उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता की शिकायतों के लिए सरल, तीव्र तथा सस्ते समंजित के लिए जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्तरीय अर्ध न्यायिक रचनातंत्र स्थापित किया गया है जिन्हें उपभोक्ता न्यायालयों के नाम से पुकारा जाता है। इन न्यायालयों की रचना त्रुटिपूर्ण वस्तुओं तथा अकुशल सेवाओं के विरुद्ध शिकायतों पर निःशुल्क सुनवाई तथा उनके हल के लिए किया गया है। इनमें अनुचित तथा सीमित व्यापार-व्यवहार भी निहित है। यह सुधार रचनातंत्र निम्न अभिकरणों से बनता है:
1) उपभोक्ता मंच जिसे “जिला मंच” कहा जाता है।
2) उपभोक्ता आयोग जिन्हें राज्य आयोग कहा जाता है।
3) राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग जिसे राष्ट्रीय आयोग कहा जाता है।
जिला मंच
उपभोक्ता मंच जिसे “जिला मंच” कहा जाता है, की स्थापना राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जिले में की जाती है। एक जिले में एक से अधिक मंच भी हो सकते हैं। प्रत्येक जिला मंच में एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य होते हैं। जिनमें से एक महिला अवश्य होनी चाहिए। मंच का अध्यक्ष केवल वही व्यक्ति हो सकता है जो जिला न्यायाधीश रह चुका हो या बनने के योग्य हो। अन्य दो सदस्य भी योग्य, प्रतिष्ठित तथा ईमानदार चरित्र वाले व्यक्ति होने चाहिए तथा जिनके पास अर्थव्यवस्था, कानून, वाणिज्य, लेखा, उद्योग, सार्वजनिक कार्य तंथा प्रशासन से संबंधित समस्याओं का पर्याप्त ज्ञान, अनुभव अथवा प्रमाणित क्षमता होनी चाहिए |
जिला मंच की प्रत्येक नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा एक नियुक्ति समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसके निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
1) राज्य आयोग का अध्यक्ष - अध्यक्ष
2) राज्य के कानून विभाग का सचिव - सदस्य
3) राज्य के उपभोक्ता कार्यों के विभाग का सचिव – सदस्य
राज्य आयोग
राज्य आयोग के भी तीन सदस्य होते हैं : एक अध्यक्ष तथा दो सदस्य जिनमें से एक अवश्य ही महिला होनी चाहिए। राज्य आयोग का अध्यक्ष वह व्यक्ति होना चाहिए जो उच्च न्यायालय का जज हो या रह चुका हो। अन्य दो सदस्य भी योग्य, प्रतिष्ठित तथा ईमानदार चरित्र वाले होने चाहिए तथा जिनके पास अर्थव्यवस्था, कानून, वाणिज्य, लेखा, उद्योग, सार्वजनिक कार्य तथा प्रशासन से संबंधित समस्याओं का पर्याप्त ज्ञान, अनुभव अथवा प्रमाणित क्षमता होनी चाहिए। उपभोक्ता संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 1993 में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्य आयोग के अध्यक्ष की कोई नियुक्ति उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के साथ ही होनी चाहिए। आयोग के अन्य दो सदस्यों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसके निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
1) राज्य आयोग का प्रधान - अध्यक्ष
2) राज्य के विधि विभाग का सचिव – सदस्य
राष्ट्रीय आयोग
राष्ट्रीय आयोग में एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते हैं। अध्यक्ष केवल वही व्यक्ति बन सकता है जो सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका है। आयोग के चार अन्य सदस्य भी योग्य, प्रतिष्ठित तथा ईमानदार चरित्र वाले व्यक्ति होने चाहिए जिन्हें उपभोक्ता मामलों का पर्याप्त ज्ञान हो।
अध्यक्ष की नियुक्ति केन्द्र तथा भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर की जाती है। आयोग के अन्य सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सलाह पर की जाती है जिसके सदस्य निम्नलिखित होते हैं:
1) सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश जिसे मुख्य न्यायाधीश मनोनीत सदस्य करता है
2) भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों से संबंधित विभाग का सचिव सदस्य
Subcribe on Youtube - IGNOU SERVICE
For PDF copy of Solved Assignment
WhatsApp Us - 9113311883(Paid)
0 Comments
Please do not enter any Spam link in the comment box