नागरिक घोषणा पत्र नागरिक-केंद्रित प्रशासन की एक महत्वपूर्ण व्यवस्था है। यह पारदर्शिता और जवाबदेही, सेवा वितरण की गुणवत्ता और समय-सीमा और शिकायत निवारण व्यवस्था के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नागरिक घोषणा पत्र योजना अपने वर्तमान स्वरूप में पहली बार 1991 में यू के में शुरू की गई थी। 1998 में, इसे 'पहले सेवा ($शशं०० नाश) के रूप में फिर से शुरू किया गया। भारत में, अर्थव्यवस्था और साक्षरता में प्रगति के कारण प्रभावी सेवा वितरण और प्रतिक्रियाशील प्रशासन के लिए आवाज उठी। परिणामस्वरूप, 24 मई, 1997 को नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर 'प्रभावी और प्रतिक्रियाशील सरकार हेतु कार्य योजना' को अपनाया गया। यह निर्णय लिया गया कि केंद्र और राज्य सरकारें शुरू में उन क्षेत्रों में नागरिक घोषणा पत्र तैयार करेंगी, जिनमें एक बड़ा लोक अंतरापृष्ठ है, जैसे लोक वितरण प्रणाली, रेलवे, दूरसंचार और डाक विभाग आदि। डी ए आर पी जी को नागरिक घोषणा पत्र को तैयार करने, समन्वय करने और क्रियान्वित करने का कार्य शुरू करने क॑ लिए अधिकृत किया गया था। घोषणा पत्रों में निम्नलिखित घटक शामिल हैं;
• विजन और मिशन स्टेटमेंट
• संगठन द्वारा किए गए व्यवसाय का विवरण;
• ग्राहकों का विवरण;
• प्रत्येक ग्राहक समूह को प्रदान की जाने वाली सेवाओं का विवरण;
• शिकायत निवारण तंत्र का विवरण और इस तक कैसे पहुँचा जाए; और
• ग्राहकों से अपेक्षाएं।
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