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MHD-15 Solved Assignment 2023-24 for July 2023 and January 2024 Session
M.H.D-15
हिंदी उपन्यास -2
सत्रीय कार्य
पाठ्यक्रम कोड : एम.एच.डी.-15
सत्रीय कार्य कोड : एम.एच.डी.-15 / टी.एम.ए. / 2023-24
कुल अंक : 100
1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
(क) दौलू मामा, तुम लाहौर की कितनी गलियों के कितने बच्चों के मामा थे। तुम उम्र भर रोजाना सैकड़ों बच्चों को हँसा-हँसा कर आज उन्हें फूट-फूट कर रोते छोड़ गये हो। इन भोले बच्चों का खिलौना किस जालिम ने छीन लिया? मामा किसका दुश्मन था? मामा न यूनियनिस्ट मंत्रिमंडल से मतलब रखता था, न लीग की वजारत से। वह तो मानव था, केवल निरीह मानव। उसका खून मानवता का खून है। मानवता के खून की इस प्यास को कौन भड़का रहा है?
(ख) मत देखो /दोड़ चलो / छोड़ चलो
इस पानी को “इस धरती को
जिसने हर मौसम / हर बहार में
सूरमाओं की पनीरी उगाई थी
जिसने » हाड़ मांस के इंसानों में
मेहनत करने / और जिंदगी को
जी भर कर प्यार करने की
ललक जगाई थी / लौ लगाई थी।
(ग) बस, माणिक मुल्ला भी तुम्हारा ध्यान उस अथाह पानी
की ओर दिला रहे हैं जहाँ मौत है, अँधेरा है, कीचड़ है,
गन्दगी है या तो दूसरा रास्ता बनाओ नही तो डूब जाओ।
लेकिन आधी इंच ऊपर जमी बरफ कुछ काम
न देगी। एक ओर नने लोगों का यह रोमानी दृष्टिकोण,
यह भावुकता, दूसरी ओर बूढ़ों का यह थोथा आदर्श
और झूठी अवैज्ञानिक मर्यादा। सिर्फ आधी इंच बरफ
है, जिसने पानी की खूँखार गहराई को छिपा रखा है।
(घ) हमारे इतिहास में - चाहे युद्धकाल रहा हो, या
शांतिकाल - राजमहलों से लेकर खलिहानों तक गुटबंदी
द्वारा 'में' को 'तू' और 'तू' को 'मैं' बनाने की शानदार
परंपरा रही है। अंग्रेजी राज में अंग्रेजों को बाहर भगाने
के झंझट में कुछ दिनों के लिए हम उसे भूल गए थे।
आजादी मिलने के बाद अपनी और परंपराओं के साथ
इसको भी हमने बढ़ावा दिया है। अब हम गुटबंटी को
तू-तू, मैं-मैं, लात-जूता, साहित्य और कला आदि सभी
पद्धतियों से आगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारी सांस्कृतिक आस्था है।
2. झूठा सच' के आधार पर जयदेव पुरी का चरित्र-चित्रण कीजिए |
3. 'जिन्दगीनामा' की भाषा और शैली की विशेषताएँ बताइए |
4. 'सरज का सातवाँ घोड़ा' के औपन्यासिक शिल्प पर प्रकाश डालिए |
5. राग दरबारी' के विशिष्ट चरित्रों की चारित्रिक विशेषताओं की चर्चा कीजिए |
6. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए :
(क) 'झूठा सच' की भाषा
(ख) जिन्दगीनामा' की अंतर्वस्तु
(ग) माणिक मुल्ला का चरित्र
(घ) 'रागदरबारी' में निहित जीवन-दृष्टि
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