आंगिक संप्रेषण से तात्पर्य है शब्द रहित संदेश का प्रेषण। शब्द रहित संदेश भेजने और प्राप्त करने की प्रक्रिया से यह सिद्ध होता है कि शाब्दिक भाषा ही संप्रेषण का एकमात्र साधन नहीं है। संप्रेषण के अन्य साधन भी हैं।
आंगिक संप्रेषण को शारीरिक चेष्टाओं-हाव-भाव,
स्पर्श (हैपटिक संप्रेषण), शारीरिक भाषा,
भावभंगिमा, चेहरे की अभिव्यक्ति या आँखों के
संपर्क से भी अभिव्यक्त किया जा सकता है। आवाज या वाणी के अंतर्गत समांतर भाषा
नामक अवाचिक तत्व समाविश्ट होते हैं। इनमें आवाज की गुणवत्ता, भावना, बोलने के तरीके आदि के साथ ही ताल, लय, आलाप, आरोह-अवरोह एवं तनाव
जैसे छंदशास्त्र संबंधी लक्षण भी शामिल हैं। नृत्य भी अशाब्दिक या आंगिक संप्रेषण
की ही एक शैली है। यद्यपि हम सर्वत्र नृत्य का उपयोग नहीं कर सकते, किंतु साहित्य-संस्कृति के अंतर्गत नृत्य एक सशक्त आंगिक संप्रेषण है। इसी
तरह लिखित पाठ में भी अशाब्दिक तत्व होते हैं; जैसे –
हस्तलेखन तरीका, शब्दों की स्थान संबंधी व्यवस्था या
इमोटिकॉन (ए17016०ा) का प्रयोग | आंगिक संप्रेषण के लिए 'अवाचिक संप्रेषण', 'वाचेतर संप्रेषण', 'अशाब्दिक संप्रेषण', या 'शब्दतेर
संप्रेषण' आदि शब्द प्रयुक्त किए जाते हैं।
आंगिक संप्रेषण या अशाब्दिक संप्रेषण अधिकतर अनियंत्रित
संकेतों पर आधारित होता है। अलग-अलग संस्कृतियों के अनुसार यह पृथक-पृथक हो सकता
है। कुछ हद तक यह अधिकतर मूर्ति सदूश (आइकॉनिक) है। इसे वैश्विक रूप से समझा जा
सकता है। चेहरे की अभिव्यक्ति के संबंध में पॉल एकमैन (1960 के दशक में) ने एक
महत्वपूर्ण अध्ययन प्रस्तुत किया है कि गुस्सा, घृणा,
भय, प्रसन्नता, उदासी,
एवं आश्चर्य आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति सार्वभौमिक होती है और यह अभिव्यक्ति
आंगिक संप्रेषण से स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त भी हो सकती है।
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