जैसा कि विदित है भारत में जनगणना की विधिवत शुरुआत 1872 ई. से हुई। मुगल साम्राज्य में जनसांख्यिकी संबंधी आंकड़ों का काफी अभाव है, कहा जाता है कि अकबर ने जनसंख्या का विस्तार से आकलन करने का आदेश दिया था, पर इस संदर्भ में और कोई जानकारी हमें नहीं मिलती है। यहां तक कि आइन-ए-अकबरी, जिसमें विभिन्न प्रकार के आंकड़े सम्मिलित हैं, में भी अकबर के पूरे साम्राज्य या इसके किसी एक भाग में रहने वाली जनसंख्या का कोई आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया गया है।
मुगलकालीन
भारत की जनसंख्या का आकलन
लगभग 1601 ई0 से 1872 ई0 तक के भारत का
निश्चित जनसांख्यिकी आंकड़ा प्राप्त करना लगभग असंभव है पर इसे जाने -बिगा कई
पहलुओं पर प्रकाश नहीं डाला जा सकता है। जनसांख्यिकी तत्व को नजरअंदाज कर आर्थिक
इतिहास के किसी भी चरण का अध्ययन नहीं किया जा सकता है। आधुनिक समाजों के आविर्भाव
के पहले जनसंख्या विकास को [क्सर आर्थिक विकास का सूचकांक माना जाता था। अत:
विभिन्न प्रकार के उपलब्ध आंकड़ों की सहायता से 1601 ई. में भारतीय जनसंख्या
काआकलन आवश्यक है। |
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