राजनीतिक हमजोलियों के बीच उसने घोषणा कर दी थी, “मैंने दहेज नहीं लिया है और एक गरीब लड़की का उद्धार किया है।'” वह अपनी इस गप्प पर मुग्ध होता और अकस्मात् दहेज प्रथा के विरुद्ध संक्षिप्त भाषण करने लगता है। वह कहता, “भारतवर्ष के नवयुवकों को बाल-विधवाओं और विपन्न कुँवारी कन्याओं के उद्धार के लिए आगे बढ़कर महानता की मिसाल कायम करनी चाहिए। मुझे देखिए, मैंने तो दुखियारी की जिन्दगी संवार दी। मेरी बीवी सावित्री आज सुखी है और मेरा एहसान मानती है।'”
उत्तर-संदर्भ-अखिलेश की कहानी “बायोडाटा' युवा राजनीति में बढ़ते जा रहे लम्पट तत्त्वों की कहानी है, जिसका कथानायक राजदेव मिश्र सत्ताधारी दल की युवा शाखा का जिला मंत्री है, जो छत्तीस वर्ष का होने पर सावित्री से विवाह करता है और मोती सिंह के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रदेश सचिव की पोस्ट प्राप्त करने को लालायित है। राजदेव के लिए राजनीति केवल सुख की सर्वोत्तम मलाई है, जिसे प्राप्त करने हेतु वह लगातार प्रयास करता रहता है।
“बायोडाटा' एक प्रकार से आपातकालोत्तर युवा राजनीति का स्मृति ग्रंथ है, जिसमें प्रतिबद्धता निषिद्ध मूल्य है। वह चाहे व्यक्ति, सिद्धांत या परिवार के प्रति ही क्यों न हों। राजदेव मोती सिंह के माध्यम से प्रदेश सचिव का पद प्राप्त करने का अभिलाषी है। मोती सिंह के प्रति राजदेव का जो व्यवहार है, वह भी 'ऊसर' के कथानायक चन्द्रप्रकाश के समान ही अपने सरंक्षक जैसा प्रतीत होता है, इसी आधार पर हम “बायोडाटा' को “ऊसर' की उत्तर कथा भी मान सकते हैं। अखिलेश “बायोडाटा' में स्वप्न विधि को अपनाते हुए कहानी में एक लोककथा जैसा रस भर देते हैं।
“बायोडाटा' का प्रयोग मुख्यतः किसी नौकरी के आवेदन हेतु तैयार किया जाता है, किन्तु अखिलेश की कहानी “बायोडाटा' राजनीति को ही एक रोजगार के रूप में दर्शाती है, जहां “बायोडाटा' केवल सूचनाओं के सहमेल के रूप में सामने आया है,
व्याख्या-लम्पट और अवसरवादी राजनीतियों की तरह राजदेव भी जीवन की हर स्थिति को राजनीति में भुनाना चाहता है। इसी कड़ी में वह अपने विवाह को भी राजनीति में लाभ पाने के लिए प्रयोग करता है। यह सच है कि 36 वर्ष तक उसका विवाह नहीं हो पाता। उसके बाल झड़ने लगते हैं। दांतों में पायरिया हो जाता है। वह अपनी स्थिति का फायदा उठाकर अपने राजनीतिक साथियों के बीच घोषणा करता है, उसने 6 गरीब लड़कियों के उद्धार के लिए और दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए गरीब लड़की से बिना दहेज के विवाह किया है। बाकी लोगों को भी उससे शिक्षा लेनी चाहिए और उसकी महानता की मिसाल देनी चाहिए। उसकी पत्नी भी उसका एहसान मानकर खुद को भाग्यवान समझती है।
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