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मैस्लों की आवश्यकता संबंधी क्रमसूची का तथा बच्चों के अभिप्रेरित करने में शिक्षक के लिए इसकी आवश्यकता की व्याख्या कीजिए ।

 मैस्लो की आवश्यकता, या मैस्लो की प्य्रामिड, अमेरिकी मनोविज्ञानी अब्राहम मैस्लो द्वारा प्रस्तुत किया गया एक सिद्धांत है जिसमें मानव की आवश्यकताओं और मनोबल की प्य्रामिडिक संरचना का वर्णन किया गया है। यह सिद्धांत मानव विकास, शिक्षा, और मनोबल की गहरी समझ को साझा करता है और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें, हम मैस्लो की आवश्यकता के संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे और बच्चों के अभिप्रेरणा के लिए शिक्षक के लिए इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को व्याख्या करेंगे।

मैस्लो की प्य्रामिड: आवश्यकताओं की चरणबद्ध जरूरत

मैस्लो की प्य्रामिड मनोबल के विकास को पांच प्रमुख चरणों में विभाजित करती है, जो मानव की आवश्यकताओं को प्रकट करती हैं। यह प्रत्येक चरण की आवश्यकता को सीखने और समझने की प्रक्रिया को दर्शाती है, जो शिक्षा में भी महत्वपूर्ण होती है।

1. भौतिक आवश्यकताएँ (Physiological Needs): इस पहले चरण में, मैस्लो ने भौतिक आवश्यकताओं की महत्वपूर्णता को बताया है। यह आवश्यकताएँ भोजन, पानी, शेल्टर, ऊर्जा, और वृत्ति को शामिल करती हैं। बच्चों के लिए, इस चरण में उन्हें खाने, पीने, सोने, और सुरक्षित रहने की जरूरत होती है। शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों को इन आवश्यकताओं की सही पूर्ति करें ताकि वे शिक्षा के लिए संतुष्ट और उत्सुक रहें।

2. सुरक्षा आवश्यकताएँ (Safety Needs): इस दूसरे चरण में, सुरक्षा आवश्यकताओं की बात की गई है। यह आवश्यकताएँ जैसे कि नियमित रूप से विद्यालय जाना, स्वास्थ्य का ध्यान रखना, और सुरक्षित और स्थिर वातावरण की जरूरत को दर्शाती हैं। इस चरण में, शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे विद्यार्थियों को सुरक्षित महसूस कराएं और उनका ध्यान स्वास्थ्य और भविष्य की योजनाओं की ओर मोड़ें।

3. प्यार और संबंधों की आवश्यकताएँ (Love and Belonging Needs): तीसरे चरण में, मैस्लो ने मानवीय संबंधों और प्यार की आवश्यकता को जारी रखा है। इसमें परिवार, मित्र, और समुदाय के साथ संबंधों का महत्व आता है। बच्चों के लिए, यह चरण सहायक और सहायता करने वाले शिक्षकों की जरूरत को दर्शाता है ताकि वे स्कूल में संबंध बना सकें और साथ में सीख सकें।

4. सम्मान और स्वाभिमान की आवश्यकताएँ (Esteem Needs): चौथे चरण में, मैस्लो ने आत्मसम्मान और सम्मान की आवश्यकता को दर्शाया है। यहां तक कि व्यक्ति को उनकी क्षमताओं और योग्यता का सम्मान करने की जरूरत होती है। शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों को स्वाभिमान और सम्मान की भावना से भरपूर बनाएं और उन्हें उनकी प्रगति और सफलता के लिए प्रोत्साहित करें।

5. स्वाधिकार और स्वयंसमर्पण की आवश्यकताएँ (Self-Actualization Needs): पांचवे और अंतिम चरण में, मैस्लो ने स्वाधिकार और स्वयंसमर्पण की आवश्यकता को बताया है। इसमें व्यक्ति के स्वयं के प्रति समर्पण, आत्म-प्रतिष्ठा की प्राप्ति, और अपने संवादनाओं को पूरा करने की आवश्यकता आती है। शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों को उनकी संवादनाओं को समझने और प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें उनके स्वयं के प्रति अधिक जागरूक बनाएं।

मैस्लो की आवश्यकता और शिक्षा

मैस्लो की प्य्रामिड शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह शिक्षकों को छात्रों की आवश्यकताओं को समझने और पूरा करने में मदद करता है। निम्नलिखित हैं कुछ तरीके जिन्हें शिक्षकों को इस संदर्भ में अपनाने चाहिए:

1. विवेकानुभव के साथ पाठयक्रम: शिक्षकों को छात्रों के विवेकानुभव को समझने के लिए साहसी होना चाहिए और उन्हें विवेकानुभव से सीखने का मौका देना चाहिए। इससे वे छात्रों की आवश्यकताओं को समझ सकते हैं और उनके शिक्षा प्रोसेस को उनके आवश्यकताओं के आधार पर साझा कर सकते हैं।

2. व्यक्तिगतीकरण: छात्रों के व्यक्तिगत आवश्यकताओं को पहचानने और समझने के लिए, शिक्षकों को उनके साथ व्यक्तिगत बातचीत करनी चाहिए। वे छात्रों को उनके अभिरुचियों, इंटरेस्ट्स, और प्राथमिकताओं के हिसाब से शिक्षा प्रदान करने का प्रयास कर सकते हैं।

3. उदाहरण सेट करना: शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए उदाहरण सेट करने का काम करना चाहिए। वे छात्रों को सुरक्षित और सहायक वातावरण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, ताकि छात्र अधिक सुरक्षित महसूस करें और स्कूल में सीखने में अधिक उत्सुक रहें।

4. स्वाभिमान और सम्मान को प्रोत्साहित करना: शिक्षकों की जिम्मेदारी होती है कि वे छात्रों के स्वाभिमान और सम्मान की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। वे छात्रों को उनकी सफलता की प्रतिक्रिया और सम्मान के साथ प्रोत्साहित करने का प्रयास कर सकते हैं।

5. स्वयंसमर्पण की प्रोत्साहना: शिक्षकों को छात्रों को उनके स्वयंसमर्पण की ओर प्रोत्साहित करने के लिए उत्सुक करना चाहिए। वे छात्रों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक बन सकते हैं और उन्हें अपनी आवश्यकताओं और सपनों के प्रति सजग बना सकते हैं।

बच्चों के अभिप्रेरणा में शिक्षक की भूमिका

शिक्षकों की भूमिका छात्रों के अभिप्रेरणा में महत्वपूर्ण होती है। वे छात्रों को उनके आवश्यकताओं को समझने और पूरा करने में मदद कर सकते हैं ताकि वे अधिक उत्सुक और प्रेरित रहें। निम्नलिखित हैं कुछ तरीके जिन्हें शिक्षक छात्रों को प्रेरित करने में अपना योगदान दे सकते हैं:

1. प्रेरणास्पद पाठ्यक्रम: शिक्षकों को प्रेरणास्पद पाठ्यक्रम डिज़ाइन करने का काम करना चाहिए जो छात्रों को उनके आवश्यकताओं और रुचियों के आधार पर प्रेरित कर सकते हैं। इससे वे छात्रों को उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक बना सकते हैं।

2. उत्साहपूर्ण आदर्श: शिक्षकों को अच्छे आदर्श दिखाने का काम करना चाहिए। वे छात्रों को उनके सपनों को पूरा करने के लिए उत्साहित कर सकते हैं और उन्हें सफलता की ओर मोड़ सकते हैं।

3. स्वयंसमर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका: शिक्षकों को छात्रों को स्वयंसमर्पण की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूक करना चाहिए। वे छात्रों को उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए अपनी कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा दे सकते हैं।

4. स्वाधिकार की समझ: शिक्षकों को छात्रों को उनके स्वाधिकारों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूक करना चाहिए। वे छात्रों को उनके स्वाधिकारों का समर्थन करने और उन्हें उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

मैस्लो की आवश्यकता सिद्धांत शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है जो उन्हें छात्रों की आवश्यकताओं को समझने और पूरा करने में मदद करता है। छात्रों के अभिप्रेरणा में भी शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और वे उन्हें उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इस प्रकार, शिक्षक छात्रों के समृद्ध शिक्षा और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समाज के निर्माण में योगदान करते हैं।

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