तक तेरी है। (फैज़ अहमद फैज)
अनुवादक ने अनुवाद में कथ्य के साथ शिल्प को महत्व देते हुए कविता
की लय और तुकांत वृत्ति दोनों का ध्यान रखा है -
Speak, for
your lips are free
Speak, for
your tongue is still yours
Your
upright body belongs to you
Speak, for
your soul is still yours.
यहां कविता के अनुवाद की मैथ्यू ऑर्नल्ड द्वारा बल दी गई रणनीति
को समझा जा सकता है जहां अनुवाद में कथ्य के साथ-साथ शिल्प का भी बेहद महत्व है
तथा शिल्प के अभाव में कविता का अच्छा अनुवाद संभव नहीं। अनुवाद में रस और भाव के
साथ छंद,
लय, ध्वनि और नाद का भी उतना ही महत्व है।
2.
शीर्षक के स्तर पर-कविता में
शीर्षक का महत्व बहुत अधिक होता है। शीर्षक से ही कविता के स्वरूप का भान होता है।
कविता के अनुवाद में शीर्षक के अनुवाद पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
एक अन्य उदाहरण देखते
हैं। अमेरिकन कवयित्री एमिली डिकिंसन की कविता Hope is the thing with
feathers का हिंदी अनुवाद देखते हैं। इस कविता का अनुवाद रजनीश मंगा
ने किया है जिसका शीर्षक है आशा एक चिड़िया का नाम है।
Hope Is
The Thing With Feathers
by Emily
Dickinson
‘Hope' is
the thing with feathers—
That
perches in the soul—
And sings
the tune without the words—
And never
stops—at all—
And
sweetest—in the Gale—is heard—
And sore
must be the storm
That could
abash the little Bird
That kept
so many warm—
I've heard
it in the chillest land—
And on the
strangest Sea—
Yet,
never, in Extremity,
It asked a
crumb—of Me.
आशा एक चिड़िया का नाम है
आशा एक
चिड़िया का नाम है-
जो हमारी
आत्मा में बसती है-
और गाती है
निःशब्द गीत-
और कभी
रुकती नहीं- पल भर भी-
गीत
मधुरतम-तुंद हवाओं में सुनिएगा-
और तब भी
जब तूफान भयंकर सम्मुख हो-
उस नन्हीं
सी चिड़िया को न कर पाया पस्त
जिसने सब
में प्यार व गर्मजोशी बांटी हो-
मैंने
देखा-सुना हुआ है प्रचंड ठंड के स्थानों A
और धुर
अपरिचित समुद्र में भी-
या घोर
विपत्ति आ जाने पर भी,
ठसने मेरे
लिए कभी द्वार न अपने बंद किए
कविता के शीर्षक में ही अनुवाद द्वारा ली गई छूट देखी जा सकती है।
जहां मूल कविता का शीर्षक है Hope is the things with feathers वहीं हिंदी में इसका अनुवाद किया गया है - आशा एक चिड़िया का नाम है।
अनुवादक चाहते तो इसका शब्दानुवाद कर सकते थे और कह सकते थे कि “आशा एक पंखों वाली
शय का नाम है' लेकिन कवि ने कविता के पूरे भाव ओर संदेश को
समझते हुए इसका अनुवाद करने का प्रयास किया है हमें यह समझना होगा कि कविता के
अनुवाद में निष्ठा के मायने बेहतर अनुवाद से है जिसके तहत अनुवादक आवश्यकता पड़ने
पर छूट ले सकते हैं।
3.
शब्दों के स्तर पर-इसी कविता
से दो पंक्तियाँ लेकर यह समझाने का प्रयास किया जा रहा है-
And sings
the tune without the words—
And never
stops—at all—
इन दो पंक्तियों के अनुवाद को ध्यान से देखिए-
और गाती है
नि:शब्द गीत-
और कभी
रुकती नहीं- पल भर भी-
अंग्रेजी कविता की इन पंक्तियों में जहां कवयित्री ने tune
without the word कहा है, वहीं उसका अनुवाद
करते हुए अनुवादक 'निःशब्द गीत” शब्द का प्रयोग करते है। स्पष्ट
है कि अनुवाद करते समय अनुवादक का मूल उद्देश्य शब्द के स्थान पर शब्द रख देना
नहीं अपितु कविता के प्रति पूरी तरह न्याय करना था। अनुवाद में अनुवादक ने न केवल
कविता की आत्मा को बचाया है वहीं कविता के स्थायी भाव उदासी को पूरी तरह सहेजा है
जो कविता की शाब्दिक पंक्तियों के भीतर छिपा है। शिल्प की दृष्टि से भी अनुवादक ने
बहुत सावधानी बरती है। एमिली डिकिंसन (1830-1888) के
काव्यशिल्प के बारे में कहा जाता है कि वे बेहद छोटी-छोटी पंक्तियों में कविता लिखती
थीं। अनुवादक ने अनुवाद करते समय कवयित्री के शिल्प के साथ भी पूरा न्याय किया है।
मूल रूप से 12 छोटी पंक्तियों की कविता का 12 छोटी पंक्तियों में ही अनुवाद किया गया है।
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