घरेलू जल संरक्षण
जल संरक्षण कार्यक्रम मुख्य रूप से स्थानीय स्तर पर या तो जल निगम या स्थानीय सरकार द्वारा आरम्भ किए जाते हैं। सामान्य नीतियों में सार्वजनिक शिक्षा अभियान, सामाजिक जल जागरूकता, उत्तरोत्तर उच्च दर वसूली, जल उपयोग में वृद्धि, फव्वारें व शौचालय यंत्रों के लिए अनुदान और बगीचों में फव्वारों पर मौसमी प्रतिबन्ध सम्मिलित हैं। शुष्क जलवायु में शहरों में बाहरी जल उपयोग को कम करने के लिए नये घरों में प्राकृतिक बागवानी को बढ़ावा दिया जाता है। एक आधारमूत संरक्षण उद्देश्य सार्वभौमिक मापन है। जल को नापने से जल उपभोग 20 से 40% तक कमकिया जाता है। जल मापन जल उपभोग की उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के साथ ही, स्थानीय जल रिसाव की पहचान करने का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है।
व्यक्तिगत आदतों द्वारा जल का उपयुक्त उपयोग
• जल को केवल इसलिए व्यर्थ मत कीजिए कि कोई और बिल का भुगतान कर रहा है। जल का संरक्षण कीजिए क्योंकि यह एक उत्तम कार्य है।
• दाँत ब्रश करते व दाढ़ी बनाते हुए नल को बहता हुआ मत छोड़िए। इसे तभी खोलिए जब आपको इसकी आवश्यकता हो।
• कपड़े धोने की मशीन का उपयोग कीजिए जो अधिक पानी का उपभोग नहीं करती हो। वाटर कूलर की मौसमी रख-रखाव जाँच आवश्यक है।
• अधिक दक्ष भोजन निर्माण के लिए आपके प्रेशर कुकर की वार्षिक जाँच कीजिए। अपने बर्तनों व कड़ाही को सफाई के लिए खुरचते समय जल को बहते हुए छोड़ने की बजाय उन्हें भिगोइए। हवा के दिनों में अपने बगीचें में जल मत दीजिए।
• दिन के अन्त में यदि आपकी पानी पीने की बोतल में पानी रह गया है तो उसे फेंकिए मत, इसे पौधों में डाल दीजिए।
जल आपूर्ति व स्वास्थ्य संबंधी यंत्रों से जल हानि में कमी
• वाशर बदलकर रिसते,/टपकते हुए वाल्ब की मरम्मत कीजिए। यदि आपका वाल्ब बूंद प्रति सेकंड की दर से टपक रहा है लगभग 8000 लीटर जल प्रतिवर्ष व्यर्थ हो जाएगा परिणामस्वरूप जल व सीवर तंत्र की लागत बढ़ जाएगी।
• नन््यून फ्लश शौचालय, संयुक्त शौचालय व जलरहित पेशाबघर जल की काफी मात्रा को बचाने में मदद करते हैं। पाश्चात्य शौचालय में जल की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।
• कम बहाव फव्वारा इकाईयां जिन्हें ऊर्जा दक्ष फव्वारे भी कहते हैं, उपयोग में लिए जाने चाहिए।
• स्प्रे टॉंटी जो कि कम जल उपयोग करते समय, गीला बनाए रखने के लिए जल बहाव को महीन बूंदों में तोड़ देती हैं। ये हाथ व बर्तन धोते समय छींटों को कम कर देती हैं।
• बर्तनों को हाथ से,धोते समय, उनको खंगालते समय जल को बहता हुआ मत छोड़िए। एक सिंक को धोने के पानी से व दूसरे को खंगालने के पानी से भरिए।
उपभोग रहित आवश्यकताओं में काम लिए गए जल का पुनःउपयोग व पुनःचक्रण
• नाले के पानी को निकास के बजाय, पौधों या बगीचों में पानी देने या सफाई के लिए उपयोग किया जा सकता है।
• व्यर्थ जल को जल उपचार संयंत्र में शुद्धीकरण करके पुनः: उपयोग करना।
• फलों व सब्जियों को धोने में काम लिया गया जल फूलों व गमले में लगे सजावटी पौधों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
औद्योगिक जल संरक्षण
'जल हमारे स्वास्थ्य व हमारी अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए आवश्यक है। इस मूल्यवान संसाधन के मुख्य उपयोगकर्ता के रूप में उद्योग, जल संरक्षण तकनीकों को काम लेने के लिए महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व रखते हैं जिससे अत्यधिक लाभ हो सकता है। अपने जल उपयोग में कमी करके उद्योग पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं व अपने व्यापार की लागत कम करके प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
उद्योगों के लिए जल उपधथाग: वे उद्योग जो धातु, लकड़ी व कागजी उत्पाद, रसायन कपड़ा व तेल उत्पादन करते हैं वे जल के बड़े उपयोगकर्ता होते हैं। प्राय: हर निर्मित उत्पाद उत्पादन प्रक्रिया के किसी भाग के दौरान जल का उपयोग करता है। औद्योगिक जल उपयोग में, एक उत्पाद के निर्माण, प्रक्रिया, धावन, तनुकरण, शीतलन अथवा परिवहन के उपयोग में लिया जाने वाला जल, एक उत्पाद में मिला जल या निर्माण प्रक्रिया में स्वच्छता के लिए आवश्यक जल सम्मिलित है।
खाद्य सामग्री, कागज, रसायन, परिष्कृत पैट्रोलियम व प्राथमिक धातु उद्योग जल की बड़ी मात्रा का उपयोग करते हैं।
उद्योगों में जल आवश्यकता: पहले भारत में उद्योगों की जल आवश्यकता अन्य क्षेत्रों की मांग की तुलना में बहुत कम थी। जनसंख्या में तीव्र वृद्धि व औद्योगिकीकरण के कारण समग्र रूप से आर्थिक विकास के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र के लिए जल आवश्यकता अनेक प्रकार से बढ़ चुकी है।
जब औद्योगिक मांग एक स्थान पर केंद्रित हो जाती है, उपलब्ध जल स्रोतों पर अत्यन्त दबाव आ जाता है। इस प्रकार औद्योगिक स्थान की स्थिति में जल उपलब्धता एक महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि गुणवत्ता वाले जल की अनुपलब्धता व कमी की परिस्थितियों से कुछ उद्योग बंद हो चुके हैं। उद्योगों को बहुत से उद्देश्यों के लिए जल की आवश्यकता होती है जिनमें से अधिकतर उपभोगरहित हैं, इस प्रकार पुनःचक्रण व अन्य संरक्षण उपायों द्वारा पुनःउपयोग संभव है।
जल संरक्षण करने के लिए तकनीकें: एक उत्पाद के लिए उपभोग में ली गई जल की मात्रा विस्तृत रूप से उपयोग में ली गई प्रक्रिया, संयंत्र की दक्षता, काम में ली गई तकनीक, जल के पुनःचक्रण की सीमा व अन्य घटकों पर निर्भर करती है। उद्योगों के लिए जल माँग के कोई निश्चित नियम नहीं हैं। हालांकि उपयोग में ली गई तकनीक, संयंत्र व प्रक्रिया का चुनाव, माँग व प्रदूषण कम करने के लिए दी गई अधिकतम पुनःचक्रण की क्रियाओं के आधार पर मानों की एक परास निर्धारित की गई है।
जल संरक्षण में निम्नलिखित क्रियाकलाप सहायता करते हैं:
• जल का पुनःउपयोग व पुनःचक्रण जब अधिकतम जल उपभोगरहित हो।
• एकल शीतलन प्रणाली से बचना यदि जल का पुनःउपयोग न हो।
• निम्न बहाव के जल तंत्र का उपयोग कीजिए।
• वृहद सुविधाओं के लिए स्थान विशिष्ट जल संरक्षण योजनाओं का विकास।
• पूर्व में परम्परागत आपूर्ति विन्यासित धारणाओं की बजाय तकनीकी सुधार, पुनःउपयोग व माँग प्रबन्धन के अन्य रूपों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।
• अपशिष्ट न्यूनीकरण पर जोर देने के साथ अपशिष्ट उपयोग तकनीकें स्वच्छ उत्पादन तकनीकों को अपनाये जाने के लिए बढ़ावा देना चाहिए।
• मानव व पर्यावरण को विपरीत प्रभावों से बचाने के लिए खतरनाक अपशिष्ट उपचार और निकासी बहुत योजनाबद्ध व स्थान विशिष्ट होनी चाहिए।
औद्योगिक जल संरक्षण कार्यक्रम के लिए नीति
जल उपयोग प्रबन्धन हमारे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए आवश्यक है जिसमें सार्वजनिक व निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
जल उपयोग दक्षता कार्यक्रम जल मांग को कम करते हैं, जल की बचत व अपशिष्ट जल उपचार को प्रभावित करते हैं, पर्यावरण प्रभाव को कम करते हैं तथा जल की गुणवत्ता को बनाए रखते हैं। औद्योगिक जल संरक्षण कार्यक्रम उद्योगों के मालिकों व मैनेजरों को प्रभावी जल उपयोग क्रियाओं व बहाव द्वारा निकासी, जल के हिसाब व गणना तकनीकें, औद्योगिक जल व अपशिष्ट जल उपचार में तकनीकी उन्नति व औद्योगिक वैध विषय, औद्योगिक जल संरक्षण उपयुक्तीकरण व वर्षाजल संचयन के क्रम में उनका ज्ञान बढ़ाकर लाभ प्रदान करते हैं।
औद्योगिक जल संरक्षण समय की आवश्यकता: उद्योग न केवल जल उपयोग व जल तंत्र में जल की अधिक निकासी को बढ़ाते हैं बल्कि सतही या भूमिगत जल संसाधन की विशेषताएं परिवर्तित कर देते हैं। इसलिए जल संसाधन उपयोग, संरक्षण एवं अपशिष्ट निकास में कमी या विलोपन को प्रभावी व वास्तविक रूप से लंबे समय तक बनाए रखने के लिए कार्य किया जाना चाहिए।
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