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गिलफोर्ड का बुद्धि-संरचना सिद्धांत का वर्णन कीजिए।

जॉय पाल गिलफोर्ड, एक अमेरिकन मनोवैज्ञानिक मारक्वेट, नेब्रास्का में 7 मार्च 1897 को पैदा हुए। मानव बुद्धि के बारे में उनके मनोमितीय अध्ययन तथा सकेंद्रित एवं विकेंद्रित उत्पाद के बीच अंतर के व्याख्या के लिए वे जाने जाते है। नेब्रास्का विश्वविद्यालय से अपना ग्रेजुएशेन पूरा करने के पश्चात्‌ उन्होंने एडवर्ड टिचनर के निर्देशन में 1919 से 1921 तक कॉर्नेल में अध्ययन किया और बच्चों पर बुद्धि परीक्षण किया। उन्होंने अपनी 1967 में सेवानिवृत्ति तक विभिन्‍न विश्वविद्यालयों जैसे कैन्सस विश्वविद्यालय, नेब्रास्का विश्वविद्यालय तथा दक्षिणी कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में अध्यापक कार्य किया।

स्पीयरमैन के विपरीत गिलफोर्ड के मानना था कि बुद्धि बहु गतिविधियों का एक संयोजन है। गिलफोर्ड से पहले परम्परागत मॉडल ने बुद्धि को एक अखंड एवं वैश्विक गुण के रूप में प्रस्तावित किया। 1950 के अंत तक, उन्होंने नवीन मानसिक योग्यताओं की खोज करके वर्गीकृत करने की एक प्रणाली को विकसित करने का प्रयास किया तथा बुद्धि-संरचना मॉडल का प्रथम संस्रकण प्रस्तुत किया। यह मॉडल कारक विश्लेषण पर आधारित था। उन्होंने तर्क दिया कि बुद्धि में अनेक बौद्धिक योग्यताएं समाहित होती हैं। उन्होंने पहले बुद्धि में स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कारकों के 120 कारकों के साथ एक मॉडल प्रस्तावित किया जिसे बाद में संशोधित करके 180 कर दिया। बुद्धि- संरचना के इस मॉडल में सभी मानसिक योग्यताओं को उन्होंने तीन आयामों में व्यवस्थित किया - विषय वस्तु, संक्रिया तथा उत्पाद। यह मॉडल एक 'क्यूब' की तरह प्रस्तुत किया

गया जिसमें हर एक साइड में एक आयाम (5 x 6 x 6 = 180 विशिष्ट योग्यताएं) है। इस प्रकार बौद्धिक कार्य की तीन विशेषताएं हैं: विषय वस्तु आयाम जिसमें सूचना का विस्तृत क्षेत्र शामिल है, संक्रिया आयाम जिसमें संक्रिया या सामान्य संज्ञानात्मक या मानसिक योग्यताएं शामिल हैं। तथा उत्पाद आयाम जिसमें विशिष्ट विषयवस्तु के लिए प्रयोग किए गए विशेष संक्रिया का परिणाम शामिल है। इसलिए, इस मॉडल को तीन आयामी मॉडल भी कहते हैं जिसे एक क्‍्यूब के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

i) विषयवस्तु आयाम

विषयवस्तु आयाम में सूचना के विस्तृत क्षेत्र शामिल हैं जिसमें मानव बौद्धिक संक्रियों का अनुप्रयोग किया जाता है। प्रारंभ में, इनमें केवल चार श्रेणियाँ शामिल थी परन्तु बाद में इसमें श्रव्य एवं दृश्य को अलग कर दिया गया और इसे पाँच विषयवस्तु आयाम के रूप में बना दिया गया।

1) चाक्षुष- देखने के द्वारा ग्रहण की गई सूचना या एक प्रतिमान के रूप में रेटिना के उद्दीपन से उत्पन्न वाली सूचना।

2) श्रवणात्मक- सुनने के द्वारा ग्रहण की गई सूचना या आंतरिक कान के कोक्लिया के उद्दीपन से एक ध्यनि के रूप में उत्पन्न होनी वाली सूचना। (रेखाचित्र : वह सूचना जो गैर-मौखिक या चित्राधारित है, उसे बाद में दृश्य एवं श्रव्य में बाँट दिया गया)

3) प्रतीकात्मक- प्रतीक या चिहन के रूप में ग्रहण की गई वह सूचना जो किसी अन्य के लिए होती है, उनका स्वयं में कोई अर्थ नहीं होता है (अरबी संख्याएं, वर्णमाला के अक्षर, संगीतमय एवं वैज्ञानिक संकेत पद्धति)।

4) अर्थविषयक - विचारों तथा मौखिक अर्थ से संबंधित है।

5) व्यवहारात्मक - लोगों के कार्य या व्यवहार के रूप में ग्रहण की गई सूचना।

ii) संक्रिया आयाम

जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें छह: संक्रिया या सामान्य बौद्धिक प्रक्रियाएं शामिल हैं:

1) संज्ञान- सूचना को समझने, बोध करने, खोजने तथा जागरूक होने की योग्यता।

2) स्मृति अभिलेखन - सूचना को संकेतिक शब्दों में बदलने की योग्यता।

3) स्मृति प्रतिधारण - सूचना को स्मरण करने की योग्यता।

4) अपसारी उत्पादन - सृजनात्मक रूप से एक समस्या के लिए अनेक समाधान उत्पन्न करने की योग्यता।

5) अभिसारी उत्पादन- नियम का पालन करते हुए या समस्या समाधान करते हुए एक समस्या के एक एकल समाधान तक पहुंचने की योग्यता।

6) मूल्यांकन- सूचना सटीक, संगत या वैध है कि नहीं, इससे संबंधित निर्णय लेने की योग्यता।

iii) उत्पाद आयाम

उत्पाद आयाम में निर्दिश विषयवस्तु के लिए विशेष संक्रिया को लागू करने को परिणाम शामिल हे। इस में बढ़ती जटिलता में छह प्रकार के उत्पाद हैं:

1) इकाई - यह सूचना या ज्ञान का एक ही वस्तु का प्रतिनिधित्य करता है।

2) वर्ग - यह कुछ सामान्य विशेषताओं को साझा करने वाले आइटम का एक सेट है।

3) संबंध - वस्तुओं या चर के बीच एक संबंध का प्रतिनिधित्व करता है - जो कि विपरीत, संयोजन, अनुक्रम या समरूपता हो सकता है।

4) व्यवस्था - सहभागिता वाले भागों के साथ आइटम या नेटवर्क का एक संगठन या व्यवस्था |

5) रूपांतरण - दृष्टिकोण में परिवर्तन या रूपांतर से नया ज्ञान सृजन करना जैसे किसी शब्द में अक्षरों के क्रम को उलट देना।

6) निहितार्थ - यह ज्ञान से भविष्यवाणी, निष्कर्ष, परिणाम, या प्रत्याज्ञा को सूचित करता है।

एक व्यक्ति के द्वारा पूरे किए गए प्रत्येक कार्य में एक विशेष प्रकार की विषयवस्तु, मानसिक संक्रिया तथा एक उत्पाद समाहित होता है। उदाहरण के लिए “स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी जी द्वारा किए गए आंदोलनों' में विषयवस्तु आयाम में 'शब्दार्थ विज्ञान' शामिल है जिसमें शब्दों या वाक्यों का प्रयोग करके सूचना प्रदान करना शामिल है; 'याद' जो कि संक्रिया आयाम है तथा घटनाओं के क्रम का संबंध जो उत्पाद आयाम है, समाहित हैं। जैसा कि 5 प्रकार के विषयवस्तु, 6 प्रकार के संक्रिया तथा 6 प्रकार के उत्पाद हैं जो विशिष्ट मानसिक योग्यताओं के (5x6x6) 180 प्रकारों में हैं जिनमें से 100 से अधिक प्रयोगसिद्ध रूप से सत्यापित हो चुके हैं।

   गिलफोर्ड के बुद्धि-संरचना सिद्धांत की अत्यधिक जटिल होने के कारण आलोचना हुई है। व्यावहारिक दृष्टिकोण से, गिलफोर्ड के कारक इतने संकीर्ण और विशेषित हैं कि उनकी व्यावसायिक एवं शैक्षिक मार्गदर्शन में पूर्वानुमान के लिए बहुत कम महत्व है। इन आलोचनाओं के बावजूद भी बुद्धि पर अनुसंधान के क्षेत्र में उनके सिद्धांत का महत्वपूर्ण योगदान है।

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