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मानवविज्ञान और पर्यटन के बीच संबंध पर चर्चा करें।

 मानवविज्ञान समय और स्थान (टाइम स्पेस) में मनुष्य के जीवन का अध्ययन करता है| समय मूल रूप से भूवैज्ञानिक समय के पैमाने को दर्शाता है जिसमें मानव की उत्पत्ति, विकास और भिन्‍नता का अध्ययन शामिल है। स्थान, मानव आबादी के पारिस्थितिक और पर्यावरणीय संबंधों से संबंधित है जो पृथ्वी पर विभिन्‍न स्थानों में रहते हैं। मानवविज्ञान मेपुरानी संस्कृतियों के साथ-साथ वर्तमान में फलने-फूलने वाली संस्कृतियों का अध्ययन भी शामिल है| यह अन्य विषयोँ के विपरीत समग्रता में मनुष्यों का अध्ययन करता है जहां अन्य विषयों में केवल मानव के किसी विशेष पहलू को ध्यान में रखा जाता है जैसे इतिहास, अतीत में जो हुआ उससे संबंधित है जबकि मनोविज्ञान, मानव मन आदि का अध्ययन करता है।

   मानवविज्ञान शब्द दो ग्रीक शब्दों “एश्रोपोए" जिसका अर्थ मानव और “लोगोस' का अर्थ अध्ययन! से लिया गया है।

   एक शैक्षिक विषय अनुशासन के रूप में मानवविज्ञान अपनी चार प्रमुख शाखाओं, (क) भौतिक मानवविज्ञान, (ख) सामाजिक-सांस्कृतिक मानवविज्ञान, (ग) पुरातात्विक मानवविज्ञान और (घ) भाषाई मानवविज्ञान के साथ बीसवीं शताब्दी में उमरा। जो वैज्ञानिक और मानवतावादी दोनों दृष्टिकोणों से देखता है और समग्र दृष्टिकोण को ध्यान में रखता है।

  समाज और संस्कृति का अध्ययन सामाजिक और सांस्कृतिक मानवविज्ञान के क्षेत्र में आता है। विषय का सबसे महत्वपूर्ण योगदान दुनिया भर मेँ विभिन्‍न समाजों और संस्कृतियों को समझने में रहा है, दोनों अपने उद्देश्य महत्व को पेश करते हुए, पक्षपात और पूर्वाग्रहों से दूर रहे हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक मानवविज्ञान सामाजिक संस्थानों और सांस्कृतिक विशेषताओं को समझना चाहता है, जो समग्र रूप से मानव समाज का निर्माण करते हैं। मानवविज्ञानी अतीत में रुचि रखते हैं, विभिन्‍न सांस्कृतिक अवधियों के दौरान लोग कैसे रहते थे यह पुरातात्विक मानवविज्ञान का विषय क्षेत्र है। इसका उद्देश्य प्रागैतिहासिक मानव द्वारा उपयोग किए गए विभिन्‍न उपकरण प्रकारों के अध्ययन के माध्यम से मानव अतीत को फिर से जोड़ना है, जिनमें कोई लिखित रिकॉर्ड (साक्ष्य) नहीं हैं। इनमें गुफा कला का अध्ययन, पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल के भीतर विभिन्‍न सांस्कृतिक अवधियों में पत्थर के औजार, चालकोलिथिक काल और इससे पूर्व की सभ्यताओं की कला और कलाकृतियां शामिल हैं। अतीत को निरपेक्ष और सापेक्ष तिथी निर्धारण (डेटिगं) की विधियों द्वारा पुनः निर्मित कर प्रागैतिहासिक मानव के पूर्व जीवन का अध्ययन किया जाता है।

   भाषा को संस्कृति के लिए वाहन के रूप में जाना जाता है | अभी तक न तो कोई एक संस्कृति है और न ही एक भाषा। हालाँकि, संचार हमेशा अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोगों के बीच होता रहा है। भाषाई मानवविज्ञान में भाषाओं का अध्ययन शामिल है जो विभिन्‍न भाषाई समूहों से संबंधित लोगों के बीच संचार का एक माध्यम रहा है। इसमें केवल मौखिक भाषा ही नहीं, बल्कि भावमँगिमा (बाडी लैंगग्विज) और सांकेतिक भाषा दोनों शामिल हैं| हाल ही के एक अध्ययन में तुर्की के एक गाँव को दिखाया गया है जहाँ लोग सीटी बजाकर संपर्क करते हैं। आधुनिकीकरण और वैश्वीकरण के सामने कुछ बोलियां तेजी से गायब हो रही हैं, ऐसी बोलियों को संरक्षित और प्रलेखित करना भाषाई मानवविज्ञानी की एक प्रमुख गतिविधि है।

   मानवविज्ञान का उद्भव पूर्व की खोज और उपनिवेशीकरण की यूरोपीय यात्रा में निहित है। प्रारंभिक वर्षों के दौरान 'आर्म चेयर एन्थ्ोपोलॉजिस्ट' के रूप में मानवविज्ञानीक्षेत्रुफील्ड) में डेटा संग्रह के लिए उद्यम नहीं करते थे।

    1890 मेँ सर जेम्स फ्रेजर द्वारा गोल्डन बाउ में प्रकाशित पहले लिखे लेख यात्रियों, प्रशासकों, मिशनरियों आदि के कथन पर आधारित थे, जिन्होंने दूर-दूर की जगहों की यात्रा की और स्थान, लोगों और उनकी संस्कृतियों को “अनोखी” कहानियों के तौर पर प्रस्तुत किया।

   समय के साथ, मानवविज्ञान को एक क्षेत्र विज्ञान(फील्ड साइंस) के रूप मेँ स्थापित किया गया और क्षेत्रीयकार्य मानवशास्त्रीय अध्ययन की पहचान बन गया। ट्रोब्रिएंड आइलैंडर्स के बीच मालिनोव्स्की के काम को प्रतिभागी अवलोकन, साक्षात्कार और केस स्टडी विधियों का उपयोग करते हुए 'मूल निवासियों ' के बीच वैज्ञानिक क्षेत्रीयकार्य (फील्डवर्क) करने की विधि के रूप में माना जाता है | आदर्श रूप से एक वर्ष की लंबी अवधि तक अध्ययन क्षेत्र के लोगों के साथ रहना और स्थानीय भाषा का उपयोग करना मलिनोवस्की के काम को अग्रिम श्रेणी में रखता है, जो आज भी मानवशास्त्रीय अध्ययन की रीढ़ हैं। फील्डवर्क का महत्व तीन बुनियादी सवालों को समझने में है जिसे मलिनोवास्की ने अपने काम के दौरान पूछा था:

   पर्यटन का एक लंबा इतिहास है और मानव जाति की संस्कृतियों में व्याप्त है| यह समकालीन लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण सामाजिक तथ्य है| यह दुनिया के प्रमुख उद्योगों में से एक है और विकासशील देशों (तीसरी दुनिया) के कई राष्ट्रों के लिए एक विकास का साधन है | स्मिथ ने अपनी पुस्तक, होस्ट्स एंड गेस्ट्स: द एंश्रोपोलॉजी ऑफ टूरिज्म (1989) के प्रस्तावना में पर्यटक को 'एक अस्थायी रूप से कार्यनिवृत्त व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया है जो स्वेच्छा से एक परिवर्तन का अनुभव करने के उद्देश्य से दूसरी जगह पर जाता है।' व्यक्ति को पर्यटन हेतु प्रेरित करने के लिए कई कारक हैं, लेकिन पर्यटन की नींव तीन प्रमुख स्तंमो पर पर टिकी हुई है, अर्थात

पर्यटन = अवकाश का समय + विवेकाधीन आय + सकारात्मक स्थानीय स्वीकृति |

स्मिथ के अनुसार किसी व्यक्ति के पास समय और विवेकाधीन आय (भोजन, कपड़े, आवास, स्वास्थ्य-देखभाल, परिवहन आदि जैसे व्यक्तिगत्त आवश्यक वस्तुओं के लिए आवश्यक आय नहीं है) और पर्यटन के पक्ष में सकारात्मक सांस्कृतिक स्वीकृति एक व्यक्ति को उसके नियमित,” नीरस जीवन से एक विशम लेने की स्वीकृति देते हैं। एक गतिविधि के रूप में पर्यटन एक व्यक्ति को छोटी अवधि के विश्राम के साथ उसके कार्य जीवन को वैकल्पिक करने का अवसर देता है| जे.जाफरी (1977) ने पर्यटन को 'मनुष्य के अपने सामान्य निवास स्थान से दूर उद्योग के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया, जो कि उनकी आयश्यकताओं की पूर्ति करता है, और सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक और भौतिक वातावरण पर पर्यटक और पर्यटन उद्योगों का भी अध्ययन करता है।' मैथिसन और वॉल (1982) ने अपनी पुस्तक टूरिज्म: इकोनोमिक, फिजिकल एंड सोशल इग्यैक्ट में पर्यटन को निम्नलिखित शब्दों में परिभाषित किया है, एक बहुआयामी घटना के रूप में, जिसमें आवाजाही शामिल है, और निवास के सामान्य स्थान के बाहर गंतवब्यों में रहना जिसमें गतिशील, स्थिर और परिणामी तत्व शामिल हैं || जबकि जाफरी की परिभाषा एकसमग्र दृष्टिकोण देती है, वहीं मैथिसन और याल पर्यटन को एक घटना के रूप में वर्णन करते हैं| ग्रीनवुड जैसे अन्य विद्वानों ने पर्यटन पर मानवशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के बारे में चर्चा करते हुए सांस्कृतिक वस्तुकरण के रूप में पर्यटन को माल, सेवाओं और लोगों के बड़े पैमाने पर गतिशीलता के रूप में परिभाषित किया जो मानवता ने शायद कभी देखा है'| लेट (1989; 275) ने दुनिया के इतिहास में सांस्कृतिक सीमाओं पर लोगों के सबसे बड़े शांतिपूर्ण गतिशीलता को लाने के लिए पर्यटन को श्रेय दिया| मानवविज्ञानी के लिए पर्यटन को परिभाषित करना बहुत कठिन है क्योंकि इसमें विभिन्‍न आयाम शामिल हैं, लेकिन जैसा कि वैन हैस्लर ने अपनी पुस्तक टूरिजृम' एन एक्स्रप्लोरेशन (1994) में कहा कि पर्यटन के चार प्राथमिक तत्व हैं| ये हैं:

  • ·         यात्रा की मांग
  • ·         पर्यटन मध्यस्थ
  • ·         गंतव्य प्रभाव
  • ·         प्रभावों की सीमा

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